आइए जानते हैं इस पावन व्रत के महत्व और इससे जुड़ी कथा के बारे में, जो हर सुहागिन के लिए प्रेरणा है।
By Deepika Patidar
क्या है वट सावित्री व्रत?
यह एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।
क्यों मनाया जाता है यह व्रत?
यह व्रत देवी सावित्री के अपने पति सत्यवान के प्रति अटूट प्रेम, निष्ठा और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे।
पौराणिक कथा: सावित्री और सत्यवान
राजकुमारी सावित्री ने गुणवान लेकिन अल्पायु सत्यवान से विवाह किया, यह जानते हुए भी कि उनकी मृत्यु निकट है।
यमराज से सामना
जब यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए, तो पतिव्रता सावित्री उनके पीछे-पीछे चल दीं। उनके सतीत्व और बुद्धिमत्ता से यमराज भी प्रभावित हुए।
सावित्री की बुद्धिमत्ता और वरदान
सावित्री ने यमराज से बुद्धिमानीपूर्वक तीन वरदान मांगे, जिसमें अंतिम वरदान में उन्होंने सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा, जिससे सत्यवान को जीवनदान मिला।
वट वृक्ष का महत्व
माना जाता है कि वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को पुनः जीवित किया था। यह वृक्ष दीर्घायु और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक भी माना जाता है।
पूजा विधि और परंपराएं
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं, वृक्ष पर कच्चा सूत लपेटती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
व्रत का संदेश
यह व्रत न केवल पति की दीर्घायु के लिए है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण, दृढ़ निश्चय और स्त्री शक्ति का भी प्रतीक है।