शंख के प्रकार, महत्व और फायदे

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है।

शंख
AI Generated image

हिन्दू धर्म और शंख

हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। जन सामान्य में ऐसी धारणा है कि, जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृ‌द्धि आती है।

वास्तु विज्ञान और शंख

वास्तु विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि शंख में ऐसी खूबियां है जो वास्तु संबंधी कई समस्याओं को दूर करके घर में सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है जिससे घर में खुशहाली आती है।

शंख की ध्वनि

शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती हैं वहां तक की वायु शुद्ध और उर्जावान हो जाती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार सोयी हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जग जाती है।

रोग-कष्ट और शंख

भूमि के जागृत होने से रोग और कष्ट में कमी आती है तथा घर में रहने वाले लोग उन्नति की ओर बढते रहते हैं। भगवान की पूजा में शंख बजाने के पीछे भी यह उ‌द्देश्य होता है कि आस पास का वातावरण शुद्ध पवित्र रहे।

https://amzn.to/4864fSt

शंख के प्रकार

शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती, इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाई तरफ से खुलता है, मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाई तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं।

शंख-अति चमत्कारिक

शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। इन् तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख, गरुड शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शख।

शंख से वास्तु दोष मुक्ति का तरीका

शंख किसी भी दिन घर में लाकर पूजा स्थल में रखा जा सकता है। लेकिन शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग या गुरु पुष्य योग में इसे पूजा स्थल में रखकर इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

क्या रहस्य है शंख बजाने का

मंदिर में आरती के समय शंख बजते सभी ने सुना होगा परंतु शंख क्यों बजाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है यह बहुत कम ही लोग जानते हैं। शंख बजाने के पीछे धार्मिक कारण तो है साथ ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है और शंख बजाने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। शंख की उत्पति कैसे हुई।

धर्म ग्रंथ और शंख

इस संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाश से, आकाश वायु से, वायु अग्नि से, आग जल से और जल पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है। शंख की पवित्रता और महत्व को देखते हुए हमारे यहां सुबह और शाम शंख बजाने की प्रथा शुरू की गई है।

शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ

शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ यह है कि यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से वे दोष दूर होते हैं। शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते हैं जैसे कास, प्लीहा, यकृत, इन्फ्लून्जा, खांसी, दमा, पीलिया, ब्लडप्रेशर या दिल से संबंधित  मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे छुटकारा पाने का एक सरल-सा उपाय है शंख बजाइए और रोगों से छुटकारा पाइए। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद और सेहत

शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृ‌द्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

शंख के जल से शालीग्राम

शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता। यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को निःसंतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।

शंख और लाभ

लाभ अनेक रोज सुबह दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा सा गंगा-जल डालकर सारे घर में छिड़के भूत-प्रेत व दुरात्माओं से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। एक कांच के कटोरे में लघु मोती शंख रखकर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर प्रगाढ़ दाम्पत्य सुख की अनुभूति होगी। पति-पत्नी इससे जल आचमन करके अपने माथे पर अभिषेक करे तो परस्पर वैमनस्य दूर होता है।

घर में दक्षिणावर्ती शंख

घर में दक्षिणावर्ती शंख का वास होने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दक्षिणावर्ती शंख का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपने व्यवसाय-स्थल पर रखें तो आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे। आप अपनी माता मे चावल से भरा एक मोती शंख प्राप्त करें तथा उसे विदेश यात्रा संबंधी कागजात चाख्यान पर रखे तो आपके समस्त विघ्न दूर हो जायेंगे।

व्यापार स्थान में अगवान विष्णु की मूर्ति के नीचे एक दक्षिणावर्ती शंख रख कर इससे रोज पूजन करके गंगा जल अपने कार्यालय में छिड़के तो समस्त बाधाएं समाप्त होकर व्यापार में उन्नति होने लगेगी। रात भर शंख में रखे जल का रोज सेवन करने से रोगों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है। वह इस बात पर निर्भर है कि शंख कितनी शुद्धता व गुणवत्ता का है।

पांचजन्य शंख

वास्तु-दोष शांति के लिए पांचजन्य शंख ही सबसे प्रभावी है। इसका शंखनाद विजय-प्राप्ति का ‌द्योतक है और यह शत्रुओं के हृदय को भयभीत कर देता है।

हीरा शंख

यह शंख प्रेमवर्धन और शुक्र-दोष निवारण के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि इस शंख को अभिमंत्रित करके स्थापित किया जाये तो शुक्र ग्रह की कृपा अनुकूल होती है। यह शंख घर में रखेंगे तो और संपन्न रहेंगे।

बाघ शंख

(भूत-प्रेत और सदृश बाधाओं) (टाइगर शंख) इस शंख को घर में रखने से जातक को किसी पशु का भय नहीं रहता एवं भूत-प्रेत सदृश बाधाओं से भी मुक्ति प्राप्त होती है।

