97. सूर्य के नाम एवं अधिकारियों का वर्णन

सूर्य की वार्षिक गति और मासिक गणों का विवरण 

सूर्य की वार्षिक गति

आरोह और अवरोह के द्वारा सूर्य की एक वर्ष में जितनी गति है उस सम्पूर्ण मार्ग की दोनों काष्ठाओं का अन्तर एक सौ अस्सी मण्डल है ॥ सूर्य का रथ [ प्रति मास ] भिन्न – भिन्न आदित्य , ऋषि , गन्धर्व , अप्सरा , यक्ष , सर्प और राक्षसगणों से अधिष्ठित होता है ॥

मासिक गणों का विवरण

1. मधुमास (चैत्र)

मधुमास चैत्र में सूर्य के रथ में सर्वदा धाता नामक आदित्य , क्रतुस्थला अप्सरा , पुलस्त्य ऋषि , वासुकि सर्प , रथभृत् यक्ष , हेति राक्षस और तुम्बुरु गन्धर्व – ये सात मासाधिकारी रहते हैं ॥

2. वैशाख

तथा अर्यमा नामक आदित्य , पुलह ऋषि , रथौजा यक्ष , पुंजिकस्थला अप्सरा , प्रहेति राक्षस , कच्छ और नारद नामक गन्धर्व – ये वैशाख – मासमें सूर्यके रथपर निवास करते हैं ।

3. ज्येष्ठ

अब ज्येष्ठ – मास में [ निवास करनेवालों के नाम ] उस समय मित्र नामक आदित्य , अत्रि ऋषि , तथ सर्प , पौरुषेय राक्षस , मेन का अप्सरा , हाहा गन्धर्व और रथस्वन नामक यक्ष- ये उस रथ में वास करते हैं ॥

4. आषाढ़

आषाढ़ – मास में वरुण नामक आदित्य , वसिष्ठ ऋषि नाग सर्प , सहजन्या अप्सरा , हूहू गन्धर्व , रथ राक्षस और रथचित्र नामक यक्ष उसमें रहते हैं ॥

5. श्रावण

श्रावण – मास में इन्द्र नामक आदित्य , विश्वावसु गन्धर्व स्रोत यक्ष , एलापुत्र सर्प , अंगिरा ऋषि , प्रलोचा अप्सरा और सर्पि नामक राक्षस सूर्य के रथ में बसते हैं ॥

6. भाद्रपद

भाद्रपद में विवस्वान् नामक आदित्य , उग्रसेन गन्धर्व , भा ऋषि , आपूरण यक्ष , अनुम्लोचा अप्सरा , शंखपाल सर्प और व्याघ्र नामक राक्षसका उसमें निवास होता है ॥

7. आश्विन

आश्विन – मास में पूषा नामक आदित्य , वसुरुचि गन्धर्व , वात राक्षस , गौतम ऋषि , धनंजय सर्प , सुषेण गन्धर्व और घृताची नामकी अप्सराका उसमें वास होता है ॥

8. कार्तिक

कार्तिक – मास में उसमें विश्वावसु नामक गन्धर्व , भरद्वाज ऋषि , पर्जन्य आदित्य , ऐरावत सर्प , विश्वाची अप्सरा , सेनजित् यक्ष तथा आप नामक राक्षस रहते हैं ॥

9. मार्गशीर्ष

मार्गशीर्ष के अधिकारी अंश नामक आदित्य , काश्यप ऋषि , तार्क्ष्य यक्ष , महापद्म सर्प , उर्वशी चित्रसेन अप्सरा , गन्धर्व और विद्युत् नामक राक्षस हैं ॥

10. पौष

पौष – मास में क्रतु ऋषि , भग आदित्य , ऊर्णायु गन्धर्व , स्फूर्ज राक्षस , कर्कोटक सर्प , अरिष्टनेमि यक्ष तथा पूर्वचित्ति अप्सरा जगत्को प्रकाशित करनेके लिये सूर्यमण्डल में रहते हैं ॥

11. माघ

त्वष्टा नामक आदित्य , जमदग्नि ऋषि , कम्बल सर्प , तिलोत्तमा अप्सरा , ब्रह्मोपेत राक्षस , ऋतजित् यक्ष और धृतराष्ट्र गन्धर्व – ये सात माघ – मासमें भास्करमण्डलमें रहते हैं । 

12. फाल्गुन

फाल्गुन – मास में सूर्य के रथ में रहते हैं उनके नाम सुनो ॥ वे विष्णु नामक आदित्य , अश्वतर सर्प , रम्भा अप्सरा , सूर्यवर्चा गन्धर्व , सत्यजित् यक्ष , विश्वामित्र ऋषि और यज्ञोपेत नामक राक्षस हैं ॥

सूर्य रथ की गतिविधियाँ

इस प्रकार विष्णुभगवान्की शक्तिसे तेजोमय हुए ये सात – सात गण एक – एक मासतक सूर्यमण्डलमें रहते हैं ॥ मुनिगण सूर्यकी स्तुति करते हैं , गन्धर्व सम्मुख रहकर उनका यशोगान करते हैं , अप्सराएँ नृत्य करती हैं , राक्षस रथके पीछे चलते हैं , सर्प वहन करनेके अनुकूल रथको सुसज्जित करते हैं और यक्षगण रथकी बागडोर सँभालते हैं ।

नित्य सेवक

नित्य सेवक बालखिल्यादि इसे सब ओरसे घेरे रहते हैं ॥ सूर्यमण्डलके ये सात सात गण ही अपने – अपने समयपर उपस्थित होकर शीत , ग्रीष्म और वर्षा आदिके कारण होते हैं ॥

MEGHA PATIDAR
MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

Articles: 296