रूप चौदस ,बैकुण्ठी चौदस (नरक चौदस)

रूप चौदस का महत्व

रूप चौदस को बैकुण्ठी चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन यमराज और हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन को बुराई, पाप और नकारात्मकता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन तेल और उबटन से स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है और व्यक्ति का रूप निखरता है।

पापों से मुक्ति का अवसर

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए व्रत और पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मृत्यु के बाद नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यमराज को प्रसन्न करने और मृत्यु के भय से बचने के लिए इस दिन विशेष पूजा-विधि अपनाई जाती है।

कैसे करें नरक चतुर्दशी की पूजा?

इस दिन तेल, उबटन से मालिश करके सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और शाम के समय चौदह दीये जलाकर उनका पूजना करनी चाहिए। इसी दिन यमराज के लिए भी एक तेल का दीपक अवश्य ही जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके सड़क में रखना चाहिए।

हनुमान जी का जन्मोत्सव

नरक चतुर्दशी के दिन पवनपुत्र हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। इस कारण यह दिन उनके भक्तों के लिए विशेष होता है। भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा और आराधना करते हैं ताकि वे उनके आशीर्वाद से संकटों से मुक्त रह सकें।

राजा रंति देव की कथा

कहानी : हजारों वर्ष पहले एक “रंति देव” नामक राजा था। वह दानी एवं बड़ा ही धर्मात्मा था। अंत समय आने पर जब यमराज के दूत उसे लेने आए तथा बोले – “राजन! तुम्हें नरक में चलना है।”

इस बात को सुनकर राजा बहुत घबराया और यमदूतों से नरक में चलने का कारण पूछने लगा। यमदूतों ने कहा- “आपने जो दान, धरम किया है, जैसे तो विश्व जानता है, किन्तु जो पापकर्म किया है, उसे केवल धर्मराज ही जानते हैं।” तब राजा बोले-“जो पाप मुझसे हुआ है, मुझे भी बताओ, जिससे पाप का निवारण हो सके।”

यमदूत बोले- “एक बार तेरे द्वार से भूख से दुःखी एक ही लौट गया था, इस कारण तुम्हें नरक की प्राप्ति हुई है।” ब्राह्मण भूखा यह सुन राजा ने यमदूतों से एक वर्ष आयु बढ़ाने की विनती की। यमदूतों ने विनती को स्वीकार कर राजा की आयु एक वर्ष बढ़ा दी।

राजा ने ऋषि के पास जाकर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा, तब ऋषियों ने बताया कि- “राजन! तुम कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रखकर भगवान कृष्णजी का पूजन करना और ब्राह्मण भोजन कराना तथा उनको दान-दक्षिणा देकर उनको अपना अपराध सुनाकर क्षमा माँगना। तब तुम दोषमुक्त हो पाओगे।” राजा ने ऋषियों के बताए अनुसार श्रद्धा के साथ व्रत किया, जिससे अंत समय में राजा विष्णुलोक को प्राप्त हुआ।

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FAQs

नरक चतुर्दशी किसे कहते हैं?

नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाई जाती है और इसे रूप चौदस भी कहा जाता है। यह दिन यमराज और हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है।

नरक चतुर्दशी पर तेल स्नान का क्या महत्व है?

तेल स्नान से शरीर की शुद्धि होती है और इसे पापों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक माना गया है।

चौदह दीपक जलाने का क्या उद्देश्य है?

चौदह दीपक यमराज की प्रसन्नता के लिए जलाए जाते हैं। इसे मृत्यु के बाद नरक से मुक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

यमराज के लिए दीपदान क्यों किया जाता है?

यमराज के लिए दीपदान मृत्यु के भय से मुक्ति पाने और नरक के कष्टों से बचने के लिए किया जाता है।

इस दिन हनुमान जी की पूजा का क्या महत्व है?

हनुमान जी का जन्म नरक चतुर्दशी के दिन हुआ था। इसलिए उनके भक्त इस दिन उनकी पूजा करते हैं ताकि वे संकटों से मुक्त रह सकें।

नरक चतुर्दशी का पौराणिक संदर्भ क्या है?

राजा रंति देव की कथा इस दिन के महत्व को बताती है कि किस प्रकार इस दिन व्रत और पूजा से पापों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।


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Deepika patidar is a dedicated blogger who explores Hindu mythology through ancient texts, bringing timeless stories and spiritual wisdom to life with passion and authenticity.

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