Shri Hanuman Ji Ki Aarti lyrics

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Shri Hanuman Ji ki Aarti bhakton ke liye ek shakti aur bhakti ka pratik hai. Hanuman Ji ko sankatmochan kaha jata hai, jo har bhakt ke dukh door karne wale hain. Is aarti ka paath karne se man shant hota hai, sankat talte hain aur jeevan mein safalta ka marg prashast hota hai.

Lyrics

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्टदलन रघुनाथ कला की ।।

जाके बल से गिरिवर काँपै । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ।।

अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सिय सुधि लाये ।।

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।।

लंका जारि असुरि संहारे । सियारामजी के काज सँवारे ।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आनि सजीवन प्राण उबारे ।।

पैठि पताल तोरि जम-कारे । अहिरावन की भुजा उखारे ।।

बायें भुजा असुर दल मारे । दहिने भुजा संतजन तारे ।।

सुर नर मुनि आरती उतारे । जै-जै-जै हनुमान उचारे ।।

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कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ।।

जो हनुमान (जी) की आरती गावै । बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।

लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ।

आरती का अर्थ

“आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की ।”
इस पंक्ति में हनुमान लाला की आरती करने का आह्वान किया गया है। “दुष्टदलन” कहकर उन शत्रुओं (दुष्टों) का विनाश करने वाले, रघुनाथ (भगवान राम) के कार्य में निपुण हनुमान की महिमा को दर्शाया गया है।

“जाके बल से गिरिवर काँपै, रोग-दोष जाके निकट न झाँके ।”
यह बताता है कि हनुमान जी के प्रचंड बल से पहाड़ (गिरिवर) भी कांप उठते हैं और उनके समीप से रोग, दोष एवं नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।

“अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई ।”
हनुमान जी, जिन्हें अंजनि के पुत्र कहा गया है, अपने अपार बल और शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। साथ ही, उन्हें सभी संतों और भक्तों के प्रभु तथा सहायक के रूप में माना जाता है।

“दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सिय सुधि लाये ।”
यहाँ कहा गया है कि हनुमान जी वीरता के साथ रघुनाथ (राम) के संदेश को लेकर जाते हैं। उनका उद्देश्य लंका (असुरों का राज्य) का संहार करना और सीता जी की सुध-बुध (मांग) लेकर आना भी है।

“लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ।”
इस पंक्ति में हनुमान जी की अद्भुत शक्ति का वर्णन है, जहाँ उन्होंने इतनी बड़ी मात्रा में (कोट-कोट) लंका का संहार किया है कि समुद्र के बराबर मात्रा में आह्वान भी किया गया। “पवनसुत” के रूप में उनकी महिमा का भी जिक्र है।

“लंका जारि असुरि संहारे, सियारामजी के काज सँवारे ।”
यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि हनुमान जी ने लंका का विनाश कर असुरों का संहार किया, जिससे श्री राम के कार्य सिद्ध हुए और उनके आदर्शों का पालन हुआ।

“लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि सजीवन प्राण उबारे ।”
इसका अर्थ है कि हनुमान जी के आगमन से रघुकुल के योद्धा लक्ष्मण इतने प्रभावित हुए कि उनकी मंशा जाग उठी। साथ ही, उन्होंने जीवनदान भी दिया – अर्थात् संकट के समय जीवन को पुनः जीवित करने जैसा महत्व उनके कार्य में था।

“पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।”
यहाँ वर्णित है कि हनुमान जी ने निचले लोक (पाताल) तक प्रवेश कर के जम (यमराज) के कार्यों को चुनौती दी और अहिरावन (लंका के राजा) की भुजाओं (शक्ति) को विफल कर दिया।

“बायें भुजा असुर दल मारे, दहिने भुजा संतजन तारे ।”
इस पंक्ति में हनुमान जी के दो मुखी उपयोग का जिक्र है – एक ओर वे अपनी बायीं भुजा से असुरों के दल को परास्त करते हैं, तो दूसरी ओर दाहिनी भुजा से संतजन (भक्तों) की रक्षा करते हैं।

