आँवला नवमी 10 नवंबर 2024: व्रत कथा, पूजा विधि

आँवला नवमी का महत्त्व और पूजा विधि आँवला नवमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा का विधान है और इसे जीवन में शुभता, समृद्धि, और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। 2024 में यह व्रत 10 नवंबर को मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख, दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए रखा जाता है।

पूजा विधि

इस दिन आँवले के वृक्ष के नीचे पूजा की जाती है। स्त्रियाँ इस दिन आँवले के वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करती हैं और पेड़ के चारों ओर कच्चा सूत बाँधती हैं। इसके बाद वृक्ष के नीचे खीर-पूड़ी या अन्य सात्विक भोजन बनाकर उसका भोग लगाती हैं। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि आँवला नवमी के दिन की गई पूजा से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

आँवला नवमी व्रत कथा

एक राजा था, वह रोजाना सोने का आँवला ब्राह्मण को दान करता, उसके बाद ही पति-पत्नी भोजन करते थे। एक दिन राजा के पुत्र व बहू ने पिता के धन पर ताला लगा दिया और कहा कि- “अब तुम आँवला दान में नहीं दोगे।” दुःखी होकर राजा-रानी जंगल में चले गए। सात दिन हो गए, उन्होंने भोजन नहीं किया। नियम के अनुसार जब तक वो आँवले का दान नहीं करें, तब तक भोजन कैसे करें। तब भगवान राधा दामोदरजी ने विचार किया कि अगर इनका सत् नहीं रखेंगे, तो कौन हमको मानेगा।

भगवान ने राजा-रानी को सपना दिया और कहा कि देख तेरा सोने का महत्त और सारे राजसी ठाट-बाट हो गए हैं। राजा-रानी नियम से रोजाना सोने का आंवला फिर से दान करने लगे। इधर पुत्र के यहाँ खाने को भी कुछ नहीं बचा, ऐसी हालत हो गई। उन्होंने सुना कि जंगल में एक सोने का महल है और वहाँ का राजा रोजाना सोने का आँवला दान करता है। राजा का लड़का और बहू दोनों उस महल में जाकर नौकरी करने लगे।

एक दिन बहू से रानी ने कहा- “मेरा सिर धुला दे।” बहू जब सिर धोने लगी, तो उसकी आँख से आँसू गिरने लगे। तब रानी ने पूछा कि- “तू मेरी पीठ पर आँसू क्यों गिरा रही है, क्या बात है मुझे बता दे?” तब बहू बोली- “मेरी भी सासु की पीठ पर ऐसा ही मस्सा था। वो भी रोजाना सोने का आँवला दान करती थी।

मैंने और मेरे पति ने उनको घर से निकाल दिया।” तब वो राजा-रानी बोले कि- “हम ही तेरे सास-ससुर हैं। तुमने तो घर से निकाल दिया, लेकिन हमारा सत भगवान ने रखा।” वो ही राजा-रानी और पुत्र-बहू सब एक ही जगह रहने लगे। भगवान राधा दामोदर ने राजा-रानी का सत रखा, ऐसा सभी को रखना।

निष्कर्ष

आँवला नवमी का पर्व धार्मिक आस्था, परिवार की एकता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता को व्यक्त करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि समाज और परिवार में आपसी प्रेम, सहयोग, और सौहार्द को भी प्रकट करता है।

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FAQs

आँवला नवमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

आँवला नवमी का पर्व सुख-समृद्धि, संतान सुख और परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आँवले के वृक्ष की पूजा कर मनाया जाता है, जो धार्मिक ग्रंथों में पवित्र और औषधीय वृक्ष के रूप में माना गया है।

आँवला नवमी के दिन आँवले के वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है?

आँवला नवमी के दिन आँवले के वृक्ष की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि आँवला स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा करने से पवित्रता, आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

आँवला नवमी कब है?

आँवला नवमी का पर्व 2024 में 10 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।

आँवला नवमी पर कौन सा भोजन बनाया जाता है?

आँवला नवमी पर खीर-पूड़ी और अन्य सात्विक भोजन बनाए जाते हैं। यह भोजन आँवले के वृक्ष के नीचे बनाकर उसे भोग लगाया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ग्रहण किया जाता है।

क्या आँवला नवमी पर दान करने का विशेष महत्त्व है?

हाँ, आँवला नवमी पर दान का विशेष महत्त्व है। इस दिन अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

आँवला नवमी की कथा का क्या संदेश है?

आँवला नवमी की कथा यह संदेश देती है कि निष्ठा और भक्ति के मार्ग पर चलने से ईश्वर अपने भक्तों का सहारा बनते हैं। यह कथा बताती है कि सच्चे भक्त की आस्था का प्रतिफल उसे अवश्य मिलता है।

आँवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

आँवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर 2024 को प्रातः काल के समय है। पूजा का समय नवमी तिथि के दौरान होता है, जो सूर्योदय के बाद से लेकर नवमी तिथि के समापन तक शुभ माना जाता है।

क्या आँवला नवमी और अक्षय नवमी एक ही है?

जी हाँ, आँवला नवमी को ही अक्षय नवमी भी कहा जाता है। अक्षय का अर्थ है “अविनाशी” या “सदा बना रहने वाला,” और इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल भी अक्षय माना जाता है।

आँवला नवमी पर आँवले का दान क्यों किया जाता है?

आँवला नवमी पर आँवले का दान इसलिए किया जाता है क्योंकि आँवला धार्मिक रूप से एक पवित्र और औषधीय वृक्ष माना गया है। आँवला दान करने से स्वास्थ्य, सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है।

आँवला नवमी की पूजा विधि में कौन-कौन से सामग्री का उपयोग होता है?

आँवला नवमी की पूजा के लिए आँवले के वृक्ष, जल, कच्चा सूत, हल्दी, रोली, चावल, दीपक, धूप, खीर-पूड़ी, और अन्य सात्विक भोजन का उपयोग होता है। इसके अलावा ब्राह्मण भोजन और दान सामग्री का भी प्रबंध किया जाता है।


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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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