अहोई अष्टमी व्रत कथा: माँ की भक्ति और आशीर्वाद की कहानी 

Deepika patidar

यह त्योहार माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई के लिए किया जाता है। 

अहोई अष्टमी माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए किया जाने वाला व्रत है। यह कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

अहोई अष्टमी का महत्व

एक महिला जिसने गलती से मिट्टी खोदते समय एक शावक की हत्या कर दी, जिसके कारण उसके बच्चों पर संकट आ गया। उसने पश्चाताप के लिए अहोई माता का व्रत रखा और प्रार्थना की, जिससे माता ने उसके बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया।

अहोई अष्टमी की कथा

अहोई अष्टमी कैसे मनाई जाती है?

माताएँ सूर्योदय से व्रत शुरू करती हैं और तारे दिखाई देने तक बिना भोजन और पानी के रहती हैं। दीवार पर अहोई माता की छवि बनाकर उनकी पूजा की जाती है और अन्न, मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।

कौन हैं अहोई माता?

अहोई माता को बच्चों की रक्षक के रूप में पूजा जाता है। वे मातृत्व के प्रतीक हैं और माँ और बच्चे के बीच के अटूट प्रेम को दर्शाती हैं। इस दिन माताएँ अपने बच्चों के लिए उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं।

अहोई अष्टमी पर व्रत तब तक नहीं तोड़ा जाता जब तक तारे नहीं दिखते। तारे माँ और बच्चे के रिश्ते की अनंतता का प्रतीक हैं, जो यह दर्शाता है कि देवी का आशीर्वाद पीढ़ियों तक बना रहता है।

अहोई अष्टमी में तारों का महत्व क्या है?