स्वर्ग से आए हुए पुरुषों के गुण:
1. कवित्वमिति-कविता, आरोग्यता, बुद्धिमता:
कवित्वमारोग्यमतीव मेधा स्त्रीणांप्रियत्वं कनकस्य लाभः।
स्वप्नेषु तथ्यं स्वजनेषु पूजा स्वर्गच्युतानां किल चिह्नमेतत् ॥१॥
अर्थ-कवित्वमिति-कविता, आरोग्यता, बुद्धिमता और सुन्दरियों को प्रेम,धन स्वर्णादि का लाभ, स्वप्न में भी चेतनता और अपने सम्बंधियों में मान प्रतिष्टा यह स्वभाव जिस पुरुष में दिखाई दे उनको स्वर्ग से आये हुए जानों ॥
2. स्वर्गस्थितानामिति-दान में प्रेम, मीठी बाणी:
स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि नित्यं हृदये वसन्ति ।
दानप्रसंगो मधुरा च बाणी देवार्चन धार्मिकतर्पणं च ॥२॥
अर्थ-स्वर्गस्थितानामिति-इस संसार में, दान में प्रेम, मीठी बाणी देवताओं की पूजा और संध्यावन्दन तर्पणादि, चारों भाव स्वर्ग से आये हुए पुरुषों में जानों ॥
मनुष्य जन्म में आए हुए गुण:
3. नेति-संतोष, नम्रता, दया:
नातिलोभो विनीतश्च दयादानरुचि दुः ।
प्रसन्नवदनश्चैव मानुष्यादागतो नरः ॥३॥
अर्थ – नेति-संतोष, नम्रता, दया और दान में इच्छा और प्रसन्नता यह सब भाव मनुष्य जन्म में आये हुए मनुष्यों में जानो ॥
पशु योनि से आए हुए गुण:
4. वाह न्शीति-बहुत खाना, असंतोष:
बह्नाशी नैव संतुष्टो मायावी च क्षुधाधिकः ।
स्वप्नमूढोऽतसश्चैवतिर्यग्योन्यागतोनरः ॥४॥
अर्थ- वाह न्शीति-बहुत खाना, असंतोष, झूठी माया, भूख अधिक होनी, निद्रा और आलस यह सब भाव पशु योनि से आये हुए मनुष्य में जानो ॥
नरक से आए हुए गुण:
5. विरोधतेति-सदैव बंध जनों में विरोध:
विरोधता बन्धुजनेषु नित्यं सरोगिता मूर्खजनेषु संग: ।
अतीव रोषी कटुका च वाणी नरस्यचिन्हं नरकागतस्य । ५ ।
अर्थ-विरोधतेति-सदैव बंध जनों में विरोध, मुख से संगति, अत्यन्त क्रोध, कटुबाणी यह सब भाव नरक से आये हुए मनुष्य में जानो ॥