“सुर नर मुनि आरती उतारे, जै-जै-जै हनुमान उचारे ।”
यहाँ कहा गया है कि देवता, मनुष्य और मुनि (ऋषि) सभी मिलकर हनुमान जी की आरती उतारते हैं और बार-बार जयकारा करते हैं – “जय जय जय हनुमान”।

“कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई ।”
इस पंक्ति में हनुमान जी की दिव्यता और उनके भौतिक स्वरूप का वर्णन किया गया है – उनका तेजस्वी रूप सोने जैसे कंचन, थार (मिट्टी) और कपूर (कपौड़ा) की सुगंध में नहाया हुआ प्रतीत होता है। अंजना माई (हनुमान की माता) भी गर्व से उनकी आरती करती हैं।

“जो हनुमान (जी) की आरती गावै, बसि बैकुंठ परमपद पावै ।”
अंतिम पंक्ति में कहा गया है कि जो कोई भी हनुमान जी की आरती गाता है, उसे दिव्य आनंद, शाश्वत सुख और परम स्थान (बैकुंठ) प्राप्त होता है।

“लंक विध्वंस किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ।”
यह पंक्ति दोहरे अर्थ में है। एक ओर हनुमान जी ने लंका का विध्वंस करके श्रीराम के कार्य को सिद्ध किया, वहीं दूसरी ओर तुलसीदास स्वामी ने हनुमान जी की महिमा का गान करके उनकी कीर्ति को अमर कर दिया।

Shri Hanuman Ji Ki Mahima

1. Bal, Buddhi Aur Bhakti Ka Pratik

Hanuman Ji sirf bal aur shakti ke devta nahi hain, balki ve ek adarsh bhakt bhi hain. Unka jeevan humein sikhata hai ki shraddha aur vishwas se koi bhi kathinai jeeti ja sakti hai.

2. Sankatmochan Aur Raksha Karta

Hanuman Ji ko sankatmochan kaha jata hai kyunki ve apne bhakton ke sabhi dukhon ko harte hain aur unhe jeevan mein unnati dete hain.

3. Hanuman Ji Ki Pooja Ka Mahatva

Hanuman Ji ki pooja karne se har prakar ki nishthaa, dhairya aur sahas badhta hai. Ve Kalayug ke sabse prabhavshali devtaon mein se ek hain, jo turant phal dete hain.

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FAQs

Shri Hanuman Ji ki Aarti kab aur kaise karni chahiye?

Hanuman Ji ki Aarti subah aur shaam dono samay ki ja sakti hai. Mangalwar aur Shanivar ko vishesh roop se Hanuman Ji ki pooja karne ka mahatva hai.

Hanuman Ji ki Aarti karne se kya labh hote hain?

Hanuman Ji ki Aarti se man shant hota hai, sankat door hote hain, bhay aur niraasha dur hoti hai, aur jeevan mein safalta milti hai.

Hanuman Ji ki Aarti ke saath aur kya paath kar sakte hain?

Hanuman Ji ki Aarti ke saath Hanuman Chalisa, Bajrang Baan, aur Sundar Kand ka paath karna atyant faldayak hota hai.

Kya Hanuman Ji ki Aarti kisi bhi din ki ja sakti hai?

Haan, Hanuman Ji ki Aarti kisi bhi din ki ja sakti hai, lekin Mangalwar aur Shanivar ko iska vishesh mahatva hota hai.

Hanuman Ji ki Aarti karne ke samay kya dhyan rakhna chahiye?

Aarti ke samay pavitra man aur sharir ke saath pooja karni chahiye. Hanuman Ji ko sindoor, chameli ka tel, aur gur-chana ka bhog arpan karna shubh mana jata hai.

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MEGHA PATIDAR
MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate blogger dedicated to Hindu dharm , drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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