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चौबीस अवतार (24 अवतार)

चौबीस अवतार

मात्स्यं कूर्म च वाराहं नारसिंह च वामनम् ।

रामं रामं च कृष्णं च बुद्धं कल्किं नमामितान् ||

नारायणं च नारदं कौमारं नौमि कपिलम् ।

ऋषभं यज्ञपुरूषं दत्तात्रेयं पृथुं तथा ||

धान्वन्तरिं च हंसं च मोहिनीं व्यासमेव च ।

हयग्रीवं हरिं चैव नमाम्यहं पुनः पुनः |

चौबीस अवतार

24 चौबीस अवतार शास्त्रों में प्रधान कहे हैं। पद्म पुराण और भागवत में कहा है :-

1 मत्स्य 2 कूर्म 3 वराह 4 नृसिंह 5 वामन 6 रामचन्द्र 7 परशुराम 8 कृष्णचन्द्र 9 बुद्ध

10 कल्कि इन दश अवतारों को नमस्कार है ।

11 नारायण 12 नारद 13 सनत्कुमार 14 कपिल 15 ऋषभदेव 16 यज्ञपुरुष 17 दत्तात्रेय 18 पृथु 19 धन्वन्तरि 20 हंस 21 मोहिनी 22 व्यास 23 हयग्रीव 24 हरि – परमात्मा के इन चौवीस अवतारों को पुनः पुनः नमस्कार है |

Table of Contents

नारायण नारद हरि, कपिल देव श्रीराम ।

हंस हयग्रीव मोहिनी, दत्तात्रेय सुखधाम ||

नरसिंह वामन व्यासजी, ऋषभदेव कौमार ।

यज्ञपुरुष धनवन्तरी बुद्ध कल्कि अवतार ||

पृथुराजा वाराह पुनि, कृष्णचन्द्र भगवान् ।

परशुराम मत्स्य कमठ, पद्मपुराण प्रमान ||

नमस्कार कर जोड़कर निशदिन बारम्बार ।

वास करो मम हृदय में चौवीसों अवतार ||

  1. नारायण अवतार – तपोमार्ग दिखाने के लिये हुए।
  2. नारद अवतार जीवब्रह्म की एकता रूप अद्वैत निष्कर्तव्यता बोधक पञ्चरात्र के कर्ता हुए।
  3. हरि अवतार – गजेन्द्र को ग्राह से मुक्त कराने के लिये हुए।
  4. कपिल अवतार आसुरि ऋषि को सांख्य तत्वज्ञान के लिये तथा देवहूति माता को आत्मज्ञान देने के लिये हुए।
  5. रामचन्द्र अवतार – देव ऋषियों की रक्षा तथा पालन करने के लिये और रावणादि दैत्यों का संहार करने के लिये हुए।
  6. हंस अवतार – नारद को आत्मज्ञान रूप भागवत सुनाने के लिये हुए।
  7. हयग्रीव अवतार – अन्धकार से छिपे हुए वेदों को रसातल लोक से लाकर ब्रह्मा को देकर वैदिक धर्म प्रचार के लिये हुए।
  8. मोहिनी अवतार- – विष्णु आज्ञाकारी देवताओं को अमृत पिलाने के लिये असुरों को मोहकारी मोहिनी रूप हुए।
  9. दत्तात्रेय अवतार यदु-सहस्रबाहु अलर्क आदि को योग ज्ञान देने के लिये हुए। 
  10. यज्ञ पुरुष अवतार देवताओं की रक्षा के लिये यज्ञों से सर्व देवतों का पूजन कराना बतलाने के लिये हुए।
  11. नृसिंह अवतार – हिरण्यकशियपु दैत्य के नाश के लिए तथा प्रहलाद भक्त की रक्षा के लिये हुए।
  12. वामन अवतार-राजा बलि तथा इन्द्र दोनों की रक्षा के लिए हुए।
  13. व्यास अवतार- वेदों के विभागों कर्ता और पुराणों के कर्ता हुए।
  14. ऋषभदेव अवतार चक्रवर्ती राज्य को तृण के समान त्यागकर अद्वैत ब्रह्मनिष्ठ समदर्शी जीवन्मुक्ति की सीमा दिखाने के लिये हुए|
  15. सनत्कुमार अवतार आत्मज्ञान पूर्वक निवृत्ति पक्ष परमहंस मार्ग दिखाने के लिये हुए।
  16. धन्वन्तरि अवतार- आयुर्वेद प्रवर्तन के लिये हुए।
  17. बुद्ध अवतार – देवताओं को पीड़ा देने के लिये कर्म करने वाले असुरों को कर्म से पतित करने के लिये बुद्ध अवतार हुए।
  18. कल्कि अवतार – वर्ण आश्रम आदि के घातक जो म्लेछ हैं उनके नाश करने के लिए कल्कि अवतार होवेंगे।
  19. पृथु अवतार – पृथ्वी से सब रत्न प्राप्त करने के लिये हुए।
  20. वराह अवतार पृथ्वी के उद्धार के लिये तथा हिरण्याक्ष दैत्य के वध के लिये हुए।
  21. कृष्ण अवतार – कंस शिशुपाल आदि के नाश करने के लिये तथा द्रौपदी अर्जुन आदि की रक्षा के लिये हुए|
  22. परशुराम अवतार – ब्राह्मण द्रोही क्षत्रियों का नाश करने के लिये हुए।
  23. मत्स्य अवतार – प्रलयकाल में मनु की रक्षा के लिये हुए।
  24. कूर्म अवतार-समुद्र मन्थन के समय मन्दराचल पर्वत को समुद्र में धारण करने के लिये हुए।

