कफ-विकार दूर करने के लिए
(क) बलगम आसानी से निकालने के लिए
बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुख में रखकर चूसते रहने से खाँसी मिटती है और कफ आसानी से निकल जाता है। खाँसी की गुदगुदी बन्द होकर नींद आ जाती है। विकल्प-अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ सुगमता से निकल आता है।
(ख) बलगम साफ करने के लिए
आँवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट प्रातः सायं सप्ताह-दो सप्ताह आवश्यकतानुसार लें। छाती में जमा हुआ बलगम साफ हो जायेगा।
विशेष-
उपरोक्त चूर्ण में बराबर वजन की मिश्री का चूर्ण डालकर मिला लें। ६ ग्राम चूर्ण २५० ग्राम दूध में डालकर पीएँ तो गले के छालों (Sore Throat) में शीघ्र आराम होगा।
(ग) यदि कफ छाती पर सूख गया हो
२५ ग्राम अलसी (तीसी) को कुचलकर ३७५ ग्राम पानी में औटाएँ। जब एक तिहाई (१२५ ग्राम) पानी रह जाये, उसे मल-छानकर १२ ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें। इसमें से एक-एक चम्मच भर काढ़ा एक-एक घंटे के अन्दर से दिन में कई बार पिलाएँ। इससे बलगम छूट जाता है। जब तक छाती साफ न हो,इसे पिलाते रहें।
विशेष-
खाँसी से बिना कफ निकले ही, कोई गर्म दवा खिलाई जाती है तो कफ सूखकर छाती पर जम जाता है। सूखा हुआ कर्फ बड़ी कठिनाई से निकलता है और खाँसने में कफ निकलते समय बड़ी पीड़ा होती है। छाती पर कफ का घर-घर्र शब्द होता है। उपरोक्त नुस्खे से सूखा कफ छूट जाता है। सूखी और पुरानी खाँसी में निश्चय ही लाभ होता है।