104. भारतादि नौ खण्डोंका विभाग
भारतवर्ष का विवरण परिचय जो समुद्रके उत्तर तथा हिमालयके दक्षिणमें स्थित है वह देश भारतवर्ष कहलाता है । उसमें भरतकी सन्तान बसी हुई है ॥ इसका विस्तार नौ हजार योजन है । यह स्वर्ग और अपवर्ग प्राप्त करनेवालोंकी कर्मभूमि है…
भारतवर्ष का विवरण परिचय जो समुद्रके उत्तर तथा हिमालयके दक्षिणमें स्थित है वह देश भारतवर्ष कहलाता है । उसमें भरतकी सन्तान बसी हुई है ॥ इसका विस्तार नौ हजार योजन है । यह स्वर्ग और अपवर्ग प्राप्त करनेवालोंकी कर्मभूमि है…
भूगोल का विवरण सागर, द्वीप, वर्ष, पर्वत, वन, नदियाँ और देवता की पुरियाँ जितने भी सागर , द्वीप , वर्ष , पर्वत , वन , नदियाँ और देवता आदिकी पुरियाँ हूँ , उन सबका जितना – जितना परिमाण है ,…
प्रियव्रत और कर्दमजीकी पुत्री का विवाह प्रियव्रतने कर्दमजीकी पुत्रीसे विवाह किया था । उससे उनके सम्राट् और कुक्षि नामकी दो कन्याएँ तथा दस पुत्र हुए ॥ प्रियव्रतके पुत्र बड़े बुद्धिमान् , बलवान् , विनयसम्पन्न और अपने माता – पिताके अत्यन्त…
विष्णुभगवान्की विभूति और अधिपति नियुक्ति महर्षियों द्वारा महाराज पृथु का राज्याभिषेक पूर्वकालमें महर्षियोंने जब महाराज पृथुको राज्यपदपर अभिषिक्त किया तो लोक – पितामह श्रीब्रह्माजीने भी क्रमसे राज्योंका बँटवारा किया ॥ ब्रह्माजीने नक्षत्र , ग्रह , ब्राह्मण , सम्पूर्ण वनस्पति और…
कश्यपजी ऋषि और उनके वंश का वर्णन 1. संह्लादके वंशज संह्लादके पुत्र आयुष्मान् शिबि और बाष्कल थे तथा प्रह्लादके पुत्र विरोचन थे और विरोचनसे बलिका जन्म हुआ ॥ बलिके सौ पुत्र थे जिनमें बाणासुर सबसे बड़ा था । 2. हिरण्याक्षके…
हिरण्यकशिपु का शासन और प्रभुत्व उन सर्वदा उदारचरित परमबुद्धिमान् महात्मा प्रह्लादजीका चरित्र तुम ध्यानपूर्वक श्रवण करो ॥ पूर्वकालमें दितिके पुत्र महाबली हिरण्यकशिपुने ब्रह्माजीके वरसे गर्वयुक्त ( सशक्त ) होकर सम्पूर्ण त्रिलोकीको अपने वशीभूत कर लिया था ॥ वह दैत्य इन्द्रपदका…
प्रचेताओ की तपस्या की कथा: प्रचेताओंके तपस्यामें लगे रहनेसे [ कृषि आदिद्वारा ] किसी प्रकारकी रक्षा न होनेके कारण पृथिवीको वृक्षोंने ढँक लिया और प्रजा बहुत कुछ नष्ट हो गयी ॥ आकाश वृक्षोंसे भर गया था । इसलिये दस हजार…
प्राचीनबर्हि का जन्म और प्रचेताओंका भगवदाराधन पृथुके अन्तर्द्धान और उनकी संतति पृथुके अन्तर्द्धान और वादी नामक दो धर्मज्ञ पुत्र हुए ; उनमेंसे अन्तर्द्धानसे उसकी पत्नी शिखण्डिनीने हविर्धानको उत्पन्न किया ॥ हविर्धानसे अग्निकुलीना धिषणाने प्राचीनबर्हि , शुक्र, गय , कृष्ण ,…
वेन के जन्म और प्रकृति परमर्पियोंने वेनके हाथको क्यों मथा जिससे महापराक्रमी पृथुका जन्म हुआ ? मृत्युकी सुनीथा नामवाली जो प्रथम पुत्री थी वह अंगको पत्नीरूपसे दी ( व्याही ) गयी थी । उसीसे वेनका जन्म हुआ । वह मृत्युकी…