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FAQs:

भगवान विष्णु के कितने अवतार हैं ?

भगवान विष्णु के अवतारों की संख्या अनंत मानी जाती है। हालांकि, शास्त्रों में 24 मुख्य अवतारों का वर्णन मिलता है, जिनमें से 10 अवतार सबसे प्रसिद्ध हैं जिन्हें ‘दशावतार’ कहा जाता है।

दशावतार कौन-कौन से हैं?

दशावतार हैं: 1. मत्स्य 2. कूर्म 3. वराह 4. नृसिंह 5. वामन 6. परशुराम 7. राम 8. कृष्ण 9. बुद्ध 10. कल्कि।

भगवान नारायण का अवतार किसलिए हुआ था?

भगवान नारायण का अवतार तपोमार्ग दिखाने के लिए हुआ था। वे ध्यान और तपस्या के महत्व को उजागर करने के लिए प्रकट हुए थे।

कपिल अवतार का उद्देश्य क्या था?

कपिल अवतार का उद्देश्य सांख्य दर्शन का प्रचार करना था। उन्होंने अपनी माता देवहूति को आत्मज्ञान प्रदान किया और सांसारिक बंधनों से मुक्त होने का मार्ग दिखाया।

कल्कि अवतार कब और क्यों होगा?

कल्कि अवतार भविष्य में होगा, जब अधर्म और पाप अपनी चरम सीमा पर होंगे। यह अवतार म्लेच्छों और अधर्मियों का नाश करने और धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए होगा।

धन्वंतरि अवतार का महत्व क्या है?

धन्वंतरि अवतार का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद का प्रवर्तन करना था। वे चिकित्सा शास्त्र के देवता माने जाते हैं और उन्होंने मानव जाति को स्वास्थ्य और चिकित्सा का ज्ञान दिया।

मोहिनी अवतार किसलिए हुआ था?

मोहिनी अवतार समुद्र मंथन के दौरान अमृत को असुरों से बचाकर देवताओं को पिलाने के लिए हुआ था। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को भ्रमित किया।

ऋषभदेव का अवतार क्यों हुआ था?

ऋषभदेव का अवतार अद्वैत ब्रह्मनिष्ठ जीवन्मुक्ति का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। उन्होंने सांसारिक मोह-माया का त्याग कर आत्मज्ञान की महिमा का प्रचार किया।

कृष्ण अवतार में भगवान ने कौन से प्रमुख कार्य किए?

भगवान कृष्ण ने कंस, शिशुपाल, और अन्य दुष्टों का वध किया, महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, और अपने भक्तों की रक्षा की।

वामन अवतार का उद्देश्य क्या था?

वामन अवतार का उद्देश्य राजा बलि के अहंकार का नाश करना और इंद्र की रक्षा करना था। भगवान वामन ने तीन पग भूमि मांगकर बलि से समस्त धरती प्राप्त की।

नरसिंह अवतार का क्या उद्देश्य था?

नरसिंह अवतार का उद्देश्य हिरण्यकशिपु जैसे अत्याचारी दैत्य का नाश करना और उनके पुत्र प्रह्लाद की रक्षा करना था। भगवान विष्णु ने आधे मनुष्य और आधे सिंह के रूप में अवतरित होकर अपने भक्त प्रह्लाद को दैत्य के आतंक से बचाया।

परशुराम अवतार में भगवान ने क्या किया?

