13. सफल जीवन के चार स्तम्भ

सफल जीवन के चार स्तम्भ

अद्वैत चिन्तक महात्माओं के संग का महत्व

जिस अद्वैत चिन्तक महात्माओं के संग से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चार पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं उन साधु महात्माओं का सत्संग रूपी अमृत का सेवन से आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक इन तीन ताप रूप त्रिदोष से पीड़ित पुरुषों को, इस संसार में आधा क्षण भी अवश्य ही कर्त्तव्य है। क्योंकि जैसे असुरों को और देवताओं को अमृत पिलाने पर राहु आधे क्षण में अमृत पीकर सदा के लिये अमर हो गया।

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के महत्व

ब्रह्म पुराण में कहा है कि ये ही पुरुष भारतवर्ष में उत्पन्न हुए धन्यवाद के योग्य पात्र हैं और वे ही पुरुष नरों में उत्तम कहे जाते हैं। जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पदार्थ रूप महान फल को प्राप्त करते हैं, इन चारों में से जिसने एक भी प्राप्त नहीं किया उसका जन्म व्यर्थ ही है।

मत्स्य पुराण में कहा है कि सर्व पुराणों में, शास्त्रों में, वेदों में तथा इतिहासों में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चार पुरुषार्थ ही कथन किये हैं और इनसे विरुद्ध (अर्थात्) अधर्म, अनर्थ, अकाम, अमोक्ष ये संसार रूप दुर्गति के देने वाले कथन किये हैं।

मानव देह और पुरुषार्थ

शिवपुराण में कहा है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति का परम साधन मनुष्य देह है। शरीर के निरोग न होने पर पुरुषार्थ शास्त्रोक्त धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को प्राप्त नहीं करता है। इस कारण से शुद्ध अन्न, पान, औषधि आदि से शरीर का पालन अवश्य करना चाहिए।

आंतरिक शत्रुओं से रक्षा

याज्ञवलक्योपनिषद् में कहा है कि हे जीव ! तुम यदि अपने साथ अपकार करने वालों पर क्रोध करते हो, तो तुम तुम्हारे साथ में अपकार करने वाले काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि हैं उन पर तुम क्रोध क्यों नहीं करते, क्योंकि ये तुम्हारे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थों को बलात् लूटने वाले हैं।

श्रद्धा, भक्ति, और यथायोग्य साधन

नारद पुराण में विष्णु भगवान् नारदजी से कहते हैं, “हे ब्रह्मनन्दन ! धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष नाम के चार पदार्थ सनातन हैं। इन चारों पदार्थों के अतिरिक्त कोई पाँचवाँ पदार्थ नहीं है, ये चार पदार्थ श्रद्धा, भक्ति और यथायोग्य साधन युक्तों को प्राप्त होते हैं। श्रद्धा आदि साधन रहित पुरुषों को प्राप्त नहीं होते।

युवावस्था में धर्म पालन

बहुत से बुद्धि के बैरी पुरुषों के ऐसे विचार होते हैं किं अभी तो युवा अवस्था है। इसमें खाना पीना रंग तमाशे देखना चाहिये, धर्मादिक साधनों को वृद्धावस्था में करेंगे। अभी क्या है ऐसे अंधों के नेत्र खोलने के लिए नेत्रांजन रूप शिक्षा पद्म पुराण में कही है। अन्धमति वाले जीव वृद्ध अवस्था में धर्मादि का संपादन करना अगर मान भी लें तो क्या तुम्हारे पास वृद्धावस्था को प्राप्त करने की कोई चिट्ठी है ? आज ही राम नाम सत्य हो जाये। शास्त्रों में भी कहा गया है कि इन चारों पुरुषार्थ रूपी पदार्थों को पुरुष वृद्ध अवस्था में प्राप्त नहीं कर सकता, इस कारण से युवावस्था में ही धर्म आदि कार्यों का संपादन कर लेना चाहिए।

MEGHA PATIDAR
MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

Articles: 298