Eknath Shashthi 2025: Mahatva, Itihas aur Utsav ki Jankari

Eknath Shashthi , जिसे ‘नाथ षष्ठी’ भी कहा जाता है, महाराष्ट्र के पैठण में प्रतिवर्ष फाल्गुन वद्य षष्ठी (हिंदू पंचांग के अनुसार) को मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। यह दिन संत श्री एकनाथ महाराज की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने मराठी साहित्य और भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। साल 2025 में, यह उत्सव 20 मार्च को मनाया जाएगा।

संत श्री एकनाथ महाराज का जीवन परिचय

संत एकनाथ महाराज का जन्म 1533 ईस्वी में पैठण, महाराष्ट्र में हुआ था। वे संत भानुदास के वंशज थे और संत जनार्दन स्वामी के शिष्य थे। एकनाथ महाराज ने मराठी साहित्य को समृद्ध किया और समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी रचनाएँ, जैसे ‘एकनाथी भागवत’, ‘भावार्थ रामायण’ और ‘रुक्मिणी स्वयंवर’, आज भी मराठी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

एकनाथ षष्ठी का महत्व

एकनाथ षष्ठी का दिन संत एकनाथ महाराज की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने समाज सुधार और भक्ति मार्ग में अमूल्य योगदान दिया। यह उत्सव न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। पैठण में इस अवसर पर लाखों भक्त एकत्रित होते हैं, जिससे यह वारकरी संप्रदाय का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन बनता है, पहला स्थान पंढरपुर की आषाढ़ी वारी को प्राप्त है।

उत्सव की प्रमुख गतिविधियाँ

उत्सव तीन दिनों तक चलता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:

  1. द्वितीया (पहला दिन): इस दिन नाथ मंदिर में रांजण की पूजा के साथ उत्सव की शुरुआत होती है। श्रीकेशवस्वामीकृत नाथ चरित्र का पारायण किया जाता है, और मानकऱ्याओं को उत्सव का निमंत्रण दिया जाता है।
  2. षष्ठी (दूसरा दिन): प्रातः 2 बजे श्रीविजयी पांडुरंग की मूर्ति का महाभिषेक किया जाता है। दोपहर 12 बजे नाथवंशजों की मानाची पहली दिंडी (पालकी) नाथ मंदिर से श्रीएकनाथ महाराज की समाधि मंदिर की ओर प्रस्थान करती है। इस दौरान कीर्तन, भजन और हरिदासी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  3. सप्तमी (तीसरा दिन): रात्रि 12 बजे नाथ की पादुकाओं की नगर में मिरवणूक (शोभायात्रा) निकाली जाती है, जिसे ‘छबिना’ कहा जाता है। प्रातः गोदावरी नदी के तट पर पादुकाओं का स्नान कराया जाता है, और वहां भारुड (लोकनृत्य) प्रस्तुत किए जाते हैं।
  4. अष्टमी (चौथा दिन): सायंकाल 4 बजे ‘काला दिंडी’ निकाली जाती है। उदासी मठ के पास पायऱ्यां (सीढ़ियों) पर पावल्या (लोकनृत्य) खेले जाते हैं। मंदिर के प्रांगण में गुळ और लाह्या (मुरमुरे) के बड़े लड्डू बांधे जाते हैं, जिनमें काला (दही, चिवड़ा, आदि का मिश्रण) भरा होता है। सूर्यास्त के समय नाथवंशज काठी की सहायता से हंडी फोड़ते हैं, और प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है।

इन तीन दिनों में, पैठण में हजारों वारकरी (भक्त) दिंडियों (समूहों) के साथ शामिल होते हैं, जो महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से आते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें मराठी लोककला और परंपराओं का प्रदर्शन होता है।

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FAQs

Eknath Shashthi kab manayi jati hai?

Har saal Falgun Vadya Shashthi ko manayi jati hai. Saal 2025 me yeh 20 March ko padegi.

Is utsav ka mukhya sthal kaha hai?

Maharashtra ke Paithan nagar me yeh utsav bade dhum-dham se manaya jata hai.

Eknath Shashthi kitne din ka utsav hota hai?

Yeh 3-4 din tak chalta hai aur isme anek dharmik aur sanskritik karyakram hote hain.

Utsav ke mukhya anushthan kya hain?

Ranjan Puja aur Nath Charitra Path
Dindi Yatra aur Palaki Miravanuk
Bhajan, Keertan aur Haridasi
Godavari Snan aur Padhuka Yatra
Kala Dindi aur Bharud Natya

Isme kitne log shamil hote hain?

Har saal 6-7 lakh bhakt Paithan me shamil hote hain.

Kya yeh utsav Maharashtra ke bahar bhi mana jata hai?

Haan, jaha Marathi Samaj hai, waha yeh utsav shraddha ke sath manaya jata hai.

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MEGHA PATIDAR

Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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