MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

33. कंस का श्रीकृष्ण को बुलाने के लिये अक्रूर को भेजना

कंस

कंस का दुष्ट योजना बनाना वृषभरूपधारी अरिष्टासुर, धेनुक और प्रलम्ब आदिका वध, गोवर्धनपर्वतका धारण करना, कालियनागका दमन, दो विशाल वृक्षोंका उखाड़ना, पूतनावध तथा शकटका उलट देना आदि अनेक लीलाएँ हो जानेपर एक दिन नारदजीने कंस को यशोदा और देवकी के…

34. वृषभासुर-वध

वृषभासुर

अरिष्टासुर का आगमन  एक दिन सायंकाल के समय जब श्रीकृष्णचन्द्र रासक्रीडा में आसक्त थे, अरिष्ट नामक एक मदोन्मत्त असुर [वृषभरूप धारणकर] सबको भयभीत करता व्रज में आया ॥  अरिष्टासुर का वर्णन इस अरिष्टासुर की कान्ति सजल जलधर के समान कृष्ण…

35. गोपों द्वारा भगवान्‌ का प्रभाव वर्णन तथा भगवान्‌ का गोपियों के साथ रासलीला करना

गोपों

गोवर्धन पर्वत धारण करने पर गोपों की प्रशंसा  इन्द्रके चले जानेपर लीलाविहारी श्रीकृष्णचन्द्र को बिना प्रयास ही गोवर्धन- पर्वत धारण करते देख गोपगण उनसे प्रीतिपूर्वक बोले- ॥  हे भगवन्। हे महाभाग आपने गिरिराज को धारण कर हमारी और गौओंकी इस…

36. शक्र-कृष्ण-संवाद, कृष्ण-स्तुति

शक्र-कृष्ण-संवाद

शक्र-कृष्ण-संवाद (इन्द्रदेव और कृष्ण का संवाद ) इस प्रकार गोवर्धनपर्वतका धारण और गोकुलकी रक्षा हो जानेपर देवराज इन्द्रको श्रीकृष्णचन्द्रका दर्शन करनेकी इच्छा हुई ॥ अतः शत्रुजित् देवराज गजराज ऐरावतपर चढ़कर गोवर्धन पर्वतपर आये और वहाँ सम्पूर्ण जगत्के रक्षक गोपवेषधारी महाबलवान्…

37. इन्द्र का कोप और श्रीकृष्णका गोवर्धन-धारण

इन्द्र का कोप

इन्द्र का कोप और मेघों की आज्ञा  अपने यज्ञके रुक जानेसे इन्द्रने अत्यन्त रोषपूर्वक संवर्तक नामक मेघोंके दलसे इस प्रकार कहा- ॥  ” अरे मेघो! मेरा यह वचन सुनो और मैं जो कुछ कहूँ उसे मेरी आज्ञा सुनते ही, बिना…

38. व्रज में विहार तथा गोवर्धनकी पूजा

व्रज में विहार

   व्रज में विहार और ऋतु परिवर्तन इस प्रकार उन राम और कृष्णके व्रजमें विहार करते-करते वर्षाकाल बीत गया और प्रफुल्लित कमलोंसे युक्त शरद् ऋतु आ गयी ॥ जैसे गृहस्थ पुरुष पुत्र और क्षेत्र आदिमें लगी हुई ममतासे सन्ताप पाते…

39. प्रलम्ब-वध

प्रलम्ब

 अपने अनुचरोंसहित उस गर्दभासुरके मारे जानेपर वह सुरम्य तालवन गोप और गोपियोंके लिये सुखदायक हो गया ॥ तदनन्तर धेनुकासुरको मारकर वे दोनों वसुदेवपुत्र प्रसन्नमनसे भाण्डीर नामक वटवृक्षके तले आये ॥ कन्धेपर गौ बाँधनेकी रस्सी डाले और वनमालासे विभूषित हुए वे…

40. धेनुकासुर-वध

धेनुकासुर

धेनुकासुर का परिचय एक दिन बलराम और कृष्ण साथ-साथ गौ चराते अति रमणीय तालवनमें आये ॥ उस दिव्य तालवनमें धेनुक नामक एक गधेके आकारवाला दैत्य मृगमांसका आहार करता हुआ सदा रहा करता था ॥ उस तालवनको पके फलोंकी सम्पत्ति से…

41. कालिय-दमन

कालिय

कृष्ण का वृन्दावन में आगमन एक दिन रामको बिना साथ लिये कृष्ण अकेले ही वृन्दावनको गये और वहाँ वन्य पुष्पोंकी मालाओंसे सुशोभित गोपगणसे घिरे हुए विचरने लगे ॥ घूमते-घूमते वे चंचल तरंगों से शोभित यमुनाके तटपर जा पहुँचे जो किनारॉपर…