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क्रोध और मौन

क्रोध और मौन

अज्ञान और ज्ञान

क्रोध और ईर्ष्या अज्ञान के कारक हैं, जबकि मौन और तप ज्ञान के।

ज्ञानी और अज्ञानी व्यक्ति का व्यवहार

ज्ञानी व्यक्ति दूसरे को सुख देकर स्वयं आनंदित होता है। वहीं अज्ञानी व्यक्ति दूसरों को सता कर, पीड़ा देकर, उनके मार्ग को अवरुद्ध कर सुख पाता है।

सृजनात्मकता और विध्वंसात्मकता

1. ज्ञान और मौन

ज्ञान और मौन सदैव सृजनात्मक एवं भविष्यलक्षी होते हैं।

2. क्रोध और अज्ञान

जबकि क्रोध एवं अज्ञान नितांत विध्वंसात्मक और तात्कालिक । ज्ञानी स्वयं के साथ-साथं, परहित और परमार्थ का कार्य करता है, जबकि अज्ञानी स्वयं के साथ-साथ दूसरे के अनिष्ट हेतु ही कृत्संकल्पित होता है। उससे चाहकर भी पुण्य का कार्य सुलभ नहीं होता है।

पुण्य और पाप

1. ज्ञान का स्रोत

ज्ञान विगत जन्मों के पुण्यों के संचित गुणधर्मों का प्रतिफल होता है।

2. अज्ञान का स्रोत

वहीं अज्ञान कृत पापों का छलछलाता समूह।

क्रोध और मौन की तुलना

1.  दुर्गंध और सुगंध

सुगंध से कभी दुर्गंध आ नहीं सकती और दुर्गध से कभी दुर्गंध जा नहीं सकती।

2. क्रोध और मौन

क्रोध और मौन रात और दिन के समान हैं। चरित्र, गुणधर्म एवं उपादेयता की दृष्टि से दोनों नितांत विपरीत होते है।

जीवन की गरिमा

1. विचार और आचरण की उत्कृष्टता

विचार एवं आचरण की उत्कृष्टता के अभाव में व्यक्ति के जीवन की गरिमा समयचक्र के बीतते ही धूल-धूसरित हो जाती है। त्यागी, तपी और परमार्थी साधक इस संसार से जाने के बाद भी स्मरणीय एवं वंदनीय होता है।

2. विषय-भोगी और सत्ता का दुरुपयोग

विषय-भोगी, पद या सत्ता का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति क्षण–क्षण जीते-जी ही मरता रहता है।

क्रोध की प्रचंड अग्नि और मौन का दिव्यास्त्र

1. क्रोध की प्रचंड अग्नि

क्रोध की प्रचंड अग्नि किसी भी दुर्बल व्यक्ति के विवेक और बुद्धि के साम्राज्य का संहार कर सकती है।

2. मौन का दिव्यास्त्र

इसके विपरीत मौन क्रोध को जीतने का दिव्यास्त्र ही नहीं, बल्कि बुद्धि-विवेक का अपूर्व रक्षा-कवच भी है।

जीवन की दिशा का चयन

1. श्रेष्ठ गुणधर्म

क्रोध के आते ही मनुष्य के जीवन से प्रेम, सौंदर्य, सद् विचार, माधुर्य, लालित्य, अपनत्व एवं आनंद जैसे श्रेष्ठ गुणधर्म सदा-सदा के लिए उसका साथ छोड़ देते हैं।

2. मौन और क्रोध के फल

मौन के वृक्ष पर शांति एवं आनंद के फल और क्रोध के वृक्ष पर विनाश एवं पश्चाताप के फल लगते हैं।

3. विध्वंस और सृजन का मार्ग

यह हमें निश्चय करना है कि विध्वंस का मार्ग अपनाना है अथवा सृजन का। हमारा यह चयन ही हमारे जीवन की दशा-दिशा तय करेगा।

Read more post- सहज मार्ग

FAQs-

अज्ञान और ज्ञान के बीच क्या अंतर है?

अज्ञान क्रोध और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों का स्रोत है, जबकि ज्ञान मौन, तप और सृजनात्मकता से उत्पन्न होता है। अज्ञान विध्वंसात्मक होता है, जबकि ज्ञान भविष्यलक्षी और सृजनात्मक होता है।

ज्ञानी और अज्ञानी व्यक्ति के व्यवहार में क्या अंतर होता है?

ज्ञानी व्यक्ति दूसरों को सुख देकर आनंद प्राप्त करता है और परहित के कार्यों में लिप्त रहता है। इसके विपरीत, अज्ञानी व्यक्ति दूसरों को पीड़ा देकर या उनके कार्यों में विघ्न डालकर खुशी महसूस करता है, जो विध्वंसात्मक होता है।

क्रोध और मौन में क्या अंतर है?

क्रोध विध्वंस का कारण बनता है और जीवन से प्रेम, सौंदर्य और सद्गुणों को नष्ट करता है। जबकि मौन एक दिव्यास्त्र है, जो न केवल क्रोध पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि बुद्धि और विवेक की भी रक्षा करता है।

जीवन में पुण्य और पाप का क्या प्रभाव होता है?

ज्ञान और पुण्य कर्मों का फल होता है, जबकि अज्ञान पाप कर्मों का परिणाम है। पुण्य व्यक्ति को जीवन में शांति, संतुलन और सृजनात्मकता प्रदान करता है, जबकि पाप जीवन में दुख और विध्वंस लाता है।

क्रोध जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

क्रोध की प्रचंड अग्नि व्यक्ति के विवेक और बुद्धि का नाश कर देती है। यह जीवन से प्रेम, आनंद और सकारात्मक गुणों को हमेशा के लिए छीन लेती है, जिससे व्यक्ति अपने ही विनाश का कारण बन जाता है।

मौन के क्या लाभ होते हैं?

मौन क्रोध को नियंत्रित करने का सबसे शक्तिशाली साधन है। यह शांति और संतुलन का स्रोत है, जो व्यक्ति को सृजनात्मकता, बुद्धि और विवेक के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है। मौन जीवन में आनंद और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

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