मानवता का कर्तव्य

प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि वह दूसरे मानव की रक्षा करे। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। मानव विकास प्राथमिक कर्मयोग है।

विश्व में अशांति

आज विश्व मैं हाहाकार मचा है। मानव ही मानव के रक्त का प्यासा बन बैठा है। गलाकाट प्रतियोगिता ने उनको एक-दूसरे का शत्रु बना दिया है। भौतिकवाद और पदार्थवाद ने लोगों को असहिष्णु और अमर्यादित बना दिया है। इस कारण संसार जल रहा है। इसकी आंच से सभी झुलस रहे हैं।

सत्य और ईश्वर से विमुखता

न कोई सत्य को समझना चाहता है, न ईश्वर को देखना चाहता है। मानव अपने को भी पहचानना नहीं चाहता। यानी अपने को ही भुला बैठा है। इसलिए सर्वत्र अशांति का रोग और अव्यवस्था का भोग है।

स्वधर्म का महत्व

इसके निदान के लिए हम एक हैं का भाव हर मानव का स्वधर्म ‘होना चाहिए। इसका अर्थ अपने आंत्मा के अनुश्रवण से है। यदि संसार में हर एक मनुष्य स्वधर्म निभाए, अपने आत्मा की बात सुन तो कोई विकार न होगा, कोई शिकार न होगा। सबसे पहले तो स्वधर्म ही मानना चाहिए,तत्पश्चात कोई अन्य धर्म। वैसे भी स्वधर्म हीसदैव अपने निकटतम रहता है।

आत्मा की आवाज़

आत्मा ही सबसे बड़ा धर्म है। जो मानव आत्मा की आवाज सुनने का सामर्थ्य रखता है, वही महामानव है। आत्मा सदा-सदा से पुकार रहा है कि हम सब एक हैं। मन और बुद्धि अवश्य इसे विचलित करते हैं। दोनों हर मानव का धर्म पृथक-पृथक बताते हैं।,जबकि शरीर में व्याप्त चेतना मानवता को ग्रहण करती है, जो शुद्ध जीवन पद्धति है।

आत्मयोग और आत्मबोध

मानव के लिए मानव, यही आत्मयोग है। यही आत्मबोध है। आत्म अनुशीलन, आत्म निरीक्षण, आत्म साक्षात्कार से प्रकट होगा कि मानव ईश्वर का प्रतिनिधि है। मानव तभी ईश्वर का दूत होता है, जब आत्मा के संन्निकट होता है।

एकता का अनुभव

सभी ऐसा अनुभव करें तो मानव-मानव के मित्र बन जाएंगे। वे एक-दूसरे के हितैषी और सदैव साथ देने वाले मित्र बन जाएंगे।फिर आकाश गूंज उठेगा-हम एक हैं।

FAQs-

मानवता क्या है और इसका महत्व क्या है?

मानवता एक ऐसा गुण है जो हमें अन्य लोगों के प्रति सहानुभूति, दया और सहायता करने के लिए प्रेरित करता है। यह सबसे बड़ा धर्म है क्योंकि यह सभी धर्मों और संस्कृतियों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।

विश्व में अशांति का मुख्य कारण क्या है?

विश्व में अशांति का मुख्य कारण भौतिकवाद और असहिष्णुता है। लोग एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए अमर्यादित हो गए हैं, जिससे समाज में तनाव और हिंसा बढ़ी है।

मानवता का प्रसार कैसे किया जा सकता है?

मानवता का प्रसार सत्य, ईश्वर और आत्मा की आवाज़ को सुनने से किया जा सकता है। जब हम अपने आंतरिक स्वधर्म को मानते हैं और आत्मा की आवाज़ सुनते हैं, तो हम मानवता के मार्ग पर चलते हैं।

स्वधर्म का पालन क्यों महत्वपूर्ण है?

स्वधर्म का पालन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें आत्मा की सच्ची आवाज़ सुनने और जीवन के सही मार्ग पर चलने में मदद करता है। स्वधर्म के माध्यम से, हम आत्मबोध और आत्मयोग प्राप्त कर सकते हैं।

आत्मयोग और आत्मबोध का मानवता से क्या संबंध है?

आत्मयोग और आत्मबोध मानवता से गहराई से जुड़े हुए हैं। आत्मा का अनुशीलन और आत्म निरीक्षण हमें यह समझने में मदद करते हैं कि हम सभी एक हैं, और यह समझ मानवता को बढ़ावा देती है।

एकता का अनुभव कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

एकता का अनुभव आत्मबोध और आत्मयोग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जब हम आत्मा की सच्ची आवाज़ सुनते हैं, तो हम सभी को एक साथ अनुभव करते हैं, जिससे मानवता और एकता की भावना मजबूत होती है।

Deepika Patidar
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Deepika patidar is a dedicated blogger who explores Hindu mythology through ancient texts, bringing timeless stories and spiritual wisdom to life with passion and authenticity.

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