सीप शंख

इस शंख को घर में रखने से आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा मन में एकाग्रता आती है। यह मोतियों का कवच है। जिनका चंद्रमा कमजोर या मन अस्थिर रहता है, उन्हें चंद्रमा की दशा में सीप शंख को गले में धारण करना चाहिए |

गुरु शंख

इस शंख के जल से शालिग्राम जी को (विष्णु प्रतीक शिला) स्नान कराकर तुलसी दल समर्पित करने में स्मरण शक्ति प्रबल होती है शिक्षा के दक्षेत्र में तीव्र गति से प्रगति होती है। विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी है।

शनि शंख

(श्याम शंख) जिनकी साढ़ेसाती चल रही हो या शुरु होने वाली हो. उन्हें यह शंख अपने पास रखना चाहिए। इससे शनि का प्रकोप शांत होता है और आकस्मिक धन-धान्य की प्राप्ति होती है। वस्तुतः शख एक बहुत गुणी यंत्र है, इसे सदा घर में रखना चाहिए। यदि शख की पूजा नित्य तुलसी से ही की जाये तो उस घर में रोग, क्लेश, अशांति व तनाव का प्रवेश नहीं होता। प्रकृति में इतनी सहजता से उत्पन्न होने वाली गंभीर सुर-ध्वनि हमें कई प्रकार से सशक्त व संपन्न बनाती है।

• दिक्कते और शंख शंख घिस कर नेत्र में लगाने से आआआंख की सूजन दूर होती है। शंख भस्म उचित अनुपात में सेवन करने से गुल्म शूल, पित, कफ, रुधिर प्लीहा आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। फसली को पानी देते समय किसी शुभ मुहूर्त में 108 शंखोदक भी मिला लें, फसल बढ़ेगी, अनाज बढ़ेगा। अनाज भंडार में कीड़े मकोड़ों से बचाने के लिए मंगलवार को शखनाद करना चाहिए। त्वचा रोगों में शंख की भस्म को नारियल तेल में मिलाकर आक्रात जगह पर नित्य लगा दें। स्नान करने के पश्चात थोड़ा पानी वहीं लगाकर पोछ दें।

दिन, रात और शंख

रात को शंख भस्म लगायें और सुबह स्नान के पश्चात् शंखोदक से साफ करें। शुद्ध शिलाजीत को गर्म दूध में अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को रोज रात को सोने के पूर्व शख के जरिये पीने से स्मरण शक्ति व शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी। यदि शंख-भस्म के साथ करेले के रस में गाय का दूध सुबह सेवन किया जाए तो मधुमेह का रोग ठीक होता है। एक शंख में पानी भरकर रखें। रात्रि को भोजनोपरात आधे घंटे बाद उस पानी को ग्रहण कर लें। ३ दिन ऐसा करने से पुराने कब्ज से भी मुक्ति प्राप्त होती है|

शंख के फायदे

यदि विष्ण शंख में गंगा जल भरकर रोहिणी, चित्रा व स्वाती नक्षत्रों में गर्भवती को पान करायें तो प्रसव में कोर्ड कष्ट नहीं होगा। संतान भी स्वस्थ व पुष्ट होगी। अन्नपूर्णा शंख में गंगा जल भरकर सुबह-सबेरे पीने से स्वास्थ्य के विकार दूर होते हैं। वास्तव में शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, उसे सदा घर में रखें। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही करें तो घर में क्लेश, दुख- दारिद्रय तथा रोगों का प्रवेश नहीं होता। शंख का पानी यदि थोड़ा-थोड़ा पिया जाये तो हकलाना दूर होता है।

शंख अति लाभकारी

गूंगे व्यक्तियों को नित्य दो घंटे शंख बजाना चाहिए। शंख भस्म का प्रयोग भी गूंगों के लिए लाभदायक है। शंख ध्वनि ‌द्वारा रोगों, राक्षसों, पिशाचों से रक्षा होती है। इसीलिए कहा भी गया है “शंख बाजे बलाय भागे”। शंख ध्वनि से दरिद्रता व दुख दूर होते हैं, आयु-दीर्घायु होती है,

शंख बजाने के कई विशेष लाभ हैं

शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं यथापूरक, कुंभक और प्राणायाम एक साथ सपन्न होती हैं जिससे स्वास्थ्य का विकास, आरोग्यता के साथ आसुरी शक्तियां परेशान नहीं करती हैं। भोग एवं मोक्षदायक अद्‌भुत अलौकिक दुर्लभ शंखों का विवरण इस प्रकार हैं- धन सम्पदादायक कलानिधि शंखः धन प्राप्ति में व्यवधानों के निराकरण हेतु कलानिधि शंख का उपयोग करते हैं। किसी भी पूर्णिमा, प्रदोष, गुरुपुष्य, रविपुष्य योग अथवा नवरात्रों के दौरान इस शंख को उपयोग में लाना चाहिए।

