कलियुग का स्वरूप
कलियुग में मनुष्यों की प्रवृत्ति धर्मानुकूल नहीं रहती। उस समय गुरुओ का सम्मान, बड़ो का सम्मान, यज्ञ क्रिया भी नहीं रहता । कलियुग में जो बलवान होगा वहीं सबका स्वामी होगा। कलियुग में अल्प धनसे ही, लोगों को धनान्यता का…
कलियुग में मनुष्यों की प्रवृत्ति धर्मानुकूल नहीं रहती। उस समय गुरुओ का सम्मान, बड़ो का सम्मान, यज्ञ क्रिया भी नहीं रहता । कलियुग में जो बलवान होगा वहीं सबका स्वामी होगा। कलियुग में अल्प धनसे ही, लोगों को धनान्यता का…
शिवपुराण में कहा है कि घोर कलियुग के प्राप्त होने पर सर्वपुरुष पुण्य, धर्म, कर्म से हीन हो जायेंगे और सर्व पुरुष सत्य भाषण आदि से रहित बहिर्मुख दुराचार में प्रीति वाले हो जायेंगे। आत्मज्ञान का अभाव कलियुग में मूढ़…
आत्म स्वरूप ब्रह्म की प्राप्ति का साधन अद्वैत ब्रह्म विचार रूप ही आन्तरीय पूजा है।मैत्रेय्योपनिषद् में महादेवजी ने मैत्रेय ब्राह्मण से कहा है कि यह पंच भौतिक देह देवालय रूप है। इस देह रूपी देवालय में जीवात्म केवल प्रकाश स्वरूप…