उगादि 2025 कब है?

Advertisements

उगादि 2025 इस वर्ष 30 मार्च, रविवार को मनाया जाएगा। यह पर्व मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में नववर्ष के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। उगादि पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को पड़ता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक होता है।

उगादि का महत्व

उगादि का अर्थ होता है “युग + आदि”, यानी नए युग की शुरुआत। इस दिन से हिन्दू नववर्ष का आरंभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इस दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। यह पर्व नई ऊर्जा, सकारात्मकता और नई योजनाओं को शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है।

उगादि उत्सव कैसे मनाया जाता है?

उगादि का त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक अनुष्ठानों से भरपूर होता है। इस दिन लोग विशेष पूजा-पाठ करते हैं और अपने घरों को रंगोली और आम के पत्तों से सजाते हैं। मुख्य रीति-रिवाज इस प्रकार हैं:

  1. स्नान और पूजा: इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर तेल से स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनकर भगवान की पूजा करते हैं।
  2. पंचांग श्रवण: उगादि के दिन विशेष रूप से पंचांग (हिंदू कैलेंडर) का श्रवण किया जाता है, जिसमें नए वर्ष की भविष्यवाणियां सुनाई जाती हैं।
  3. विशेष भोजन: उगादि पर खासतौर पर “उगादि पच्चड़ी” बनाई जाती है, जो विभिन्न स्वादों (मीठा, खट्टा, कड़वा, तीखा, नमकीन, कसैला) का मिश्रण होती है और जीवन के विभिन्न अनुभवों का प्रतीक मानी जाती है।
  4. भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस अवसर पर मंदिरों में भजन-कीर्तन किए जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  5. दान-पुण्य: उगादि के दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है।

उगादि पच्चड़ी का महत्व

उगादि का प्रमुख व्यंजन “उगादि पच्चड़ी” होता है, जिसे नीम के फूल, इमली, गुड़, कच्चा आम, मिर्च और नमक मिलाकर तैयार किया जाता है। यह छह अलग-अलग स्वादों से बना होता है, जो जीवन में आने वाले विभिन्न अनुभवों (खुशी, दुख, आशा, डर, क्रोध, और आश्चर्य) को दर्शाता है। इसे खाने से व्यक्ति हर परिस्थिति के लिए तैयार रहता है।

उगादि पर क्या करें और क्या न करें?

  • इस दिन नए काम और नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ होता है।
  • घर की साफ-सफाई और पूजा-पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  • अच्छे विचारों और सकारात्मक सोच को अपनाएं।
  • किसी से विवाद न करें और अपशब्दों से बचें।
  • नकारात्मकता और निराशा से दूर रहें।

उगादि 2025 के लिए शुभ मुहूर्त

इस वर्ष उगादि पर्व के शुभ मुहूर्त की गणना पंचांग के अनुसार की जाएगी। आमतौर पर यह पर्व सूर्योदय से शुरू होकर पूरे दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष

उगादि सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि नए साल की शुरुआत और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला त्योहार है। यह दिन हमें अपने जीवन के हर पहलू को स्वीकार करने और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इस उगादि, अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मिलकर नववर्ष का स्वागत करें और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ें।

यह भी जानें – गुढी पड़वा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त / उगादि 2025

Advertisements

FAQs-

उगादि क्या है?

उगादि दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला हिंदू नववर्ष है, जो चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।

उगादि 2025 कब मनाया जाएगा?

उगादि 2025 का पर्व 30 मार्च, रविवार को मनाया जाएगा।

उगादि किन राज्यों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है?

यह पर्व मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में मनाया जाता है।

उगादि का धार्मिक महत्व क्या है?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इस दिन सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इसे नववर्ष की शुरुआत माना जाता है।

उगादि पर कौन-सा विशेष भोजन बनाया जाता है?

इस दिन विशेष रूप से उगादि पच्चड़ी बनाई जाती है, जिसमें छह अलग-अलग स्वाद होते हैं।

उगादि पच्चड़ी के छह स्वादों का क्या अर्थ है?

यह जीवन में आने वाले विभिन्न अनुभवों (खुशी, दुख, डर, आशा, क्रोध और आश्चर्य) को दर्शाता है।

उगादि पर कौन-कौन से रीति-रिवाज निभाए जाते हैं?

तेल से स्नान, घर की सफाई, पंचांग श्रवण, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और दान-पुण्य इस दिन किए जाते हैं।

क्या उगादि के दिन नए काम की शुरुआत करना शुभ होता है?

हां, इस दिन नए व्यापार, नौकरी और नए संकल्पों की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।

उगादि का उत्सव कितने दिनों तक चलता है?

यह मुख्य रूप से एक दिन का पर्व है, लेकिन कुछ स्थानों पर इसे 2-3 दिन तक मनाया जाता है।

क्या उगादि का पर्व महाराष्ट्र में भी मनाया जाता है?

महाराष्ट्र में इसी दिन गुड़ी पड़वा के रूप में नववर्ष मनाया जाता है।

क्या उगादि का पर्व उत्तर भारत में भी मनाया जाता है?

उत्तर भारत में इसी तिथि को विक्रम संवत का नववर्ष मनाया जाता है।

उगादि के दिन दान-पुण्य क्यों किया जाता है?

इस दिन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और वर्षभर समृद्धि बनी रहती है।

उगादि के दिन क्या शुभ कार्य किए जा सकते हैं?

पूजा-पाठ, नए काम की शुरुआत, दान, और परिवार के साथ समय बिताना शुभ माना जाता

क्या उगादि का पर्व वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है?

हां, यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है, जिससे मौसम परिवर्तन होता है।

Advertisements
Deepika Patidar
Deepika Patidar

Deepika patidar is a dedicated blogger who explores Hindu mythology through ancient texts, bringing timeless stories and spiritual wisdom to life with passion and authenticity.

Articles: 141
error: Content is protected !!