MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

24. मुचुकुन्दका तपस्याके लिये प्रस्थान और बलरामजीकी व्रजयात्रा

मुचुकुन्द

मुचुकुन्दका तपस्याके लिये प्रस्थान परम बुद्धिमान् राजा मुचुकुन्दके इस प्रकार स्तुति करनेपर सर्वभूतोंके ईश्वर अनादिनिधन भगवान् हरि बोले ॥  श्रीभगवान्ने कहा- हे नरेश्वर। तुम अपने अभिमत दिव्य लोकोंको जाओ; मेरी कृपासे तुम्हें अव्याहत परम ऐश्वर्य प्राप्त होगा ॥ वहाँ अत्यन्त…

25. कालयवनका भस्म होना तथा मुचुकुन्दकृत भगवत्स्तुति

कालयवन

  महर्षि गार्ग्य और यदुवंश  एक बार महर्षि गार्ग्यसे उनके सालेने यादवोंकी गोष्ठीमें नपुंसक कह दिया। उस समय समस्त यदुवंशी हँस पड़े ॥  तब गार्ग्यने अत्यन्त कुपित हो दक्षिण-समुद्रके तटपर जा यादवसेनाको भयभीत करनेवाले पुत्रकी प्राप्तिके लिये तपस्या की ॥ …

26. जरासन्ध की पराजय

जरासन्ध

कंस और जरासन्ध का संबंध  महाबली कंसने जरासन्धकी पुत्री अस्ति और प्राप्तिसे विवाह किया था, अतः वह अत्यन्त बलिष्ठ मगधराज क्रोधपूर्वक एक बहुत बड़ी सेना लेकर अपनी पुत्रियोंके स्वामी कंसको मारनेवाले श्रीहरिको यादवोंके सहित मारनेकी इच्छासे मथुरापर चढ़ आया ॥ …

27. भगवान का विद्याध्ययन

भगवान्‌

वसुदेव और देवकी के दर्शन अपने अति अद्भुत कर्मोको देखने से वसुदेव और देवकी को विज्ञान उत्पन्न हुआ देखकर भगवान्ने यदुवंशियों को मोहित करने के लिये अपनी वैष्णवी माया का विस्तार किया ॥  और बोले- “हे मातः ! है पिताजी…

28. कुब्जा पर कृपा, धनुर्भंग, कुवलयापीड और चाणूरादि मल्लोंका नाश तथा कंस वध

कुब्जा

कुब्जा का उद्धार श्रीकृष्णचन्द्रने  राजमार्गमें एक नवयौवना कुब्जा स्त्रीको अनुलेपनका पात्र लिये आती देखा ॥ तब श्रीकृष्णने उससे विलासपूर्वक कहा – ” अयि कमललोचने! तू सच- सच बता यह अनुलेपन किसके लिये ले जा रही है?”॥ भगवान् कृष्णके कामुक पुरुषकी…

29. भगवान का मथुरा-प्रवेश, रजक-वध तथा मालीपर कृपा

भगवान

भगवान का मथुरा-प्रवेश यदुकुलोत्पन्न अक्रूरजी ने श्री विष्णु भगवान्‌ का जल के भीतर इस प्रकार स्तवनकर उन सर्वेश्वर का मनःकल्पित धूप, दीप और पुष्पादि से पूजन किया ॥ उन्होंने अपने मनको अन्य विषयों से हटाकर उन्हीं में लगा दिया और…

30. भगवान का मथुरा को प्रस्थान, गोपियों की विरह-कथा और अक्रूरजी का मोह

भगवान

भगवान का मथुरा को प्रस्थान यदुवंशी अक्रूरजी ने इस प्रकार चिन्तन करते श्रीगोविन्द के पास पहुँच कर उनके चरणोंमें सिर झुकाते हुए ‘मैं अक्रूर हूँ’ ऐसा कहकर प्रणाम किया ॥  भगवान ने भी अपने ध्वजा- वज्र-पद्मांकित करकमलों से उन्हें स्पर्शकर…

31. अक्रूरजी की गोकुल यात्रा

अक्रूरजी

 अक्रूरजी का प्रस्थान अक्रूरजी भी तुरंत ही मथुरापुरीसे निकलकर श्रीकृष्ण दर्शनकी लालसासे एक शीघ्रगामी रथद्वारा नन्दजीके गोकुलको चले ॥ अक्रूरजी सोचने लगे ‘आज मुझ जैसा बड़भागी और कोई नहीं है; क्योंकि अपने अंशसे अवतीर्ण चक्रधारी श्रीविष्णुभगवान्का मुख मैं अपने नेत्रोंसे…

32. केशि-वध

केशि

केशि दैत्य का आगमन कंसके दूतद्वारा भेजा हुआ महाबली केशि भी कृष्णचन्द्र के वध की इच्छा से [ घोड़ेका रूप धारण कर] वृन्दावन में आया ॥  वह अपने खुरोंसे पृथिवीतलको खोदता, ग्रीवाके बालों से बादलों को छिन्न-भिन्न करता तथा वेग…