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आकाशवाणी क्या होती है और उसे कौन करता था?

आकाशवाणी

आकाशवाणी का रहस्य

सब ने कभी ना कभी “आकाशवाणी” इस शब्द को अवश्य सुने होंगे। धर्मग्रयों एवं पुराणों में कई प्रसिद्ध आकाशवाणी का वर्णन है। सुनने में तो ये शब्द बड़ा सरल लगता है की आकाशवाणी अर्थात आकाश की वाणी, किन्तु वास्तव में इसका रहस्य बहुत गूंथा हुआ है।

आकाश का महत्व

आकाशवाणी के पहले “आकाश” के विषय में जानिए। इस जगत में जो कुछ भी दिखता है वो सभी पंचतत्वों से मिलकर बना है। हमारा शरीर भी पंचतत्व से ही मिलकर बना है। और ये पंच तत्व हैं, धरती, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश । इन पांच तत्वों में से चार तो वे हैं जिन्हें हम देख अथवा अपने शरीर में महसूस कर सकते हैं। ये है भूमि, जल, अग्नि एवं वायु । परन्तु हमारे शरीर अथवा अन्य तत्वों में आकाश कहाँ है? तो “आकाश” हमारे शरीर में उपस्थित शून्य को प्रदर्शित करता है। इस जगत में जहाँ-जहाँ भी शून्य है (अर्थात कुछ नहीं है), वो सभी आकाश तत्व ही है ।

आकाशवाणी का अर्थ

यदि हम आकाशवाणी की बात करें तो हमारी अंतरात्मा की जो वाणी होती है वही आकाशवाणी होती है। आकाशवाणी कभी असत्य नहीं होती। हम शरीर से चाहे कितने भी पाप कर्म करें, हमारी अंतरात्मा सदैव ये जानती है कि वो कर्म ठीक नहीं है।

जो भी उस अंतरात्मा की वाणी, अर्थात आकाशवाणी को सुन कर उसका अनुसरण करता है वो कभी भी अनुचित कार्य नहीं करता ।

आकाशवाणी का अर्थ वही है, जो इस शब्द का अर्थ है, अर्थात आकाश की वाणी । वास्तव में प्राचीन काल और युगों में जब कोई श्रेष्ठ व्यक्ति अज्ञानतावश किसी कार्य को पुण्य समझकर कर रहा हो किन्तु वास्तव में वो पाप कर्म हो, तब उस व्यक्ति को उस पाप से बचाने के लिए आकाशवाणी के माध्यम से उसे सचेत किया जाता था ।

प्राचीन काल की आकाशवाणियाँ

उदाहरण : रामचरितमास में की गयी वो आकाशवाणी है जो लक्ष्मण को सचेत करने के लिए की गयी थी। जब लक्ष्मण को ये पता चला कि भरत सेना सहित चित्रकूट पहुंच गया है, तो उन्हें ऐसा मिथ्या बोध हो गया कि भरत श्रीराम पर आक्रमण करने आ रहे हैं। उन्हें सत्य का पता नहीं था कि भरत अपने बड़े भाई को वापस लौटाने के लिए आ रहे हैं। इसी भ्रम में उन्होंने भरत के वध का संकल्प कर लिया और अपने धनुष को धारण किया ।

तभी उन्हें सत्य से अवगत कराने के लिए आकाशवाणी हुई, तात प्रताप प्रभाउ तुम्हारा । को कहि सकल को जाननिहारा। अनुचित उचित कछु होऊ । समुझि करिअ भल कह सबु कोऊ । सहसा करि पाछे पछिताहीं । कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं ॥

अर्थातः आकाशवाणी हुई कि “हे लक्ष्मण…! तुम्हारे प्रताप और प्रभाव को कौन जान सकता है? (अर्थात तुम भरत का वध करने में सर्वथा समर्थ हो) । किन्तु किसी भी कार्य को बिना सोचे विचारे नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति बिना सोचे विचारे घोर कर्म करते है उन्हें पीछे पछताना पड़ता है।

