गला बैठने का कारण–
(क) जोर-जोर से ऊँची आवाज में भाषण या बातचीत करने के कारण होता हैं।
सामग्री और विधि –
कच्चा सुहागा आधा ग्राम (मटर के बराबर सुहागे का टुकड़ा) मुँह में रखें और रस चूसते रहें। उसके गल जाने के बाद स्वरभंग तुरन्त आराम हो जाता है। दो-तीन घंटों में ही गला बिल्कुल साफ हो जाता है। उपदेशकों और गायकों की बैठी हुई आवाज खोलने के लिए अत्युत्तम है।
(ख) गर्म खाने के पश्चात् ठंडा पानी पीने के कारण गला पकड़ना |
सामग्री और विधि–
सोते समय एक ग्राम मुलहठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रखकर सोएँ रहें। प्रातःकाल तक गला अवश्य साफ हो जायेगा। मुलहठी चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर लिया जाय तो और भी आसान और उत्तम रहेगा। इससे प्रातः गला खुलने के अतिरिक्त गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है।
(ग) सर्दी, जुकाम के कारण यदि गला बैठ गया हो ।
सामग्री और विधि–
रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जायें। सर्दी-जुकाम, स्वरभंग ठीक हो जाएगा। बताशे न मिलें तो काली मिर्च व मिश्री मुँह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है।
विकल्प-
भोजन के पश्चात् दस काली मिर्च का चूर्ण घी के साथ चाटें अथवा दस बताशे की चासनी में दस काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटें।साधारण दमा (श्वास)’ के अन्तर्गत दिया गया सुहागा का फूला और मुलहठी वाला प्रयोग भी लाभप्रद है।
स्वरभंग में पथ्य-(diet in hoarseness)
चपाती, दूध, हलुवा, गरम-गरम खाएँ। पानी भी गरम या गुनगुना पीएँ। बहुत अधिक चिल्लाने या बोलने से जब आवाज बैठ जाए तो मौन रखना ठीक रहता है।
अपथ्य (unhealthy) –
सिगरेट, बीड़ी, अतिशीतल पेय, शराब आदि |