अतिथि पूजन
अतिथि पूजन अकृते वैश्वदेवेऽपि भिक्षौ च गृहमागते । उद्धत्य वैश्वदेवार्थं भिक्षां दत्त्वा विसर्जयेत् ||1|| पूर्व दशमें अध्याय में षट्कर्म कहे अब एकादश अध्याय में षट्कर्म अन्तर्गत अतिथि पूजन निरूपण करते हैं :- हारीतस्मृति में कहा है कि वैश्वदेव कर्म करने…