इस प्रकार आकाशवाणी द्वारा लक्ष्मण को सचेत किया गया कि वो बिना सत्य जाने ही भरत का अहित करने जा रहे है। उस आकाशवाणी को सुनकर लक्ष्मण को सत्य का ज्ञान हुआ और तब उन्होंने अपना धनुष रख दिया

दूसरी परिस्थित होती थी, जब पाप कर्म अपनी सीमा को पार कर जाता था अथवा किसी प्राणी के पाप का घड़ा भर जाता था तब आकाशवाणी के द्वारा उसे चेतावनी दी जाती थी। इसके पीछे दो प्रयोजन होते थे। पहला इस आकाशवाणी को सुन कर वो व्यक्ति पाप कर्म करना बंद कर दे और दूसरा उस चेतावनी को सुनकर भी वो और पाप करे ताकि उसे उसके कर्मों का दण्ड शीघ्र अतिशीघ्र मिल सके ।

इसका उदाहरण कंस को आकाशवाणी के माध्यम से चेतावनी मिलना है। जब कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वसुदेव से किया तब आकाशवाणी ने उसे सचेत किया कि देवकी के गर्भ से पैदा होने वाला आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा ।

इस आकाशवाणी के पीछे उद्देश्य ये था कि, या तो कंस अत्याचार करना बंद कर दे अथवा वो अत्याचार की सारी सीमाओं को लाँघ जाये ताकि उसका अंत जल्द से जल्द हो। और यही हुआ भी ।

उस आकाशवाणी को सुनकर कंस इतना भयभीत हो गया कि, उसने अत्याचार की सारी सीमाओं को पार कर दिया। उसने देवकी और वसुदेव को बंदी बना कर उनके ६ पुत्रों का वध कर दिया। इसी कारण श्रीकृष्ण ने उसका वध कर संसार को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई ।

आकाशवाणी वास्तव में करता कौन था?

क्यूंकि आकाश यदि शून्य है तो उसमें ध्वनि तो हो सकती है किन्तु वो वाणी का रूप नहीं ले सकती ।

आकाशवाणी वास्तव में स्वर्ग में रहने वाले देवताओं द्वारा की जाती थी और इसी कारण इसे “देववाणी” या “दिव्यवाणी” भी कहा जाता है। चूंकि देवता अदृश्य रूप में केवल वाणी के रूप में मनुष्यों को सचेत करते है इसी कारण ऐसा लगता था कि ये वाणी आकाश से ही आ रही है और इसका नाम आकाशवाणी पड़ गया ।

देवताओं के अतिरिक्त केवल कुछ सिद्ध ऋषि ही मानवमात्र को सचेत करने के लिए आकाशवाणी कर सकते है। ब्रह्म संप्रदाय की मान्यताओं के अनुसार आकाशवाणी वास्तव में परमपिता ब्रह्मा जी ही करते है, क्यूंकि वही सभी प्राणियों के भूत, वर्तमान और भविष्य के ज्ञाता है। ब्रह्माजी द्वारा कही गयी वाणी को ब्रहमवाणी भी कहा जाता है। आप सबने सुना होगा कि ब्रहह्मवाणी अमीध होती है।

आकाशवाणी से संबंधित मिथ्याएं

आकाशवाणी के विषय में कई मिथ्या धारणाएं हैं। आकाशवाणी किसी लाउडस्पीकर की तरह होती है, जो सबको सुनाई देती है, ये सल्य नहीं है। वास्तव में आकाशवाणी केवल उन्ही व्यक्तियों को सुनाई देती है जिनके लिए वो आकाशवाणी की गयी होती है।

कोई भी देवता आकाशवाणी कर सकते थेः ये भी सत्य नहीं है।

आकाशवाणी केवल वही देवता कर सकते थे जिन्होंने कभी असत्य नहीं बोला और जिनके पास आकाशवाणी करने का सामर्थ्य होता था। कोई भी सामान्य देवता, उप देवता, यक्ष, गन्धर्व, मस्त, वसु इत्यादि आकाशवाणी नहीं कर सकते थे । अर्थात देवताओं में भी केवल कुछ ही ऐसे थे जो आकाशवाणी कर सकते थे।

