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दान देने का सर्वश्रेष्ठ समय

दान

दान देने का सर्वश्रेष्ठ समय वैसे तो शुभ कार्य करने के लिए हर समय शुभ ही होता है। किंतु शिवपुराण के अनुसार दान के कुछ सर्वश्रेष्ठ समय है।

सूर्य-संक्रांति

सूर्य-संक्रान्ति के दिन किया हुआ सत्कर्म, पूर्ववोक्त शुद्ध दिन की अपेक्षा दरम्गुना फल देनेवाला होता है, यह जानना चाहिए ।

विषुव योग

उससे भी दसगुना महत्त्व उस कर्म का है, जो विषुव नामक योग में किया जाता हैं।

दक्षिणायन आरम्भ (कर्क संक्रांति)

दक्षिणायन आरम्भ होने के दिन अर्थात कर्क की संक्रान्ति में किये हुए पुण्यकर्म का महत्त्व विषुव से थी दसगुना माना गया है।

मकर संक्रांति

उससे भी दसगुना मकर संक्रान्ति में और उससे भी दसगुना चन्द्रग्रह‌ण में किये हुए पुण्य का महत्त्व है। सूर्यग्रहण का समय सबसे उत्तम है।

चन्द्रग्रहण

उससे किये गये पुण्यकर्म का फल चन्द्रग्रहण से भी अधिक और पूर्णमात्रा में होता है, इस बात को विज्ञ पुरुष जानते हैं।

सूर्यग्रहण

जगद्रूपी सूर्य का राहुरूपी विष से संयोग होता है इसलिये सूर्यग्रहण का समय रोग प्रदान करने वाला है। अतः उस विष की शांति के लिए उस समय स्नान, दान और जप करे। वह काल विषकी शान्ति के लिए उपयोगी होने के कारण पुण्यप्रद माना गया है।

जन्म नक्षत्र और व्रत पूर्ति के दिन

जन्म नक्षत्र के दिन तथा व्रत की पूर्ति के दिन का समय सूर्यग्रहण के समान ही समझा जाता है।

हापुरुषों का संग

महापुरुषों के संग का काल, करोड़ों सूर्यग्रहण के समान पावन है, ऐसा जानी पुरुष जानते – मानते हैं।

शुद्ध अंतःकरण से किया गया कार्य

वस्तुतः शुद्ध अन्तःकरण से किया गया हर कार्य चाहे वह दान, तप या यज्ञ हो सब का फल पूर्ण फलदायी ही होता है।

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FAQs

सूर्य-संक्रांति के दिन सत्कर्म का क्या महत्त्व है?

सूर्य-संक्रांति के दिन किया गया सत्कर्म पूर्व निर्धारित शुद्ध दिनों की तुलना में दस गुना अधिक फल देता है। यह समय विशेष रूप से पुण्य अर्जित करने के लिए शुभ माना जाता है।

विषुव योग में किए गए कर्म का क्या महत्त्व है?

विषुव योग में किए गए पुण्यकर्म का महत्त्व सूर्य-संक्रांति से भी दस गुना अधिक होता है। यह योग प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है और इस दौरान किया गया कार्य अधिक फलदायी होता है।

मकर संक्रांति का क्या महत्त्व है?

मकर संक्रांति का महत्त्व कर्क संक्रांति से दस गुना अधिक होता है। इस दिन दान, तप और यज्ञ करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण में पुण्यकर्म का क्या महत्त्व है?

चंद्रग्रहण में किए गए पुण्यकर्म का फल मकर संक्रांति से भी अधिक होता है। जबकि सूर्यग्रहण में किया गया पुण्यकर्म सबसे उत्तम माना जाता है। ग्रहण काल के दौरान स्नान, दान, और जप विशेष फल प्रदान करते हैं।

महापुरुषों के संग का महत्त्व क्या है?

महापुरुषों का संग करोड़ों सूर्यग्रहण के समान पवित्र माना जाता है। उनके सान्निध्य में रहने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

शुद्ध अंतःकरण से किए गए कार्य का क्या प्रभाव होता है?

शुद्ध अंतःकरण से किया गया प्रत्येक कार्य, चाहे वह दान, तप या यज्ञ हो, पूर्ण फलदायी होता है। ऐसे कार्य व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुँचाने में सहायक होते हैं।


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