गणेश चतुर्थी 2024: शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा सामग्री और विधि

गणेश चतुर्थी 2024

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गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश की पूजा का महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटका, गुजरात और भारत के अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2024
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गणेश चतुर्थी कब और क्यों बनायी जाती है?

गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है। इस साल, 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत के द्वारा उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए भक्तगण विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियाँ करते हैं। गणेश जी को बप्पा, विघ्नहर्ता और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है।

शुभ मुहूर्त 2024

चौघड़िया 6 बजे सुबह से दिन के समय

समयचौघड़िया
6 AM – 7:30 AMकाल (अशुभ)
7:30 AM – 8 AMशुभ ( शुभ)
8 AM – 10:30 AMरोग (अशुभ)
10:30 AM – 12 PMउद्वेग (अशुभ)
12 PM – 1:30 PMचर ( शुभ)
1:30 PM – 3 PMलाभ ( शुभ)
3 PM – 4:30 PMअमृत ( शुभ)
4:30 PM – 6 PMकाल (अशुभ)

चौघड़िया ६ बजे शाम से रात के समय

समयचौघड़िया
6 PM – 7:30 PMलाभ ( शुभ)
7:30 PM – 8 PMउद्वेग (अशुभ)
8 PM – 10:30 PMशुभ ( शुभ)
10:30 PM – 12 AM (8/सितंबर)अमृत ( शुभ)
12 AM – 1:30 AM (8/सितंबर)चर ( शुभ)
1:30 AM – 3 AM (8/सितंबर)रोग (अशुभ)
3 AM – 4:30 AM (8/सितंबर)काल (अशुभ)
4:30 AM – 6 AM (8/सितंबर)लाभ ( शुभ)

गणेश चतुर्थी के महत्व

  1. भगवान गणेश की पूजा: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के स्वागत के लिए भक्त घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं। गणेश जी को समृद्धि, सुख-शांति, और ऐश्वर्य का देवता माना जाता है।
  2. नए साल की शुरुआत: गणेश चतुर्थी को नए साल की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन नए कार्यों की शुरुआत करने, नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत करने और व्यवसायिक सौदों को साकार करने के लिए इसे शुभ माना जाता है।
  3. सामाजिक और सांस्कृतिक एकता: गणेश चतुर्थी पर लोग एक साथ मिलकर पूजा और भजन करते हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
  4. विघ्नों का नाश: गणेश जी को विघ्नों का नाशक और बुद्धि, समृद्धि का दाता माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर उनकी पूजा करके लोग जीवन की समस्याओं और विघ्नों से मुक्ति की कामना करते हैं।

गणेश चतुर्थी की पूजा सामग्री:

मूर्ति/प्रतिमा: भगवान गणेश की मूर्ति (मिट्टी की हो तो सर्वोत्तम) ,कलश: पानी से भरा हुआ कलश, आम के पत्ते, नारियल, रोली, कुमकुम, हल्दी, अबीर,गुलाल, सिंदूर,धूप: अगरबत्ती या धूपबत्ती, दीया: घी का दीया ,फूल: लाल, पीले, या सफेद फूल, पुष्पहार: भगवान गणेश के लिए माला, चंदन , नैवेद्य: लड्डू, मोदक, और अन्य मिठाइयाँ, फल: नारियल, केला, अनार, और अन्य मौसमी फल, पान के पत्ते, सुपारी, खील-बताशे, गंगाजल: शुद्धिकरण के लिए, पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर मिलाकर,पंचमेवा: काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता, और अन्य।, ध्वजा (झंडा): गणपति की पूजा स्थल पर लगाने के लिए, रक्षासूत्र: मौली धागा,पानी का कलश और चम्मच: अभिषेक के लिए |

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

  1. मूर्ति स्थापना: गणेश चतुर्थी पर भक्त गणेश की मूर्तियों को सुंदर तरीके से सजाकर घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करते हैं। मूर्तियाँ विभिन्न आकार और स्वरूप में होती हैं।
  2. आरती और भजन: पूजा के दौरान गणेश जी की आरती की जाती है और भजन-कीर्तन होते हैं। भक्तजन गणेश जी के चरणों में आह्वान करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
  3. पारंपरिक भोजन: इस दिन विशेष रूप से लड्डू, मोदक, और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। गणेश जी को मोदक प्रिय हैं, इसलिए इस पर्व पर मोदक बनाना एक खास परंपरा है।
  4. विसर्जन: गणेश चतुर्थी की समाप्ति पर, गणेश की मूर्ति को सार्वजनिक जलाशयों में विसर्जित किया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘विसर्जन’ कहा जाता है और इसे खुशी के साथ मनाया जाता है। विसर्जन के दिन बड़े जुलूस निकलते हैं और गणेश जी की जयकारों के साथ मूर्तियाँ जल में विसर्जित की जाती हैं।

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FAQ

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को होगी।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गणेश जी की पूजा और व्रत के माध्यम से समृद्धि, सुख-शांति, और विघ्नों से मुक्ति की प्राप्ति की जाती है।

गणेश चतुर्थी के दौरान कौन-कौन सी धार्मिक गतिविधियाँ की जाती हैं?

गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं, पूजा-अर्चना की जाती है, आरती और भजन किए जाते हैं, और पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे मोदक बनायी जाती हैं। अंत में गणेश की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है।

2024 में गणेश चतुर्थी की विशेषता क्या होगी?

2024 में गणेश चतुर्थी पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। यह पर्व लोगों को एकत्रित करने और आस्था को प्रकट करने का महत्वपूर्ण अवसर रहेगा।

गणेश चतुर्थी पर किस प्रकार की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं?

गणेश चतुर्थी पर घरों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मूर्तियाँ विभिन्न आकार और स्वरूप में स्थापित की जाती हैं। ये मूर्तियाँ पारंपरिक से लेकर आधुनिक डिज़ाइन में हो सकती हैं।

गणेश चतुर्थी के विसर्जन का महत्व क्या है?

गणेश चतुर्थी के विसर्जन का उद्देश्य भगवान गणेश को उनके निवास स्थान पर वापस भेजना और उनके आशीर्वाद को जीवन में बनाए रखना है। विसर्जन के दिन बड़े जुलूस निकाले जाते हैं और गणेश जी की मूर्तियाँ जल में विसर्जित की जाती हैं।

गणेश चतुर्थी पर कौन-कौन सी विशेष मिठाइयाँ बनाई जाती हैं?

गणेश चतुर्थी पर विशेष रूप से मोदक, लड्डू, और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। मोदक गणेश जी की प्रिय मिठाई है और इसे इस पर्व पर विशेष रूप से तैयार किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा विधि क्या है?

गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा विधि में गणेश जी की मूर्ति को सजाना, धूप-दीप लगाना, भजन-कीर्तन करना और विभिन्न प्रकार की पूजा सामग्री अर्पित करना शामिल है। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती की जाती है।

गणेश चतुर्थी के दिन क्या व्रत रखा जाता है?

गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले भक्त गणेश जी की पूजा करते हैं, विशेष प्रकार के भोजन का सेवन करते हैं, और अपने पापों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं।

गणेश चतुर्थी का पर्व भारतीय संस्कृति में कैसे योगदान देता है?

गणेश चतुर्थी भारतीय संस्कृति में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देती है। यह पर्व लोगों को एक साथ लाकर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

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MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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