केवल देवता ही आकाशवाणी कर सकते थे मनुष्य नहीं: ऐसा भी नहीं है।

मनुष्यों में भी कई ऐसे सिद्ध महर्षि थे जिन्होंने अपनी साधना से स्वयं को देवत्व तक उठा लिया हो। ऐसे सिद्ध मनुष्य भी आकाशवाणी कर सकते थे। उदाहरण के लिए सप्तर्षियों एवं अन्य प्रजापतियों को आकाशवाणी करने का अधिकार होता था।

कोई भी आकाशवाणी को सुन सकता है ये भी असत्य है। जिस प्रकार आकाशवाणी केवल समर्थ देवी देवता अथवा सिद्ध ही कर सकते थे, उसे सुना भी केवल श्रेष्ठ अथवा समर्थ मनुष्यों ‌द्वारा जा सकता था। आम मनुष्य आकाशवाणी को नहीं सुन सकते है ।

जिनके पास आकाशवाणी की शक्ति होती थी वो कभी भी आकाशवाणी कर सकले थेः ये भी असत्य है।

आकाशवाणी उचित मंत्रणा के बाद ही की जा सकती थी। कोई भी व्यक्ति अथवा देवता केवल अपनी इच्छा से आकाशवाणी नहीं कर सकते थे ।

कुछ ग्रंथों में लिखा है कि, आकाशवाणी केवल ब्रह्मदेव की स्वीकृति के पश्चात ही की जा सकती थी।

केवल पुरुष ही आकाशवाणी कर सकते महिलाएं नहींः ये भी सत्य नहीं है। देवियाँ एवं महिलाएं भी, यदि वे आकाशवाणी करने में सक्षम हो, तो वे आकाशवाणी कर सकती थी ।

आकाशवाणी दुष्टों को भ्रमित करने के लिए की जाती थीः ये भी सत्य नहीं है।

आकाशवाणी द्वारा जो कुछ भी कहा अथवा सूचित किया जाता था वो सत्य और केवल सत्य ही होता था, चाहे वो पुण्यात्मा के लिए की गयी हो अथवा पापात्मा के लिए। आज तक एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जहाँ आकाशवाणी कुछ और हुई हो और वास्तव में कुछ और हुआ हो। इसी कारण आकाशवाणी इतनी महत्वपूर्ण मानी गयी है और उसपर अक्षरशः विश्वास किया जाता है।

किसी भी जानकारी को आकाशवाणी द्वारा नहीं बताया जा सकता था । आकाशवाणी केवल तभी की जाती थी जब कोई दूसरा मार्ग शेष ना हो। साथ ही केवल अत्यंत महत्त्वपूर्ण सूचना ही आकाशवाणी द्वारा दी जाती थी।

आकाशवाणी का वर्तमान संदर्भ

आकाशवाणी केवल सतयुग, त्रेतायुग एवं द्वापरयुग में की जा सकती है, ऐसा भी नहीं है, कि कलियुग में नहीं। कलियुग में भी भविष्यवाणियां हो सकती है । ऐसी मान्यता है कि जब भगवान कल्कि के अवतरण का समय आएगा तो आकाशवाणी द्वारा दुष्ट मनुष्यों को उनके आगमन की सूचना दी जाएगी ।

आकाशवाणी केवल देववाणी ही नहीं होती। कई बार हमारी अंतरात्मा और छठी इंद्री भी हमें सचेत करती है “जिसे आकाशवाणी का ही एक रूप समझा जाता है। “इसके अतिरिक्त आकाशवाणी सबके लिए नहीं होती”, “जिसके लिए होती है उन्हें इसका आभास हो जाता है।”

