Site icon HINDU DHARMAS

स्कंद षष्ठी 2024: भगवान कार्तिकेय के पूजन का महत्व, विधि, और लाभ

स्कंद षष्ठी

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हर साल स्कंद षष्ठी या चंपा षष्ठी व्रत मनाया जाता है। इस वर्ष यह पावन व्रत 7 दिसंबर 2024 को मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन मनुष्य को सभी प्रकार की बुराइयों से मुक्ति दिलाकर जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।

स्कंद षष्ठी का महत्व

भगवान कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति और विजय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओं को संकट से मुक्त किया था।

इस दिन किए गए व्रत और पूजा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  1. काम, क्रोध, लोभ, मोह से मुक्ति: यह व्रत मनुष्य के भीतर मौजूद नकारात्मकताओं को समाप्त कर सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  2. मनोकामना पूर्ति: भगवान कार्तिकेय का पूजन हर मनोकामना को पूर्ण करने में सहायक है।
  3. धन-ऐश्वर्य: व्रत और दान करने से दरिद्रता का नाश होता है और जीवन में धन-समृद्धि आती है।
  4. संतान प्राप्ति: निःसंतान दंपतियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की साफ-सफाई करें।
  2. भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करें, जैसे – मौसमी फल, पुष्प, मेवा, दीपक, और धूप।

पूजा विधि

  1. पूजा स्थान पर भगवान कार्तिकेय, शिव-पार्वती और भगवान विष्णु की मूर्तियां या तस्वीर स्थापित करें।
  2. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करें।
  3. भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप, और दीप अर्पित करें।
  4. निम्न मंत्रों का जाप करें:
    • “देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते।”
    • “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात।”
  5. भजन, कीर्तन और आरती करें।
  6. पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें।
  7. रात में भूमि पर सोएं।

स्कंद षष्ठी का दान और पुण्य

स्कंद षष्ठी के दिन दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

स्कंद षष्ठी व्रत का धार्मिक दृष्टिकोण

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी को लोभ से मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण भगवान विष्णु और भगवान कार्तिकेय का संयुक्त पूजन अत्यंत फलदायी माना गया है।

स्कंद षष्ठी के लाभ

  1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह व्रत रोग और दुखों से छुटकारा दिलाता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: व्रतधारियों को उच्च योग और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
  3. सुख-समृद्धि: व्रत करने से घर में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है।
  4. रक्षात्मक शक्ति: भगवान कार्तिकेय की कृपा से व्यक्ति हर प्रकार की बुराई और संकट से सुरक्षित रहता है।

महत्वपूर्ण बातें

निष्कर्ष

स्कंद षष्ठी व्रत मनुष्य को आत्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की उन्नति प्रदान करता है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। इस पावन दिन को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं और भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त करें।

Read more relevant post – मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती

FAQs-

स्कंद षष्ठी व्रत कौन कर सकता है?

यह व्रत हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। विशेष रूप से, संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपति इस व्रत को कर सकते हैं।

क्या व्रत के दौरान अनाज खा सकते हैं?

स्कंद षष्ठी व्रत में फलाहार करना उचित माना गया है। अनाज और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।

स्कंद षष्ठी का महत्व क्या है?

इस दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। यह दिन बुराइयों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अति महत्वपूर्ण है।

व्रत के दौरान दान क्यों करना चाहिए?

स्कंद षष्ठी के दिन दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

क्या स्कंद षष्ठी पर भगवान विष्णु की पूजा भी आवश्यक है?

हां, पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कार्तिकेय की संयुक्त पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

Exit mobile version