वैराग्य
वैराग्य नित्यानित्यविवेकश्च इहामुत्र विरागता | शमादिषट्कसंपत्तिर्मुमुक्षा तां समभ्यसेत् ||1|| पूर्वगत अध्यायों में विवेक वैराग्य आदि का समुच्चय रूप से कथन करा अब इस षष्ठे अध्याय में अन्तरंग साधनचतुष्ठय का अनुक्रम से कथन करते हैं। वराहोपनिषद् में साधनचतुष्टय अनुक्रम से कहे…