MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

113. ध्रुव तारा की कथा एवम ध्रुव का वनगमन

ध्रुव

ध्रुव की कथा स्वायम्भुव मनु के पुत्र मैंने तुम्हें स्वायम्भुवमनुके प्रियव्रत एवं उत्तानपाद नामक दो महाबलवान् और धर्मज्ञ पुत्र बतलाये थे।  उनमेंसे उत्तानपादकी प्रेयसी पत्नी सुरुचिसे पिताका अत्यन्त लाडला उत्तम नामक पुत्र हुआ । उस राजाकी जो सुनीति नामक राजमहिषी…

114. समुंद्र मंथन

समुंद्र मंथन

समुंद्र मंथन दुर्वासा ऋषि का शाप और देवताओं का पतन दुर्वासा ऋषि के श्राप से त्रिलोकीके श्रीहीन और सत्वरहित हो जानेपर दैत्य और दानवोंने देवताओंपर चढ़ाई कर दी ।सत्त्व और वैभवसे शून्य होनेपर भी दैत्योंने लोभवश निःसत्त्व और श्रीहीन देवताओंसे…

115. दुर्वसाजी के शापसे इन्द्र की पराजय

दुर्वसाजी

दुर्वासाजी ऋषि का विचरण  एक बार शंकरके अंशावतार श्री दुर्वसाजी पृथिवीतलमें विचर रहे थे । घूमते – घूमते उन्होंने एक विद्याधरीके हाथमें सन्तानक पुष्पोंकी एक दिव्य माला देखी । उसकी गन्धसे सुवासित होकर वह वन वनवासियोंके लिये अति सेवनीय हो…

116. लक्ष्मीजी की सर्वव्यपकता का वर्णन

लक्ष्मीजी

  लक्ष्मीजी का जन्म और महत्व भृगुके द्वारा ख्यातिने धाता और विधातानामक दो देवताओंको तथा लक्ष्मीजीको जन्म दिया जो भगवान् विष्णुकी पत्नी हुईं । लक्ष्मीजी तो अमृत – मन्थनके समय क्षीर – सागरसे उत्पन्न हुई थीं , फिर आप ऐसा…

117. भगवान शिव का रुद्र रूप एवम शिव उत्पति

रुद्र

भगवान रुद्र का जन्म मैंने तुमसे ब्रह्माजीके तामस – सर्गका वर्णन किया , अब मैं रुद्र सर्गका वर्णन करता हूँ , सो सुनो। कल्पके आदिमें अपने समान पुत्र उत्पन्न होनेके लिये चिन्तन करते हुए ब्रह्माजीकी गोदमें नीललोहित वर्णके एक कुमारका…

118. चातुर्वर्ण्य – व्यवस्था , पृथिवी – विभाग और अन्नादिकी उत्पत्तिका वर्णन

चातुर्वर्ण्य - व्यवस्था , पृथिवी - विभाग और अन्नादिकी उत्पत्तिका वर्णन

चातुर्वर्ण्य – व्यवस्था , पृथिवी – विभाग और अन्नादिकी उत्पत्तिका वर्णन ब्रह्माजी द्वारा प्रजाओं की उत्पत्ति जगत् – रचनाकी इच्छासे युक्त सत्यसंकल्प श्रीब्रह्माजीके मुखसे पहले सत्त्वप्रधान प्रजा उत्पन्न हुई । तदनन्तर उनके वक्षःस्थलसे रजःप्रधान तथा जंघाओंसे रज और तमविशिष्ट सृष्टि…

119. पृथ्वी द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति

पृथ्वी

पृथ्वी की प्रार्थना पृथिवी बोली – हे शंख , चक्र , गदा , पद्म धारण करनेवाले कमलनयन भगवन् ! आपको नमस्कार है । आज आप इस पातालतलसे मेरा उद्धार कीजिये । पूर्वकालमें आपहीसे मैं उत्पन्न हुई थी । हे जनार्दन…

120. वराह अवतार द्वारा पृथ्वी का उद्धार

वराह अवतार द्वारा पृथ्वी का उद्धार

वराह अवतार द्वारा पृथ्वी का उद्धार ब्रह्माजी का सत्त्वगुण से युक्त हो उठना  प्रजापतियोंके स्वामी नारायणस्वरूप भगवान् ब्रह्माजीने जिस प्रकार प्रजाकी सृष्टि की थी वह मुझसे सुनो । पिछले कल्पका अन्त होनेपर रात्रिमें सोकर उठनेपर सत्त्वगुणके उद्रेकसे युक्त भगवान् ब्रह्माजीने…

121. ब्रह्मा आदि देवी देवता की आयु और कालका स्वरूप

ब्रह्मा

ब्रह्मा का जीवनकाल और समय गणना समस्त भाव – पदार्थोकी शक्तियाँ अचिन्त्य – ज्ञानकी विषय होती हैं ; [ उनमें कोई युक्ति काम नहीं देती ] अतः अग्निकी शक्ति उष्णताके समान ब्रह्मकी भी सर्गादि – रचनारूप शक्तियाँ स्वाभाविक हैं ।…