जानिए शास्त्रों के अनुसार, जब संन्यासी या महात्मा देह त्यागते हैं, तो उनके शरीर का संस्कार कैसे किया जाना चाहिए।
By Megha patidar
ब्रह्मज्ञान प्राप्त महात्माओं का शरीर ज्ञान की अग्नि में पहले ही दग्ध हो चुका होता है, इसलिए उनका अग्निदाह नहीं किया जाता।
श्रीराम को आकाशवाणी से निर्देश मिला कि लक्ष्मणजी का शरीर अग्निदाह योग्य नहीं है, क्योंकि वे अद्वैत ज्ञान में लीन हो चुके थे।
विदुर का अंतिम संस्कार क्यों नहीं हुआ?
ब्रह्मज्ञानी महात्माओं का शरीर या तो पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाता है या पृथ्वी में उचित विधि से दफनाया जाता है।
गंगा में शरीर प्रवाहित करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए महात्माओं के लिए यह विशेष महत्व रखता है।
श्राद्ध और अन्य क्रियाएँ क्यों नहीं की जातीं?
महात्माओं के लिए श्राद्ध या क्रियाएँ नहीं की जातीं क्योंकि वे अपने जीवन में ही सभी बंधनों से मुक्त हो चुके होते हैं।
जैसे पकाए हुए पदार्थ का पुनः पकना नहीं हो सकता, वैसे ही ब्रह्मज्ञानी महात्माओं का शरीर अग्निदाह योग्य नहीं होता।
जब कोई महात्मा ब्रह्मज्ञान में स्थिर होकर देह त्याग करता है, तो उसका शरीर पहले ही ज्ञानाग्नि में जल चुका होता है, इसलिए उसे अग्निदाह की आवश्यकता नहीं होती।