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8. नेत्र-ज्योतिवर्धक (चश्मा छुड़ाने के लिए) (Eyesight enhancer)

नेत्र-ज्योतिवर्धक (चश्मा छुड़ाने के लिए)

 नेत्र-ज्योतिवर्धक (चश्मा छुड़ाने) के लिए सामग्री एवं विधि–

बादाम-गिरी, सौंफ (बड़ी) स्वच्छ की हुई, मिश्री कूजा तीनों को बराबर- बराबर लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर किसी काँच के बर्तन में रख लें। प्रतिदिन रात में सोते समय १० ग्राम की मात्रा में २५० ग्राम दूध के साथ चालीस दिन तक निरन्तर लेते रहने से दृष्टि इतनी तेज हो जाती है कि चश्मे की आवश्यकता ही नहीं रहती। इसके अतिरिक्त इससे दिमागी कमजोरी, दिमाग की गर्मी, दिमागी फितूर और बातों को भूल जाने की बीमारी भी दूर हो जाती है।

विशेष–

(१) बच्चों को आधी मात्रा दें। पूर्ण लाभ के लिए दवा के सेवन के दो घंटे बाद तक पानी न पीएँ। नेत्र ज्योति के साथ-साथ याददाश्त भी बढ़ेगी।
(२) कूजा मिश्री न मिले तो साधारण मिश्री का प्रयोग भी कर सकते हैं। कूजा मिश्री मिट्टी के बर्तन या कूजे की सहायता से एक विशेष विधि से बनाई जाती है। यह अधिक शीतल मानी जाती है।

सहायक उपचार–

(१) सुबह उठते ही मुँह में ठंडा पानी भरकर मुँह फुलाकर ठंडे जल से आँखों पर छींटे लगाने चाहिए। ऐसा दिन में तीन बार करें।
(२) त्रिफला-जल से आँखें धोना-आँवला, हरड़ और बहेड़ा (गुठली सहित) समान मात्रा में लेकर उन्हें यवकूट (थोड़ा-सा कूटकर) कर लें और किसी शीशी में भरकर रख लें। प्रतिदिन शाम को इसमें से १० ग्राम त्रिफला चूर्ण को कोरे मिट्टी या शीशे के पात्र में एक गिलास पानी (२०० ग्राम) में भिगो दें। सुबह इसको मसलकर छान लें। फिर इसके निथरे हुए पानी से हल्के हाथ से नेत्रों में खूब छींटे लगाकर धो लिया करे। इससे न केवल आँखों की ज्योति की रक्षा की जाती है, बल्कि नजर तेज होती है तथा आँखों की अनेक बीमारियाँ ठीक होती है। इस त्रिफला-जल से लगातार महीने दो महीने आँखों में छपके मारने से आँखों से कम सूझना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना, सिर घूमना, आँखों में उष्णता, रोहे, खुजली, पीड़ा, लाली, जाला, मोतियाबिन्द आदि सभी चक्षु रोगों का नाश होता है।
(३) सूरज किरण चिकित्सा में हरे पानी (हरी बोतल में दिन भर धूप में रखकर बनाया गया सूर्यतप्त पानी जो अगले दिन सुबह तक स्वाभाविक रूप से ठंडा हो गया हो) से दिन में दो-तीन बार आँखें धोते रहने से नेत्र-ज्योति बढ़कर चश्मा तक छूट जाता है।
(४) पैर के तलवों में सरसों के तेल की प्रतिदिन मालिश करने और नहाने से पहले पैर के अंगूठे तेल से तर करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है तथा आँखों के रोग नहीं होने पाते।
(५) गाजर, टमाटर का सेवन करें। दिन में दो बार आधा गिलास की मात्रा में गाजर का रस दो-तीन महीनों तक पीएँ |

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