पाप एवं श्राप मुक्तिदायक देवेज्य शंखः देवेज्य शंख विभिन्न पार्पा व श्राप से मुक्ति, जादू-टोने, टोटके से बचाव तथा शांति व समृद्धि हेतु प्रभावकारी माना जाता है। शांतिदायक व कष्ट निवारक दक्षिणावर्ती शंखः दक्षिणावर्ती शंख प्रकृति की अ‌द्भुत भेंट है जो दुर्लभ रूप से प्राप्त होता है। दक्षिणावर्ती शंख सीधे हाथ (दायें हाथ) की तरफ खुलता हुआ दिखाई पड़ता है।

अधिकतर शंख वामावर्ती उत्पन्न होते हैं। लेकिन कुछ मात्रा में दक्षिणावर्ती शंख प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं। आजकल नकली दक्षिणावर्ती शंख अधिक मिलते हैं। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख ही प्रभावकारी होता है।

शांति-प्रदायक-विष्णु शंख

शरीर की तरह घर भी अस्वस्थ, अशांत और बीमार होता रहता है जिससे घर में रहने वाले सदस्यों की स्थिति से घर प्रभावित होता है। घर के लोगों की मनोदशा सुधारने के टिप्स इस प्रकार हैं। घर में अगर लड़ाई-झगड़े बढ़ गये हों तो विष्णु शंख की स्थापना करें। मकान के मुख्य द्वार पर शीशा कभी न लगायें। मकान के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व भाग में फर्श पर दरी या कालीन कभी न बिछायें। घर के सामने सहारा लेकर चढ़ने वाली बेलें कभी न लगाएं। घर में बंद घड़ी न रखें तथा अंदर-बाहर कांटेदार पौधे न लगाएं।

ऐरावत शंख

ऐरावत शंख नारद मुनि ने सिद्ध कर लिया था। इसीलिए वे मनचाहे रुप में संसार में कहीं भी भ्रमण कर सकते थे। यदि यह शंख किसी को प्राप्त हो सके तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं।

नीलकंठ शंख

यदि किसी को कोई विषैला कीड़ा यथा सांप या बिच्छू काट ले तो इस शंख में देशी गाय का मूत्र भरकर काटे हुए स्थान पर उस गो मूत्र को लगाया जाये तो विष शीघ्र उतर जाता है। जिस घर में यह शंख होता है, वहां सांप-बिच्छू जैसा कोई भी जहरीला कीड़ा नहीं रह पाता है।

कामधेनु गोमुखी शंख

कामधेनु गोमुखी शंख के ऊपर का भाग गाय के सींग जैसा प्रतीत होता है। इसकी आकृति के कारण इसको बजाना आसान नहीं होता, परंतु जो लोग इसमें से ध्वनि निकाल सकते हैं उनके फेफड़े बहुत मजबूत हो जाते हैं।

सूर्य शंख (विष्णु शंख)

इसकी आकृति अर्थ-चंद्राकार होने के कारण इसे चंद शंख भी कहते हैं। इसको रखने वाला व्यक्ति दरिद्रता और गरीबी से निश्चित त्राण पाता है।

अन्नपूर्णा शंख

नाम के अनुरूप इस शंख की उपस्थिति घर में धनधान्य की संपन्नता सुनिश्चित करती है। जहां अन्नपूर्णा शंख होगा, वहां कभी किसी चौज का अभाव नहीं होता। मां अन्नपूर्णा का साक्षात् निवास होता है। इसमें रात भर पानी रखकर सुबह पिया जाये तो पेट में कभी कोई विकार नहीं होता।

मोती शंख

उच्चकोटि की गुणवता वाला मोती भी इसी शंख से पैदा होता है। इस शंख में भरकर गंगाजल पान करने हृदय व श्वांस संबंधी रोगों का उपचार होता है।

FAQ’s

शंख बजाने से कौन-कौन से रोग ठीक होते हैं?

शंख बजाने से फेफड़ों के रोग, जैसे खांसी, दमा, पीलिया, और रक्तचाप के साथ-साथ दिल के रोगों में भी लाभ होता है।

शंख कितने प्रकार के होते हैं?

शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं: दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इसके अलावा, लक्ष्मी शंख, गरुड़ शंख जैसे अन्य शंख भी होते हैं।

शंख को घर में कब और कैसे स्थापित करें?

शंख को शुभ मुहूर्त में, जैसे होली, दीपावली, रवि पुष्य योग में घर में स्थापित करना चाहिए। इसे पूजा स्थल में रखकर पूजा करनी चाहिए।

शंख बजाने से क्या वास्तु दोष समाप्त हो सकते हैं?

हाँ, शंख की ध्वनि से वास्तु दोष समाप्त होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

क्या शंख बजाने से मानसिक शांति मिलती है?

शंख बजाने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
शंख बजाना एक प्राचीन और प्रभावशाली उपाय है जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य और वास्तु दोष मुक्ति के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। इसे अपने जीवन में शामिल करें और इसके अद्भुत लाभों का अनुभव करें।

MEGHA PATIDAR
MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

Articles: 297