मकर संक्रांति व्रत विधि

भारत में मकर संक्रांति का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इस पर्व को मनाया जाता है। यह पर्व कृषि, धर्म और समाज में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन सूर्य देव की पूजा, स्नान और दान के कार्य विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

मकर संक्रांति व्रत का महत्व

मकर संक्रांति को धर्म और संस्कृति में एक शुभ दिन माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गंगा, यमुना, नर्मदा, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, यह दिन दान और गरीबों की मदद करने के लिए आदर्श माना गया है।

मकर संक्रांति व्रत विधि का सही तरीका

1. सुबह जल्दी उठें:
पर्व के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।

2. पवित्र जल से अभिषेक:
स्नान के बाद घर के पूजा स्थान पर गंगाजल से भगवान सूर्य का अभिषेक करें।

3. सूर्य देव को अर्घ्य दें:
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे में जल, लाल फूल और चावल डालें। “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।

4. व्रत और पूजा करें:
मकर संक्रांति के दिन व्रत रखें और भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें। तिल, गुड़, और खिचड़ी का प्रसाद बनाएं।

5. दान का विशेष महत्व:
इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, और कपड़ों का दान करें। यह पुण्य प्राप्ति का मार्ग है। गरीबों को भोजन कराना भी शुभ माना गया है।

मकर संक्रांति के अनुष्ठान और परंपराएं

  • तिल-गुड़ का उपयोग:
    तिल-गुड़ इस पर्व के प्रमुख प्रतीक हैं। तिल के लड्डू और खिचड़ी दान करना पुण्यकारी माना गया है।
  • पतंगबाजी:
    भारत के कई राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। यह खुशी और उत्साह का प्रतीक है।
  • महिलाओं की भूमिका:
    महिलाएं इस दिन वायना (कल्पना) निकालती हैं, जिसमें वस्त्र, खाद्य सामग्री और पैसे शामिल होते हैं।

मकर संक्रांति विभिन्न राज्यों में

भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं से मनाया जाता है:

  • उत्तर भारत: खिचड़ी पर्व के रूप में प्रसिद्ध, यहां दान और पतंगबाजी मुख्य आकर्षण हैं।
  • पश्चिम भारत: महाराष्ट्र में इसे ‘तिलगुल पर्व’ कहते हैं, जहां तिलगुल देकर शुभकामनाएं दी जाती हैं।
  • दक्षिण भारत: तमिलनाडु में इसे ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है।
  • पूर्वी भारत: असम में ‘भोगाली बिहू’ मनाया जाता है, जो फसल कटाई का उत्सव है।

मकर संक्रांति पर विशेष व्यंजन

मकर संक्रांति के दिन बनने वाले व्यंजन जैसे तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी और पोंगल बहुत प्रसिद्ध हैं। यह भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि धार्मिक महत्व भी रखता है।

मकर संक्रांति के पर्यावरणीय और सामाजिक पहलू

यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जागरूकता का भी प्रतीक है। पवित्र नदियों को साफ रखने और गरीबों की सहायता करने का संदेश इस दिन दिया जाता है।


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FAQs

मकर संक्रांति का व्रत क्यों रखा जाता है?

मकर संक्रांति का व्रत आत्मशुद्धि और पुण्य लाभ के लिए रखा जाता है। यह व्रत भगवान सूर्य और विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है।

मकर संक्रांति के दिन कौन से दान शुभ माने जाते हैं?

इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, कपड़े, और धन का दान करना शुभ होता है। गरीबों को भोजन कराना भी पुण्यकारी माना गया है।

मकर संक्रांति पर स्नान का क्या महत्व है?

पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है।

क्या मकर संक्रांति केवल भारत में ही मनाई जाती है?

मकर संक्रांति मुख्य रूप से भारत में मनाई जाती है, लेकिन नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति और पोंगल में क्या अंतर है?

मकर संक्रांति और पोंगल दोनों एक ही समय पर मनाए जाते हैं, लेकिन दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहा जाता है और इसका स्वरूप अधिक कृषि-केंद्रित होता है।

पतंग उड़ाने का क्या महत्व है?

पतंगबाजी मकर संक्रांति के दिन खुशी और ऊर्जा का प्रतीक है। यह उत्साह और उमंग का पर्व मनाने का एक तरीका है |

निष्कर्ष

मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक आस्था, सामाजिक सहयोग और प्रकृति के प्रति आदर का संदेश देता है। इस दिन व्रत, पूजा, दान, और शुभ कार्यों का विशेष महत्व है। भारत के हर कोने में यह पर्व एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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