84. यमगीता
यमगीता संसार की विभिन्न योनियाँ सातों द्वीप , सातों पाताल और सातों लोक – ये सभी स्थान जो इस ब्रह्माण्डके अन्तर्गत हैं , स्थूल , सूक्ष्म , सूक्ष्मतर , सूक्ष्मातिसूक्ष्म तथा स्थूल और स्थूलतर जीवोंसे भरे हुए हैं ॥ एक…
यमगीता संसार की विभिन्न योनियाँ सातों द्वीप , सातों पाताल और सातों लोक – ये सभी स्थान जो इस ब्रह्माण्डके अन्तर्गत हैं , स्थूल , सूक्ष्म , सूक्ष्मतर , सूक्ष्मातिसूक्ष्म तथा स्थूल और स्थूलतर जीवोंसे भरे हुए हैं ॥ एक…
सामवेद शाखाओं का विभाजन जैमिनिका पुत्र सुमन्तु था और उसका पुत्र सुकर्मा हुआ । उन दोनों महामति पुत्र – पौत्रोंने सामवेदकी एक – एक शाखाका अध्ययन किया ॥ तदनन्तर सुमन्तुके पुत्र सुकर्माने अपनी सामवेदसंहिताके एक सहस्र शाखाभेद किये और उन्हें…
व्यासजी और उनके शिष्य व्यासजीके शिष्य वैशम्पायनने यजुर्वेदरूपी वृक्षकी सत्ताईस शाखाओंकी रचना की ; और उन्हें अपने शिष्योंको पढ़ाया तथा शिष्योंने भी क्रमशः ग्रहण किया ॥ उनका एक परम धार्मिक और सदैव गुरुसेवामें तत्पर रहनेवाला शिष्य ब्रह्मरातका पुत्र याज्ञवल्क्य था…
वेदों का विभाग और वेदव्यासों का योगदान सृष्टिके आदिमें ईश्वरसे आविर्भूत वेद ऋक् – यजुः आदि चार पादोंसे युक्त और एक लक्ष मन्त्रवाला था । उसीसे समस्त कामनाओंको देनेवाले अग्निहोत्रादि दस प्रकारके यज्ञोंका प्रचार हुआ ॥ तदनन्तर अट्ठाईसवें द्वापरयुगमें मेरे…
व्यास रूप और वेदों का विभाग प्रत्येक द्वापरयुगमें भगवान् विष्णु व्यासरूप में अवतीर्ण होते हैं और संसारके कल्याणके लिये एक वेदके अनेक भेद कर देते हैं ॥ मनुष्योंके बल वीर्य और तेजको अल्प जानकर वे समस्त प्राणियोंके हितके लिये वेदोंका…
सावर्णिमनुकी उत्पत्ति तथा आगामी सात मन्वन्तरोंके मनु सूर्यदेव और संज्ञा की कथा विश्वकर्माकी पुत्री संज्ञा सूर्यकी भार्या थी । उससे उनके मनु , यम और यमी – तीन सन्तानें हुईं ॥ संज्ञा की तपस्या और छाया का प्रकट होना कालान्तरमें…
मन्वन्तरों का वर्णन प्रथम मनु: स्वायम्भुव भूतकालमें जितने मन्वन्तर हुए हैं तथा आगे भी जो – जो होंगे॥ प्रथम मनु स्वायम्भुव थे । उनके अनन्तर क्रमश : स्वारोचिष , उत्तम , तामस , रैवत और चाक्षुष हुए ॥ ये छः…
ऋभु और निदाघ का पुनर्मिलन और उपदेश ऋभु का पुनरागमन ब्राह्मण बोले – हे नरेश्वर ! तदनन्तर सहस्र वर्ष व्यतीत होनेपर महर्षि ऋभु निदाघको ज्ञानोपदेश करनेके लिये फिर उसी नगरको गये ॥ वहाँ पहुँचनेपर उन्होंने देखा कि वहाँका राजा बहुत…
महर्षि ऋभु और महात्मा निदाघ का संवाद परिचय ब्राह्मण बोले- हे राजशार्दूल पूर्वकालमें महर्षि ऋभुने महात्मा निदाघको उपदेश करते हुए जो कुछ कहा था वह सुनो ॥ हे भूपते परमेष्ठी श्रीब्रह्माजीका ऋभु नामक एक पुत्र था , वह स्वभावसे ही…