24. मुचुकुन्दका तपस्याके लिये प्रस्थान और बलरामजीकी व्रजयात्रा
मुचुकुन्दका तपस्याके लिये प्रस्थान परम बुद्धिमान् राजा मुचुकुन्दके इस प्रकार स्तुति करनेपर सर्वभूतोंके ईश्वर अनादिनिधन भगवान् हरि बोले ॥ श्रीभगवान्ने कहा- हे नरेश्वर। तुम अपने अभिमत दिव्य लोकोंको जाओ; मेरी कृपासे तुम्हें अव्याहत परम ऐश्वर्य प्राप्त होगा ॥ वहाँ अत्यन्त…