MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

14. शास्त्रों की महत्ता

शास्त्रों की महत्ता

शास्त्रों की महत्ता अध्यारोपथवाद और आत्मा-अनात्मा का निर्णय जैसे श्रुतियों में अध्यारोपथवाद के विचार से आत्मा अनात्मा का निर्णय किया है वैसे ही गरुड़ पुराण में कहा है कि मिथ्या वस्तु का सत्य वस्तु में आरोप करने का नाम अध्यारोप…

15. दुर्जन

दुर्जन

माघ ने कहा है कि संसार में तीन प्रकार के पुरुष होते हैं। उत्तम, मध्यम और अधम। उत्तम पुरुष तो दूसरों की वृद्धि, पूज्य और यश को देखकर आनन्दीत होते हैं, तपायमान नहीं होते हैं, और मध्यम पुरुष दूसरों की…

16. गृहस्थ के कर्म

गृहस्थ के कर्म

गृहस्थाश्रम के षट्कर्म देव-पितर अतिथि का पूजन में षट्कर्म करने के लिए पाणिग्रहण की विधि कही गई है अब गृहस्थाश्रम के षट्कर्म इस प्रकार हैं। पाराशर स्मृति में कहा है, “स्नान करके संध्या करनी, स्वाध्याय गायत्री आदि मन्त्रों का जाप…

17. सत्संग

सत्संग

सत्संग की महिमा पद्म पुराण में कहा है कि एक पुरुष तो गंगा आदि पुण्य तीर्थों में सदा स्नान करता है और एक पुरुष अद्वैत का चिन्तन करने वाले साधु महात्मा का सत्संग करता है उन दोनों में सत्संग करने…

18. माता-पिता साधु शिक्षा

माता-पिता साधु शिक्षा

माता-पिता का कर्तव्य हरि नाम, दान, धर्मादि आदि की शिक्षा बालकों को देना सर्वप्रथम माता-पिता का कर्त्तव्य है। शास्त्र आदि में भी इस सम्बन्ध में कथन आये हैं। भागवत में राजा उत्तानपाद का वर्णन जैसे-भागवत में राजा उत्तानपाद का वर्णन…

19. भक्ति

भक्ति

 भक्ति का महत्व भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में भुजा उठाकर कहा है कि भक्ति से दिये हुए फल, फूल, पत्र, जल आदि तुच्छ पदार्थों को भी मैं आनन्दपूर्वक ग्रहण करता हूँ। बिना भक्ति से नहीं। अध्यात्म रामायण में भक्ति को…

2. ब्रह्मयोग का निर्णय

ब्रह्मयोग का निर्णय

ब्रह्मयोग के बारे में केशीध्वज और खाण्डिक्य का वर्णन केशिध्वज बोले- क्षत्रियों को तो राज्य-प्राप्ति से अधिक प्रिय और कुछ भी नहीं होता, फिर तुमने मेरा निष्कण्टक राज्य क्यों नहीं माँगा ?  खाण्डिक्य बोले- मैंने जिस कारण से तुम्हारा राज्य…

4. केशिध्वज और खाण्डिक्य की कथा

केशिध्वज और खाण्डिक्य

केशिध्वज और खाण्डिक्य कौन थे? पूर्वकालमें धर्मध्वज जनक नामक एक राजा थे। उनके अमितध्वज और कृतध्वज नामक दो पुत्र हुए। इनमें कृतध्वज सर्वदा अध्यात्मशास्त्रमें रत रहता था ॥ कृतध्वजका पुत्र केशिध्वज नामसे विख्यात हुआ और अमितध्वजका पुत्र खाण्डिक्य जनक हुआ…

5. आध्यात्मिकादि त्रिविध तापों का वर्णन

आध्यात्मिकादि त्रिविध तापों का वर्णन

आध्यात्मिकादि त्रिविध तापों का वर्णन  आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक- तीनों तापको जानकर ज्ञान और वैराग्य उत्पन्न होने पर पण्डितजन आत्यन्तिक प्रलय प्राप्त करते हैं ॥ आध्यात्मिक ताप शारीरिक और मानसिक दो प्रकारके होते हैं; उनमें शारीरिक तापके भी कितने ही…