58. अनमित्र और अन्धक वंश का वर्णन
अनमित्र के वंशज अनमित्रके शिनि नामक पुत्र हुआ ; शिनि के सत्यक और सत्यक से सात्यकि का जन्म हुआ जिसका दूसरा नाम युयुधान था ॥ तदनन्तर सात्यकिके संजय , संजय के कुणि और कुणि से युगन्धर का जन्म हुआ ।…
अनमित्र के वंशज अनमित्रके शिनि नामक पुत्र हुआ ; शिनि के सत्यक और सत्यक से सात्यकि का जन्म हुआ जिसका दूसरा नाम युयुधान था ॥ तदनन्तर सात्यकिके संजय , संजय के कुणि और कुणि से युगन्धर का जन्म हुआ ।…
सत्वत वंश की कथा सत्वत के भजन , भजमान , दिव्य , अन्धक , देवावृध महाभोज और वृष्णि नामक पुत्र हुए ॥ भजमान के वंश भजमान के निमि , कृकण और वृष्णि तथा इनके तीन सौतेले भाई शतजित् , सहस्रजित्…
यदुपुत्र क्रोष्टु के वंश यदुपुत्र क्रोष्टु के ध्वजिनीवान् नामक पुत्र हुआ ॥ उसके स्वाति , स्वाति के रुशंकु , रुशंकु के चित्ररथ और चित्ररथ के शशिबिन्दु नामक पुत्र हुआ जो चौदहों स्वामी तथा चक्रवर्ती महारत्नोंका ‘ सम्राट् था॥ शशिबिन्दु के…
यदुके वंशका वर्णन भगवान् विष्णुका अवतार ययातिके प्रथम पुत्र यदुके वंशका वर्णन करता हूँ , जिसमें कि मनुष्य , सिद्ध , गन्धर्व , यक्ष , राक्षस , गुह्यक , किंपुरुष , अप्सरा , सर्प , पक्षी , दैत्य ,…
ययाति नहुषके वंशका वर्णन नहुषके यति , ययाति , संयाति , आयाति , वियाति और कृति नामक छ : महाबल विक्रमशाली पुत्र हुए ॥ ययाति का राज्य यतिने राज्यकी इच्छा नहीं की , इसलिये ययाति ही राजा हुआ ॥ ययातिने…
महाराज रजि रजिके अतुलित बल पराक्रमशाली पाँच सौ पुत्र थे ॥ एक बार देवासुर संग्रामके आरम्भमें एक – दूसरेको मारनेकी इच्छावाले देवता और दैत्योंने ब्रह्माजीके पास जाकर पूछा – ” भगवन् ! हम दोनोंके पारस्परिक कलहमें कौन – सा पक्ष…
काश्यवंश पुरूरवा के ज्येष्ठ पुत्र आयु और उसके वंशज आयु नामक जो पुरूरवा का ज्येष्ठ पुत्र था उसने राहुकी कन्या से विवाह किया ॥ उससे उसके पाँच पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः नहुष , क्षत्रवृद्ध , रम्भ , रजि और…
जह्नु की कथा राजा पुरूरवा के परम बुद्धिमान् आयु , अमावसु , विश्वावसु , श्रुतायु , शतायु और अयुतायु नामक छः पुत्र हुए ॥ अमावसु के भीम , भीम के कांचन , कांचनके सुहोत्र और सुहोत्र के जह्नु नामक पुत्र…
सोमवंश का वर्णन चन्द्रमा का उद्भव और उनका प्रभाव परम तेजस्वी चन्द्रमा के वंश का क्रमशः श्रवण करो जिसमें अनेकों विख्यात राजालोग हुए हैं ॥ यह वंश नहुष , ययाति , कार्तवीर्य और अर्जुन आदि अनेकों अति बल – पराक्रमशील…