कार्तिक पूर्णिमा का व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, शिव, और माता गंगा की पूजा-अर्चना के लिए पवित्र माना जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही इस मास का समापन होता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी और शुभ है। इस वर्ष 2024 में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी।
इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि इसे गुरु नानक जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म इसी दिन हुआ था, और इस कारण सिख समुदाय के लिए यह दिन विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को “त्रिपुरी पूर्णिमा” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। साथ ही, इसे भगवान विष्णु की उपासना के लिए भी विशेष माना जाता है, क्योंकि कार्तिक मास की पूर्णिमा को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गुरु नानक जयंती का महत्व
इस दिन गुरु नानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है। सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से सत्य, धर्म, और मानवता का संदेश दिया। उनके जन्मदिवस पर सिख समुदाय में गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां कीर्तन, कथा, और लंगर का आयोजन होता है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले व्रत की विधि सरल और श्रद्धापूर्ण होती है। इस दिन व्रत करने वाले भक्त भगवान विष्णु, शिव, और माता गंगा की पूजा करते हैं। व्रत की मुख्य विधि निम्नलिखित है:
- स्नान: सूर्योदय से पूर्व ही पवित्र नदी या किसी तीर्थस्थल पर स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर स्नान कर पवित्र जल का उपयोग करें।
- दीपदान: कार्तिक मास में दीपदान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन जल में दीप छोड़ने की प्रथा है, जिसे “दीपदान” कहा जाता है। भक्त नदी, सरोवर या तालाब में दीप प्रवाहित करते हैं। यह कार्य विशेष पुण्यफल देने वाला माना जाता है।
- ब्राह्मण भोजन एवं दान: इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने का विशेष महत्व है। साथ ही अन्न, वस्त्र, द्रव्य आदि का दान भी पुण्यकारी माना जाता है।
- भगवान विष्णु और शिव की पूजा: घर पर भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए। तुलसी की माला और दीपक अर्पित करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- हवन: हवन का आयोजन भी इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है। हवन में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करना पुण्यकारी माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के लाभ
कार्तिक पूर्णिमा व्रत करने से अनेक लाभ होते हैं। यह व्रत पापों का नाश करने वाला, मोक्ष प्रदान करने वाला, और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करने वाला माना गया है। इस दिन किए गए पुण्य कार्य कई गुना फल देते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और पवित्र जल में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
Read our another post – शिवाष्टक
FAQs
कार्तिक पूर्णिमा व्रत का क्या महत्व है?
कार्तिक पूर्णिमा व्रत का महत्व भगवान विष्णु, शिव और गंगा माता की उपासना से जुड़ा हुआ है। इस दिन पवित्र जल में स्नान और दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत कौन कर सकता है?
यह व्रत हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी आयु वर्ग या वर्ग का हो। विशेष रूप से हिंदू धर्म में इसे हर भक्त के लिए पुण्यकारी माना गया है।
गुरु नानक जयंती किस कारण मनाई जाती है?
गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने सत्य और मानवता का संदेश दिया।
क्या कार्तिक पूर्णिमा पर हवन करना आवश्यक है?
हवन करना आवश्यक नहीं है, लेकिन इसे करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह शुद्धिकरण और भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कौन-कौन से दान करना चाहिए?
इस दिन अन्न, वस्त्र, द्रव्य, दीपक आदि का दान विशेष फलदायी माना जाता है। ब्राह्मण भोजन कराना भी शुभ माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा कब है?
इस वर्ष 2024 में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को है।
निष्कर्ष
कार्तिक पूर्णिमा व्रत एक ऐसा पर्व है, जो धार्मिक आस्था और पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन भगवान की भक्ति और पुण्य कार्यों से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। यह पर्व केवल धार्मिक कार्यों का ही नहीं, बल्कि समाज में दान, परोपकार, और सद्भावना का भी संदेश देता है।