MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

वैराग्य

वैराग्य

वैराग्य नित्यानित्यविवेकश्च इहामुत्र विरागता | शमादिषट्कसंपत्तिर्मुमुक्षा तां समभ्यसेत् ||1|| पूर्वगत अध्यायों में विवेक वैराग्य आदि का समुच्चय रूप से कथन करा अब इस षष्ठे अध्याय में अन्तरंग साधनचतुष्ठय का अनुक्रम से कथन करते हैं। वराहोपनिषद् में साधनचतुष्टय अनुक्रम से कहे…

ययाति राजा और बृहद्रथ राजा के वैराग्य

ययाति राजा और बृहद्रथ राजा के वैराग्य

ययाति राजा और बृहद्रथ राजा के वैराग्य (नारदपरि. उपनिषद् 3-मं. 37 ) न जातु कामः कामानामुपभोगेन शाम्यति । हविषा कृष्णवर्त्मेव भूय एवाभिवर्धते ||1|| पूर्व चतुर्थ अध्याय में जनकाद्याख्यान कहा, अब पंचमें अध्याय में ययाति राजा और बृहद्रथ राजा के वैराग्य…

जनक आदियों का वैराग्य

जनक आदियों का वैराग्य

जनक आदियों का वैराग्य क्व धनानि महीपानां ब्रह्मणः क्व जगन्तिवा । प्राक्तनानि प्रयातापि केयं विश्वस्तता मम ||1|| योगवासिष्ठ में कहा है कि राजा जनक ऋषभदेव के नव पुत्र ब्रह्मनिष्ठ वीतरागियों को देखकर और राजलक्ष्मी तथा सर्व प्रपञ्च को नाशवान् जानकर…

शुकदेव का आख्यान

शुकदेव का आख्यान

शुकदेव का आख्यान योनीनां चतुराशीति सहस्राणि च संख्यया । भ्रान्तोऽहं तेषु सर्वेषु तत्कोऽहं प्रब्रवीमि किम् ।।1।। पूर्व अध्याय में निरूपित ब्रह्मविचार रूप आन्तरीय पूजा से अनन्तर अब वैराग्यरूप शुकदेव का आख्यान इस तृतीय अध्याय में निरूपण करते हैं। स्कन्दपुराण में…

ब्रह्मविचार रूप आन्तरीय पूजा

बुद्ध

ब्रह्मविचार रूप आन्तरीय पूजा देहो देवालयः प्रोक्तः स जीवः केवलः शिवः । त्यजेदज्ञाननिर्माल्यं सोऽहं भावेन पूजयेत् ||1|| पूर्व अध्याय में आत्म स्वरूप ब्रह्म में सर्व क्रियाजाल रूप अनात्म प्रपञ्च का निषेध रूप अपवाद कहा। अब द्वितीय अध्याय में आत्मस्वरूप ब्रह्म की…

मोक्ष पुरूषार्थ

मोक्ष पुरूषार्थ

मोक्ष पुरूषार्थ अनेकानि च शास्राणि स्वल्पायुर्विघ्नकोटयः । तस्मात्सारं विजानीयात्क्षीरं हंस इवाम्भसि ||1|| प्रथम वेदविहित दुःख- सम्बन्ध से रहित पुरुष के इष्ट सुख का जनक धर्म पुरुषार्थ कहा। दूसरा न्याय-उपार्जित धन-धान्य आदि से पुरुष को इष्ट सुख का जनक अर्थ पुरुषार्थ…

अठारह विद्याओं का वर्णन

अठारह विद्याओं का वर्णन

अठारह विद्याओं का वर्णन सर्वानुग्राहका मन्त्राश्चतुर्वर्गप्रसाधकाः । ऋगथर्व तथा साम यजुः संख्या तु लक्षकम् ||1|| मन्वत्रिविष्णुहारीतयाज्ञवल्क्योशनोंऽगिराः । यमापस्तम्बसंवर्ताः कात्यायनबृहस्पती ||2|| पराशरव्यासशंखालिखिता दक्षगोतमौ । शातातपो वशिष्ठश्च धर्मशास्त्रप्रयोजकाः ||3|| पूर्व तृतीय अध्याय में कलि का कथन करा अब चतुर्थेऽध्याय में अष्टादश विद्या…

कलि युग का वर्णन

कलि युग

कलि युग का वर्णन प्राप्ते कलियुगे घोरे नराः पुण्यविवर्जिताः । दुराचाररताः सर्वे सत्यवार्ताः पराङ्मुखाः ।।1।। पूर्व द्वितीय अध्याय में पुत्र सम्बन्धी सुख का कथन करा अब तृतीये अध्याय में कलि का कथन करते हैं। शिवपुराण में कहा है कि घोर…

पुत्र का निरूपण

पुत्र

पुत्र का निरूपण पुन्नाम्रो नरकाद्यस्मात्पितरं त्रायते सुतः । तस्मात्पुत्र इति प्रोक्तः स्वयमेव स्वयंभुवा ।।1।। महता सुकृतेनापि संप्राप्तस्य दिवि किल । अपुत्रस्यामराः स्वर्गे द्वारं नोद्घाटयन्ति हि ।।2।। प्रथम अध्याय में स्त्री का कथन करा अब द्वितीय अध्याय में पुत्र का निरूपण…