सबसे दुर्लभ शरीर मनष्यों का है। यह शरीर चौरासी लाख योनियों को पार करने के बाद प्राप्त होता है। मनुष्य के समान कोई शरीर नहीं है।
मनुष्य शरीर की विशेषता
चर- अचर सभी जीव इसकी उसकी याचना करते हैं। यह मनुष्य – शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है। तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है।
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मनुष्य शरीर का सदुपयोग
ऐसे मनुष्य- शरीर को धारण (प्राप्त) करके भी जो लोग श्रीहरि का भजन नहीं करते और नीच से भी नीच विषयों में अनुरक्त रहते है, वे पारसमणि को हाथ से फेंक देते हैं, और बदले में काँच के टुकडे ले लेते हैं।
मनुष्य शरीर का दुरुपयोग
जो लोग मनुष्य शरीर मिलने के बाद भी लोभ, मोह, काम आदि के लिए इसका प्रयोग करते हैं, उनका पतन निश्चित है।
ईश्वर की स्मरण और धन्यवाद
मनुष्य जीवन मिला है तो कर्म करना तो आवश्यक है ही, किंतु उसके साथ- साथ कम-से-कम दिन में एक बार तो हमें ईश्वर को याद करना चाहिए और जो की सुख सुविधाएं हमें ईश्वर ने प्रदान की हैं, उसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।
विज्ञान और ईश्वर
विज्ञान की इतनी उन्नति के बाद भी वैज्ञानिक खुद भी यह मानते हैं कि कोई तो ऐसी. अपराजित शक्ति है, जो कहीं न कहीं हमारी सफलता में मददगार हैं।
ईश्वर की भक्ति का महत्व
इसीलिए ईश्वर की भक्ति करना अति आवश्यक हैं, ताकि हम इस जन्म-मृत्यु के बन्धन से मुक्त हो जाएं।
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FAQs–
मनुष्य शरीर को सबसे दुर्लभ क्यों माना जाता है?
मनुष्य शरीर को सबसे दुर्लभ इसलिए माना जाता है क्योंकि यह 84 लाख योनियों को पार करने के बाद प्राप्त होता है। यह शरीर न केवल भोगों का साधन है, बल्कि मोक्ष, स्वर्ग और नरक की ओर भी ले जाने का माध्यम है।
मनुष्य शरीर की विशेषता क्या है?
मनुष्य शरीर की विशेषता यह है कि यह शरीर कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का माध्यम है। अन्य जीव-जंतु भी मनुष्य से अपनी याचना करते हैं, और यही शरीर हमें मोक्ष तक पहुंचने का अवसर देता है।
मनुष्य शरीर का सही उपयोग कैसे किया जा सकता है?
मनुष्य शरीर का सही उपयोग ईश्वर की भक्ति, सत्कर्म और परमार्थ के कार्यों में लगाया जाना चाहिए। जो लोग इस शरीर का उपयोग नीच विषयों और इच्छाओं में करते हैं, वे इसे व्यर्थ गवां देते हैं।
मनुष्य शरीर का दुरुपयोग कैसे होता है?
जो लोग इस दुर्लभ शरीर को लोभ, मोह, और काम में व्यर्थ करते हैं, वे इसका दुरुपयोग करते हैं। इसका परिणाम उनके पतन के रूप में होता है, क्योंकि वे अपने जीवन के उद्देश्य को भूल जाते हैं।
ईश्वर का स्मरण और धन्यवाद क्यों जरूरी है?
ईश्वर ने हमें जो सुख-सुविधाएं दी हैं, उनके लिए हमें उनका धन्यवाद करना चाहिए। ईश्वर का स्मरण करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारा जीवन सही दिशा में है और हमें आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
विज्ञान और ईश्वर के बीच क्या संबंध है?
हालांकि विज्ञान ने काफी उन्नति की है, वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कुछ अपराजित शक्ति, यानी ईश्वर, है जो जीवन और सफलता में मदद करती है। इसलिए, विज्ञान के बावजूद ईश्वर की भक्ति और आस्था का महत्व बना रहता है।