Dainik pooja shlok (दैनिक पूजा श्लोक): प्रातःकालीन मंत्र और प्रार्थनाएं

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Dainik pooja shlok प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्तमें सबसे पहले अपनी हथेलियोंको देखकर यह मंत्र बोलना चाहिये।

॥ प्रातः कर-दर्शन ॥
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ॥

हाथों के अग्रभाग (ऊपरी हिस्से) में लक्ष्मीजी का निवास होता है,
हाथों के मध्य में सरस्वतीजी का निवास होता है,
और हाथों के मूल (नीचे के भाग) में ब्रह्माजी निवास करते हैं।
इसलिए प्रातःकाल अपने हाथों का दर्शन करना चाहिए।

॥ पृथ्वी माताकी प्रार्थना ॥
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डिते ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे ॥

हे देवी, जो समुद्र को वस्त्र के रूप में धारण करती हैं और जिनके पर्वत स्तनों के समान शोभा बढ़ाते हैं।
हे भगवान विष्णु की पत्नी, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
मेरे पैरों से आपको जो स्पर्श होता है, उसके लिए क्षमा चाहता हूँ।

॥ स्नान करते समय बोले जानेवाले श्लोक ॥

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिंधुकावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥

हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी नदियो ! आप सभी मेरे स्नान करनेके पानीमें पधारिये।

॥ सूर्यभगवान्‌को अर्घ्य ॥

एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशे ! जगत्पते ! अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर !

हे सूर्यदेव! सहस्रों किरणों वाले, तेजस्वी प्रकाश के स्रोत और सम्पूर्ण जगत के स्वामी!
मुझ पर कृपा करें और मेरी भक्ति को स्वीकार कर अर्घ्य को ग्रहण करें।

॥ तुलसीमाताको नमस्कार ॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नारदनुते नारायणमनः प्रिये ॥

हे तुलसी देवी! श्रीहरि की सखी, शुभता प्रदान करने वाली, पापों को हरने वाली और पुण्य देने वाली हो।
आपको नारदजी ने भी स्तुति की है, और आप भगवान नारायण के हृदय की प्रिय हैं।

॥ दीपदर्शन ॥

शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं धनसंपदः । शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥

दीप की ज्योति हमें शुभता, कल्याण, आरोग्यता (स्वास्थ्य) और धन-सम्पत्ति प्रदान करे।
यह शत्रुओं की बुद्धि का नाश करने वाली है, ऐसी दीपज्योति को मेरा नमस्कार।

दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥

दीप की ज्योति ही परब्रह्म (सर्वोच्च सत्य) है, यह भगवान जनार्दन (श्रीहरि) का प्रतीक है।
यह दीपज्योति मेरे पापों का नाश करे। ऐसी पवित्र दीपज्योति को मैं नमस्कार करता हूँ।

॥ चरणामृत-ग्रहण मंत्र ॥

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अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
विष्णुपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ॥

भगवान विष्णु के चरणों का चरणामृत पीने से अकाल मृत्यु का नाश होता है,
सभी रोग समाप्त हो जाते हैं, और पुनर्जन्म नहीं होता।

॥ तुलसी-ग्रहण मंत्र ॥

पूजनानन्तरं विष्णोरर्पितं तुलसीदलम् ।
भक्षये देहशुद्धयर्थं चान्द्रायणशताधिकम् ॥

॥ भोजन करनेसे पहले ॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।
ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥

॥ रात्रिमें शयनसे पहले ॥

अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम् ।
हंसं नारायणं कृष्णं जपेद् दुःस्वप्नशान्तये ॥

॥ सब समयके लिये महामन्त्र ॥

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ।

हे ईश्वर ! तुम्हीं मेरे माता हो और तुम्हीं पिता। तुम्हीं भाई हो और तुम्हीं मित्र। तुम्हीं विद्या और द्रव्य (धन) भी हो। तुम्हीं मेरे सर्वस्व हो।

त्रिदेवोंके साथ नवग्रह मन्त्र

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु ॥

त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु, महादेव एवं सूर्य, चन्द्र, भूमिपुत्र (मंगल), बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु-ये सारे ग्रह हमें; शान्ति प्रदान करें।

॥ सर्वमंगलकामना ॥

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

हे ईश्वर! आप पूर्ण हैं। यह विश्व भी (अमर्याद) पूर्ण है। पूर्णमेंसे पूर्णका प्रादुर्भाव होता है। (पूर्ण ब्रह्मसे पूर्ण लेकर इस पूर्ण सृष्टिका निर्माण हुआ है) पूर्णमेंसे पूर्ण लेनेके पश्चात् पूर्ण ही शेष रहता है। हे ईश्वर। सभी ओर शान्ति, शान्ति, शान्ति हो।

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FAQs:

प्रातः कर-दर्शन मंत्र क्यों बोला जाता है?

यह मंत्र लक्ष्मी, सरस्वती, और ब्रह्माजी के हाथों में वास की मान्यता के लिए बोला जाता है।

पृथ्वी प्रार्थना का महत्व क्या है?

पृथ्वी देवी से पैर लगाने के लिए क्षमा मांगने की परंपरा है।

स्नान मंत्र का उद्देश्य क्या है?

पवित्र नदियों को स्नान जल में आमंत्रित करना।

सूर्य अर्घ्य का क्या लाभ है?

यह मंत्र ऊर्जा और शक्ति के लिए सूर्य को अर्पण है।

रात्रि के शयन मंत्र का उद्देश्य?

यह मंत्र दुःस्वप्न को शांत करता है।


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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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