MEGHA PATIDAR

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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

93. जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद

जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद

जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद राजा की मनोवृत्तियों का भ्रम राजा बोले- भगवन् ! आपने जो परमार्थमय वचन कहे हैं उन्हें सुनकर मेरी मनोवृत्तियाँ भ्रान्त – सी हो गयी हैं ॥ आपने सम्पूर्ण जीवोंमें व्याप्त जिस असंग विज्ञानका दिग्दर्शन कराया है…

94. राजा भरत चरित्र

राजा भरत चरित्र

  राजा भरत चरित्र आपने पहले जिसकी चर्चा की थी वह राजा भरतका चरित्र मैं सुनना चाहता हूँ ,कृपा करके कहिये ॥ कहते हैं , वे राजा भरत निरन्तर योगयुक्त होकर भगवान् वासुदेवमें चित्त लगाये शालग्रामक्षेत्र में रहा करते थे…

95. चंद्रमा और ग्रहों का वर्णन

चंद्रमा

चंद्रमा और ग्रहों का वर्णन 1. चंद्रमा का रथ और उसके घोड़े चन्द्रमा का रथ तीन पहियोंवाला है , उसके वाम तथा दक्षिण ओर कुन्द- कुसुम के समान श्वेतवर्ण दस घोड़े जुते हुए हैं । ध्रुव के आधार पर स्थित…

96. सूर्य शक्ति एवं वैष्णवी शक्ति का वर्णन

सूर्य

सूर्य और उनके सात गणों का विवरण 1. सूर्य की प्रधानता सूर्य सात गणों में से ही एक हैं तथापि उनमें प्रधान होने से उनकी विशेषता है ॥ भगवान् विष्णु की जो सर्वशक्तिमयी ऋक् , यजुः , साम नामकी परा…

97. सूर्य के नाम एवं अधिकारियों का वर्णन

सूर्य

सूर्य की वार्षिक गति और मासिक गणों का विवरण  सूर्य की वार्षिक गति आरोह और अवरोह के द्वारा सूर्य की एक वर्ष में जितनी गति है उस सम्पूर्ण मार्ग की दोनों काष्ठाओं का अन्तर एक सौ अस्सी मण्डल है ॥…

98. ध्रुव तारा और शिशुमार

ध्रुव

ध्रुव तारा और शिशुमार आकाश में भगवान् विष्णु का जो शिशुमार ( गिरगिट अथवा गोधा ) -के समान आकार वाला तारामय स्वरूप देखा जाता है , उसके पुच्छ – भागमे ध्रुव अवस्थित है ॥ यह ध्रुव स्वयं घूमता हुआ चन्द्रमा…

99. सूर्य , नक्षत्र एवं राशियोंकी व्यवस्था तथा कालचक्र , लोकपाल और गंगाविर्भावका वर्णन

सूर्य

सूर्यदेव का रथ रथ का विस्तार सूर्यदेवके रथका विस्तार नौ हजार योजन है तथा इससे दूना उसका ईषा – दण्ड ( जूआ और रथके बीचका भाग ) है ॥ उसका धुरा डेढ़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है जिसमें उसका…

100. त्रिलोकी और उसके लोकों का वर्णन

त्रिलोकी

त्रिलोकी और उसके लोकों का वर्णन पृथिवी और भुवर्लोक जितनी दूरतक सूर्य और चन्द्रमाकी किरणोंका प्रकाश जाता है ; समुद्र , नदी और पर्वतादिसे युक्त उतना प्रदेश पृथिवी कहलाता है ॥ जितना पृथिवीका विस्तार और परिमण्डल ( घेरा ) है…

101. नरकों का वर्णन तथा भगवन्नामके माहात्म्यका वर्णन

नरक

  नरकों का वर्णन और पापों के परिणाम नरकों की सूची तदनन्तर पृथिवी और जलके नीचे नरक हैं जिनमें पापी लोग गिराये जाते हैं । रौरव , सूकर , रोध , ताल , विशसन , महाज्वाल , तप्तकुम्भ , लवण…

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