परशुराम अवतार में भगवान विष्णु ने ब्राह्मणों की रक्षा के लिए उन क्षत्रियों का संहार किया जो धर्मविरुद्ध आचरण कर रहे थे। उन्होंने कई बार पृथ्वी से अधर्मी क्षत्रियों का नाश किया।

हयग्रीव अवतार का क्या महत्व है?

हयग्रीव अवतार का उद्देश्य वेदों को पुनः स्थापित करना था। वेदों को असुरों ने चुराकर रसातल में छिपा दिया था, जिन्हें भगवान हयग्रीव ने खोजकर वापस लाया और ब्रह्मा जी को प्रदान किया ताकि वैदिक धर्म का प्रचार हो सके।

वराह अवतार में भगवान ने क्या किया?

वराह अवतार में भगवान विष्णु ने धरती माता को रसातल से बचाया। उन्होंने दैत्य हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को अपने दांतों पर उठाकर उसकी पुनर्स्थापना की।

बुद्ध अवतार का उद्देश्य क्या था?

बुद्ध अवतार का उद्देश्य उन असुरों को भ्रमित करना था जो वेदों का गलत उपयोग कर रहे थे। भगवान बुद्ध ने अहिंसा और करुणा का मार्ग दिखाया और लोगों को यज्ञ और हिंसा के बजाय शांति और धर्म की शिक्षा दी।

सनत्कुमार अवतार का महत्व क्या है?

सनत्कुमार अवतार आत्मज्ञान और परमहंस मार्ग का प्रवर्तन करने के लिए हुआ था। भगवान ने इस अवतार में निवृत्ति मार्ग का आदर्श प्रस्तुत किया और योग और साधना के महत्व को बताया।

व्यास अवतार का उद्देश्य क्या था?

व्यास अवतार का उद्देश्य वेदों का विभाजन और महाभारत एवं पुराणों की रचना करना था। उन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित किया ताकि ज्ञान को सरलता से प्राप्त किया जा सके।

प्रभु दत्तात्रेय अवतार में क्या कार्य किए?

दत्तात्रेय अवतार में भगवान विष्णु ने यदु, सहस्रबाहु और अलर्क जैसे राजाओं को योग और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के सम्मिलित रूप माने जाते हैं और उन्होंने ज्ञान, भक्ति और कर्म का संदेश दिया।

पृथु अवतार का क्या उद्देश्य था?

पृथु अवतार में भगवान ने पृथ्वी से सभी प्रकार के रत्न और अनाज प्राप्त करने का कार्य किया। उन्होंने कृषि और संसाधनों के उपयोग का मार्ग दिखाया ताकि लोग जीवन यापन कर सकें और पृथ्वी की संपदाओं का सही उपयोग कर सकें।

कूर्म अवतार में भगवान ने कौन सा कार्य किया?

कूर्म अवतार में भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर धारण किया, ताकि देवता और असुर मिलकर अमृत प्राप्त कर सकें। यह अवतार समुद्र मंथन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण था।

रामचंद्र अवतार का उद्देश्य क्या था?

रामचंद्र अवतार का उद्देश्य दुष्ट रावण और अन्य राक्षसों का नाश करना और धर्म की स्थापना करना था। भगवान राम ने आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, और आदर्श पति के रूप में मानवता को उच्चतम जीवन मूल्य सिखाए।

मत्स्य अवतार में भगवान ने कौन सा कार्य किया?

मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने प्रलयकाल में वैवस्वत मनु और सप्तर्षियों की रक्षा की। उन्होंने वेदों को बचाया और जीवन की नई शुरुआत के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान किया।

भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन-कौन से हैं?

भगवान विष्णु के 24 अवतार हैं:
मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार,वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, रामचंद्र अवतार, श्रीकृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार, नारायण अवतार, नारद अवतार, सनत्कुमार अवतार, कपिल अवतार, ऋषभदेव अवतार, यज्ञपुरुष अवतार, दत्तात्रेय अवतार, पृथु अवतार, धन्वंतरि अवतार, हंस अवतार, मोहिनी अवतार, व्यास अवतार, हयग्रीव अवतार, हरि अवतार (गजेन्द्र मोक्ष अवतार)

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