MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

5. सज्जनों के लक्षण

सज्जनों के लक्षण

1. सज्जनों के लक्षण गर्व नोद्वहते न निर्दात परं नो भाषते निष्ठुरं । श्रुत्वा काव्यमलक्षणं परकृतं संतिष्ठते मूकवत् । उक्त केनचिदप्रियं च सहते क्रोधं च नालंवते । दोषांश्छादयत गुणान्निगदते चैतत्सतां लक्षणम् ॥१॥ अर्थ – गर्वमिति – अहंकार न करना, परनिन्दा…

6. जीवन में अनुशासन, परोपकार और भावनाओं का महत्व

जीवन

जीवन में अनुशासन, परोपकार और भावनाओं का महत्व- 1. अशुद्धता और अनुशासनहीनता कुवैलिनं दंतमलावधारिणं बाशिनं नित्यकठोर भाषिणम् । सूर्योदये चास्तमये च शायिनं विमुञ्चति श्रीरपि चक्रपाणिकम ॥१॥ अर्थ – कुचलिनमिति-जो मनुष्य सदा मैला कुचला रहता हो और जो मंजन आदि से…

7. परोपकार की महिमा

परोपकार

1. परोपकार की महिमा पिवंति वृक्षाः स्वयमेव नभिः, खादन्ति न स्वादुफलानि बृक्षाः । अदन्ति सस्यं न पयोधराश्च, परोपकाराय सतां विभूतयाः ॥१॥ अर्थ – पिवन्तीति-नदियें अपना जल स्वयं नहीं पी जातीं और वृक्ष अपने मीठे फल स्वयं नहीं खाते, और ऐसे…

8. धन, कीर्ति, विद्या और बुद्धि

धन

1. धन, कीर्ति, विद्या और बुद्धि के स्रोत यत्नानुसारिंणी लक्ष्मीःकीर्तिस्त्यागानुसारिणी । अभ्याससारिणी विद्या बुद्धि कर्मानुसारिणी ॥१॥ अर्थ-यत्नानुसारिणीति लक्ष्मी (धन) उद्यम से, कीर्ति घन त्याग से, विद्या अभ्यास से और बुद्धि कर्मों के अनुसार होती है । 2. कुछ गतिविधियों और…

9. धर्म और सत्य के सिद्धांत

धर्म

धर्म और सत्य के सिद्धांत 1. नेति: न मंत्रो न तपो दान न मित्राणि न बान्धवाः । शक्नुवन्ति परित्रातु’ नरं कालेन पीड़ितम |१| अर्थ – नेति-मृत्यु के मुख से मंत्र, तप, दान, मित्र और बन्धु ये कोई भी पुरुष की…

10. स्वर्ग से आए हुए गुण

स्वर्ग

स्वर्ग से आए हुए पुरुषों के गुण: 1. कवित्वमिति-कविता, आरोग्यता, बुद्धिमता: कवित्वमारोग्यमतीव मेधा स्त्रीणांप्रियत्वं कनकस्य लाभः। स्वप्नेषु तथ्यं स्वजनेषु पूजा स्वर्गच्युतानां किल चिह्नमेतत् ॥१॥ अर्थ-कवित्वमिति-कविता, आरोग्यता, बुद्धिमता और सुन्दरियों को प्रेम,धन स्वर्णादि का लाभ, स्वप्न में भी चेतनता और अपने…

11. दान का महत्व और उसके सिद्धांत

दान

दान का महत्व और उसके सिद्धांत 1. गौरवमिति सदैव दान से ही प्रतिष्ठा होती है: गौरवं प्राप्यते दानान्नतु द्रव्यस्य संग्रहात् । स्थितिरुच्चैः पयोदानां पयोंधीनामधः पुनः । १। अर्थ- गौरवमिति सदैव दान से ही प्रतिष्ठा होती है। द्रव्य के संग्रह करने…

12. ज्ञान हित श्लोक

ज्ञान

कहे चतुर्थे ज्ञान हित, उत्तम श्राठ श्लोक । शोक रुकहि इस लोक के, अंतहु मुक्ति सलोक ॥ द्रष्टिपूत ं न्यसेत्पाद ं वस्त्रपूत ं पिवेज्जलम् । सत्यपूतं वदेद्वाक्य मनःपूतं समाचरेत् |१| अर्थ – दृष्टिपूतमिति पुरुष को उचित है कि वह भूमि…

13. ज्ञान और विद्या का महत्व

ज्ञान

ज्ञानं मददर्पहरं माद्यति यस्तेन तस्य को वैद्यः । अमृतं यस्य विषायति तस्य चिकित्सा कथं क्रियते |१| अर्थ – अज्ञानमिति यद्यपि आत्मज्ञान अहंकार और मद को नष्ट करता है, यदि किसी मूर्ख को उस से भी शांति न मिले तो उसके…