वरुणी पर्व 2025

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वरुणी पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष रूप से जल देवता वरुण को समर्पित किया जाता है। यह पर्व फाल्गुन या चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में, वरुणी पर्व 27 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

वरुणी पर्व से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वरुण देव समुद्र और नदियों के स्वामी हैं। एक बार जब पृथ्वी पर जल संकट हुआ, तब ऋषि-मुनियों ने वरुण देव की तपस्या की। प्रसन्न होकर वरुण देव ने वर्षा करके धरती को जल से पुनः जीवित किया। तभी से वरुणी पर्व मनाया जाता है।

वरुणी पर्व का पौराणिक महत्व

वरुण देव को हिंदू धर्म में जल के देवता और ब्रह्मांड के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है। स्कंद पुराण और अन्य हिंदू ग्रंथों में वरुणी पर्व के महत्त्व का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इस दिन जल में विशेष ऊर्जा होती है, जो आत्मा को शुद्ध करती है और पापों का नाश करती है। इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है, जब देवताओं और असुरों को अमृत की प्राप्ति हुई थी।

वरुणी पर्व 2025: पूजा विधि

इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

पवित्र स्नान

  • सूर्योदय से पहले गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  • यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

वरुण देव की पूजा

  • जल से भरे कलश पर नारियल रखकर वरुण देव का आवाहन करें।
  • “ॐ वरुणाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • जल, दूध, फूल, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
  • दीपक जलाकर भगवान वरुण की आरती करें।

दान और व्रत

  • इस दिन जरूरतमंदों को जल, अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करने का विशेष महत्व है।
  • कुछ लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं और संध्या के समय फलाहार ग्रहण करते हैं।

वरुणी पर्व के लाभ

  1. पापों से मुक्ति – इस दिन स्नान और पूजा करने से जीवन के नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
  2. मानसिक शांति – भगवान वरुण की कृपा से व्यक्ति के मन में शांति और स्थिरता आती है।
  3. आरोग्य और समृद्धि – जल तत्व से जुड़े होने के कारण यह पर्व सेहत और आर्थिक समृद्धि में सहायक होता है।
  4. राशियों पर शुभ प्रभाव – इस पर्व पर की गई पूजा विभिन्न राशियों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

वरुणी पर्व 2025: शुभ मुहूर्त

  • त्रयोदशी तिथि आरंभ: 26 मार्च 2025, रात्रि 10:50 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 27 मार्च 2025, रात्रि 08:15 बजे

वरुणी पर्व से जुड़े अन्य पर्व और मान्यताएं

वरुणी पर्व का संबंध अन्य जल संबंधित पर्वों से भी है, जैसे कि गंगा दशहरा, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो जल तत्व से जुड़े कार्यों में संलग्न होते हैं, जैसे मछली पालन, कृषि और समुद्री व्यापार।

निष्कर्ष

वरुणी पर्व 2025 का यह पावन अवसर आध्यात्मिकता और शुद्धि का प्रतीक है। इस दिन स्नान, दान और वरुण देव की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है।वरुणी पर्व जल के महत्व को समझने और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने का संदेश देता है। 27 मार्च 2025 को इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और जल संरक्षण में अपना योगदान दें।

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FAQs-

वरुणी पर्व कब मनाया जाएगा 2025 में?

27 मार्च 2025, गुरुवार को वरुणी पर्व मनाया जाएगा।

वरुणी पर्व क्यों मनाते हैं?

यह पर्व जल के देवता वरुण को समर्पित है, जिसमें जल संरक्षण, शुद्धिकरण और प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया जाता है।

वरुणी पर्व कहाँ मनाया जाता है?

मुख्य रूप से दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु) में, लेकिन अब पूरे भारत में मनाया जाता है।

वरुणी पर्व पर क्या करना चाहिए?

पवित्र नदी/सरोवर में स्नान करें।
वरुण देव की पूजा करें।
जल दान करें और जल बचाने का संकल्प लें।

वरुणी पर्व पर क्या नहीं करना चाहिए?

जल का दुरुपयोग न करें।
झूठ बोलने या बुरे कर्मों से बचें।
मांसाहार और नशा न करें।

वरुणी नक्षत्र का क्या महत्व है?

 इस नक्षत्र में जल से जुड़े कार्य (पूजा, दान, स्नान) अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

क्या वरुणी पर्व पर व्रत रखा जाता है?

हाँ, कई लोग इस दिन व्रत रखकर वरुण देव की आराधना करते हैं।

वरुणी पर्व की पूजा में कौन-सा मंत्र जपें?

 “ॐ वरुणाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

वरुणी पर्व पर कौन-सा दान देना चाहिए?

जल, अन्न, छाता, चप्पल आदि दान करना शुभ माना जाता है।

क्या वरुणी पर्व पर तर्पण (पितृ तर्पण) किया जाता है?

हाँ, कुछ परंपराओं में पितृदोष शांति के लिए जल तर्पण किया जाता है।

वरुणी पर्व और ओणम में क्या अंतर है?

ओणम केरल का फसल त्योहार है, जबकि वरुणी पर्व जल देवता को समर्पित है।

क्या वरुणी पर्व पर घर में कलश स्थापना करनी चाहिए?

हाँ, जल से भरा कलश रखकर वरुण देव की पूजा की जाती है।

वरुणी पर्व का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

यह पर्व जल संरक्षण और पर्यावरण शुद्धि को बढ़ावा देता है।

वरुण देव की पूजा कैसे करें?

जल कलश, फूल, दीपक और मंत्रों से पूजा की जाती है।

क्या वरुणी पर्व पर समुद्र तट पर जाना चाहिए?

हाँ, अगर संभव हो तो समुद्र या नदी किनारे जाकर पूजा करना शुभ माना जाता है।

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Deepika Patidar
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Deepika patidar is a dedicated blogger who explores Hindu mythology through ancient texts, bringing timeless stories and spiritual wisdom to life with passion and authenticity.

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