Ganeshji ki Aarti भगवान श्री गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “सिद्धि विनायक” के रूप में जाना जाता है, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं। उनकी आरती, “जय गणेश देवा,” हर भक्त के मन में विशेष स्थान रखती है। यह आरती न केवल भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करती है, बल्कि उनके प्रति श्रद्धा और आस्था को भी प्रकट करती है।
गणेश जी की आरती गाने से जीवन में शुभता आती है, सभी कष्ट दूर होते हैं, और मन को शांति मिलती है। आइए, आरती के साथ कुछ सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी जानते हैं।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जिसकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय गणेश देवा० ॥
हार चढ़त फूल चढ़त और चढ़त मेवा
लडुवन को भोग लागत सन्त करे सेवा ॥ जय गणेश देवा० ॥
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
माथे पे सिन्दुर सोहे (मुसे की सवारी) २
दुखियों के दुख हरे, परमानन्द देवा ॥ जय गणेश देवा० ॥
अन्धन को आँख देवे कोढ़ीयन को काया
बाँझन को पुत्र देवे (निर्धन को माया) २
भव से पार करो नाथ, भजन करूँ तेरा ॥ जय गणेश देवा० ॥
जो तेरा ध्यान करे ज्ञान मिले उसको
छोड़ तुझे और भला (ध्याऊँ मैं किसको) २
हे देव कृपा करो, कष्ट हरो मेरा ॥ जय गणेश देवा०
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FAQs
आरती गाने का सही समय क्या है?
गणेश जी की आरती सुबह और शाम के समय की जाती है। विशेष अवसरों पर जैसे गणेश चतुर्थी पर, इसे दिन में कई बार गाया जा सकता है।
गणेश जी की आरती में क्या सामग्री उपयोग की जाती है ?
आरती के लिए दीपक, फूल, लड्डू, अगरबत्ती, और चंदन का उपयोग किया जाता है।
गणेश जी की आरती क्यों की जाती है?
गणेश जी की आरती करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
क्या गणेश जी की आरती रोज करनी चाहिए?
हां, नियमित रूप से गणेश जी की आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुखद वातावरण बना रहता है।
गणेश जी का प्रिय भोग क्या है?
गणेश जी को मोदक (लड्डू) सबसे प्रिय है। आरती के दौरान उन्हें यह भोग लगाना शुभ माना जाता है।
आरती के बाद क्या करना चाहिए?
आरती के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है और गणेश जी को धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है।