स्वप्न और आकाशवाणी

कई बार स्वप्न भी आकाशवाणी के रूप में हमें सचेत करते हैं। ऐसी असंख्य घटनाएं है जब स्वप्न साकार होते हैं। ऐसी मान्यता है कि दिवास्वप्न, अर्थात दिन में देखा गया सपना अधिकतर सत्य साबित होता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार की भविष्वाणियों के कई उदाहरण है किन्तु एक उदाहरण अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के विषय में बड़ा प्रसिद्ध है ऐसा लिखा गया है कि, एक बार अब्राहम लिंकन ने अपने साथी वार्ड लेमन को अपने सपने के बारे में बताया कि उन्होंने स्वप्न देखा कि वाइट हाउस से रोने की आवाज आ रही थी और लोग एक शव को घेर कर रो रहे थे। जब मैंने पास जाकर देखा तो वो मेरा ही शव था। उनकी बात सुनकर लोग हंसने लगे किन्तु इस घटना के केवल दो दिनों के बाद ही लिंकन की हत्या कर दी गयी। बाद में इसी वार्ड लेमन ने लिंकन की जीवनी लिखी और उसमें इस घटना का उल्लेख किया ।

FAQs

आकाशवाणी क्या है, और इसका अर्थ क्या है?

आकाशवाणी का शाब्दिक अर्थ है “आकाश की वाणी” या “स्वर्गीय संदेश”। इसे एक दिव्य वाणी के रूप में समझा जाता है जो अदृश्य रूप से व्यक्तियों को सचेत करने के लिए आती है। आकाशवाणी को अक्सर देवताओं या सिद्ध ऋषियों द्वारा दिया गया संदेश माना जाता है।

आकाशवाणी कौन करता था?

आकाशवाणी वास्तव में देवताओं या कुछ सिद्ध ऋषियों द्वारा की जाती थी। ऐसा माना जाता था कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव जैसे प्रमुख देवताओं के पास यह शक्ति थी। इसके अतिरिक्त, उच्च कोटि के ऋषि और सिद्ध पुरुष भी आकाशवाणी कर सकते थे। देववाणी को ब्रह्मा जी की अनुमति से किया जाता था, जिससे यह सुनिश्चित होता कि यह केवल सत्य पर आधारित हो।

आकाशवाणी किस उद्देश्य से की जाती थी?

आकाशवाणी का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति को पाप या अनुचित कार्य से रोकना या उसे चेतावनी देना होता था। यह पुण्य कर्म करने के लिए प्रेरित करने और पाप कर्मों से दूर रखने का एक माध्यम था। इसके अतिरिक्त, यह महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में सचेत करने के लिए भी की जाती थी, जैसे कि कंस को श्रीकृष्ण के जन्म की भविष्यवाणी।

क्या आकाशवाणी सबके लिए होती थी?

नहीं, आकाशवाणी केवल उसी व्यक्ति को सुनाई देती थी जिसके लिए वह की जाती थी। यह वाणी सबके लिए नहीं होती थी, बल्कि केवल विशेष व्यक्तियों के लिए होती थी जो उस समय की परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

क्या मनुष्य भी आकाशवाणी कर सकते थे?

हां, कुछ सिद्ध महर्षि और योगी, जिन्होंने अपनी साधना से उच्च स्तर की सिद्धियाँ प्राप्त की थीं, वे भी आकाशवाणी कर सकते थे। इनमें सप्तर्षि और अन्य प्रजापति जैसे महापुरुष शामिल थे, जिन्हें दिव्य शक्तियों का ज्ञान था।

वर्तमान समय में आकाशवाणी का क्या महत्व है?

आज के समय में, आकाशवाणी को अधिकतर एक आध्यात्मिक संकेत के रूप में देखा जाता है। इसे आंतरिक चेतना या छठी इंद्री के माध्यम से प्राप्त होने वाले संदेशों के रूप में भी समझा जा सकता है। आधुनिक संदर्भ में, आकाशवाणी का अर्थ व्यक्ति की आत्मा या अंतःकरण की आवाज हो सकता है, जो उसे सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करती है।

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