MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

काम पुरूषार्थ

काम पुरूषार्थ

काम पुरूषार्थ (मनुस्मृति. अ. 9- श्लो. 28) अपत्यं धर्मकार्याणि शुश्रूषा रतिरुत्तमा । दाराधीनस्तथा स्वर्गः पितृणामात्मनश्च हि ।।1।। (महाभा. पर्व 1-अ. 74- श्लो. 41-42 ) अर्धं भार्या मनुष्यस्य भार्या श्रेष्ठतमः सखा । भार्या मूलं त्रिवर्गस्य भार्या मूलं तरिष्यतः ||2|| भार्यावन्तः क्रियावन्तः…

अर्थ पुरुषार्थ का धन का वर्णन

अर्थ

अर्थ पुरुषार्थ के विवरण परिभाषा: अर्थ: इस पुरुषार्थ का मुख्य उद्देश्य होता है धन की प्राप्ति और उसका संयमित उपयोग। धन की प्राप्ति व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक स्थिति में सुधार, और अपनी और परिवार की देखभाल के लिए संदर्भित…

विदुर कथाओं का विवरण

विदुर

विदुर कथाओं का विवरण (भा. स्कंध 1- अ. 13-श्लो. 22 ) अहो महीयसी जन्तोजीविताशा यया भवान् । भीमेनावर्जितं पिण्डमादत्ते गृहपालवत् ||1|| (महाभा. पर्व. 5-अ. 37-श्लो. 15-17) सुलभाः पुरुषा राजन्सततं प्रियवादिनः । अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः ।।2।। त्यजेत्कुलार्थे…

राजनीति का विवरण

राजनीति का विवरण

राजनीति का विवरण (मनुस्मृ.अ. 7-श्लो. 42-54) पृथुस्तु विनयाद्राज्यं प्राप्तवान्मनुरेव च । कुबेरश्च धनैश्वर्य ब्राह्मण्यं चैव गाधिजः ।।1।। मौलाञ्छास्त्रविदः शूरौंल्लब्धलक्षान्कुलोद्रतान् । सचिवान्सा चाठी वा प्रकुर्वीत परीक्षितान् ।।2।। पूर्व षोड़श अध्याय में प्रारब्ध का कथन करा, अब पुरुषार्थ प्रधान मनु आदि से…

प्रारब्ध

प्रारब्ध

प्रारब्ध (अध्यात्मो. मं. 54) व्याघ्रबुध्द्या विनिर्मुक्तो बाणः पश्चात्तु गोमती । न तिष्ठति भिनत्येव लक्ष्यं वेगेन निर्भरम् ।।1।। पूर्व पन्द्रवें अध्याय में मातादि की शिक्षा और राजा दशरथ को रामपुत्र होने पर भी कर्मफल अवश्यमेव भोगनीय कहा अब सोलवें अध्याय में…

माता-पिता आदि की शिक्षा

माता-पिता आदि की शिक्षा

माता-पिता आदि की शिक्षा (भा. स्कंध. 4- अ. 8- श्लो. 23-37-41) नान्यं ततः पद्मपलाशलोचनादुखः च्छिदं ते मृगयामिकञ्चन । यो मृग्यते हस्तगृहीतपद्मया श्रियेतरैरंग विमृग्यमाणया ।।1।। पदं त्रिभुवनोत्कृष्टं जिगीषोः साधुवर्त्म मे । ब्रूह्यस्मत्पितृभिर्ब्रह्मन्नन्यैरप्यनधिष्ठितम् ।।2।। धर्मार्थकाममोक्षार्थं य इच्छेच्छ्रेय आत्मनः । एकमेव हरेस्तत्र कारणं…

ईश्वर के नाम का कथन

ईश्वर के नाम का कथन

ईश्वर के नाम का कथन ( नारद पंचरात्र. 4- अ. 3- श्लो. 223) राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनामभिस्तुल्यं रामनाम वरानने ।।1।। पूर्व त्रयोदश अध्याय में तीर्थव्रत का कथन करा अब चौदहवें अध्याय में ईश्वर-नाम की महिमा निरूपण…

तीर्थ व्रतों का कथन

तीर्थ व्रतों का कथन

तीर्थ व्रतों का कथन ये तीर्थानि प्रचरन्ति ।।1।। पूर्व बारहवें अध्याय में दान कथन करा है। अब दान सम्बन्धी तीर्थ व्रतों का त्रयोदश अध्याय में कथन करते हैं। यजुर्वेद में कहा है कि जो महादेव के स्वरूप गण दुष्टों से…

दान का लक्षण

दान का लक्षण

दान का लक्षण (मत्स्यपु-अ. 145-श्लो. 15) यद्यदिष्टतमं द्रव्यं न्यायेनैवागतञ्च यत् । तत्तद्गुणव देयमित्येतद्दानलक्षणम् ||1|| (पद्यपु. खण्ड. 5-अ. 25 – श्लो. 150 ) इमे दारासुता गावो यच्चान्यद्विद्यते वसु । त्रैलोक्यराज्यमखिलं विप्रस्यास्य प्रदीयताम् ||2|| अब द्वादश अध्याय में दान का निरूपण करते…