Ganga Dussehra 2025 (गंगा दशहरा), जिसे गंगावतरण भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माँ गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। वर्ष 2025 में गंगा दशहरा का पर्व अपनी पूरी आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल माँ गंगा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति का भी प्रतीक है।
गंगा दशहरा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2025: Date and Auspicious Time)
वर्ष 2025 में गंगा दशहरा का पावन पर्व शुक्रवार, 6 जून 2025 को मनाया जाएगा।
- दशमी तिथि प्रारम्भ: 5 जून 2025, गुरुवार को रात्रि (लगभग) 10:03 बजे से।
- दशमी तिथि समाप्त: 6 जून 2025, शुक्रवार को रात्रि (लगभग) 08:23 बजे तक।
गंगा दशहरा के दिन हस्त नक्षत्र का होना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन किया गया स्नान, दान और पूजन कई गुना अधिक पुण्य प्रदान करता है।
गंगा दशहरा का पौराणिक महत्व (Mythological Significance of Ganga Dussehra)
गंगा दशहरा का पर्व माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सगर के साठ हजार पुत्र कपिल मुनि के श्राप से भस्म हो गए थे। उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए उनके वंशज राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की।
- भगीरथ की तपस्या: राजा भगीरथ ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया। ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर गंगा को पृथ्वी पर भेजने का वरदान दिया, परन्तु उन्होंने गंगा के प्रचंड वेग को धारण करने की समस्या भी बताई।
- भगवान शिव का सहयोग: ब्रह्मा जी के सुझाव पर भगीरथ ने भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव ने भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा को अपनी जटाओं में धारण करने का वचन दिया।
- गंगा का पृथ्वी पर अवतरण: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को माँ गंगा स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में उतरीं और फिर उनकी जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर प्रवाहित हुईं। उनके स्पर्श मात्र से राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ।
इसीलिए इस दिन को ‘गंगावतरण’ या ‘गंगा दशहरा’ कहा जाता है। ‘दशहरा’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ‘दश’ (दस) और ‘हरा’ (हरने वाली), अर्थात दस प्रकार के पापों को हरने वाली।
- गंगा दशहरा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2025: Date and Auspicious Time)
- गंगा दशहरा का पौराणिक महत्व (Mythological Significance of Ganga Dussehra)
- गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व और दस पापों से मुक्ति (Religious Significance and Liberation from Ten Sins)
- गंगा दशहरा 2025 की पूजा विधि (Ganga Dussehra 2025 Puja Vidhi)
- गंगा दशहरा पर क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts on Ganga Dussehra)
- गंगा दशहरा का ज्योतिषीय महत्व (Astrological Significance of Ganga Dussehra)
- निष्कर्ष (Conclusion)
- FAQs-
गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व और दस पापों से मुक्ति (Religious Significance and Liberation from Ten Sins)
गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पापों का नाश होता है। ये दस पाप इस प्रकार हैं:
- तीन कायिक पाप (शरीर द्वारा किए गए):
- अवैध हिंसा या दूसरों को पीड़ा पहुंचाना।
- चोरी करना या दूसरों की वस्तु हड़पना।
- परस्त्री गमन या व्यभिचार।
- चार वाचिक पाप (वाणी द्वारा किए गए):
- कटु वचन बोलना।
- झूठ बोलना।
- चुगली करना या निंदा करना।
- व्यर्थ की बातें करना।
- तीन मानसिक पाप (मन द्वारा किए गए):
- दूसरों के धन पर बुरी दृष्टि रखना।
- दूसरों का अहित सोचना।
- नास्तिकता या व्यर्थ का अभिमान।
गंगा दशहरा के दिन गंगा में आस्थापूर्वक डुबकी लगाने से इन दस पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति का मन निर्मल होता है।
गंगा दशहरा 2025 की पूजा विधि (Ganga Dussehra 2025 Puja Vidhi)
गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है:
- गंगा स्नान: इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य गंगा स्नान है। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि गंगा तट पर जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर “ॐ नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें।
- संकल्प: स्नान से पूर्व हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर गंगा दशहरा व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- पूजन सामग्री: माँ गंगा की पूजा के लिए दस प्रकार के पुष्प, दस प्रकार के फल, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस सुपाड़ी, दस पान, और दस प्रकार के अन्न (यदि संभव हो) का प्रयोग किया जाता है।
- अर्घ्य दान: स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और फिर माँ गंगा को भी अर्घ्य दें।
- माँ गंगा का ध्यान और मंत्र जाप: माँ गंगा का ध्यान करें और निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- “ॐ नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै कृष्णायै विष्णुरूपिण्यै नमोऽस्तु ते नमः।”
- “गंगा गंगेति यो ब्रूयात् योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति॥”
- आरती: धूप, दीप से माँ गंगा की आरती करें।
- दान: गंगा दशहरा के दिन दान का विशेष महत्व है। अपनी श्रद्धानुसार जल से भरा घड़ा, सत्तू, वस्त्र, अन्न, फल, छाता, जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए। इस दिन दस वस्तुओं का दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
- पितृ तर्पण: इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करने से उन्हें भी तृप्ति मिलती है।
गंगा दशहरा पर क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts on Ganga Dussehra)
- क्या करें:
- गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- माँ गंगा की विधिवत पूजा करें।
- अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य करें।
- गंगा स्तोत्र या गंगा सहस्रनाम का पाठ करें।
- व्रत रखें (यदि स्वास्थ्य अनुमति दे)।
- अपने आचरण को शुद्ध रखें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- क्या न करें:
- गंगा नदी या किसी भी जल स्रोत को प्रदूषित न करें।
- किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
- मांस-मदिरा आदि तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
- झूठ या कटु वचन न बोलें।
गंगा दशहरा का ज्योतिषीय महत्व (Astrological Significance of Ganga Dussehra)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी गंगा दशहरा का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन हस्त नक्षत्र होता है, जो चंद्रमा का नक्षत्र है और शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन किए गए उपाय और पूजा-पाठ शीघ्र फलदायी होते हैं। जल तत्व से संबंधित ग्रह चंद्रमा इस दिन विशेष रूप से बलवान होता है, जिससे मानसिक शांति और शीतलता प्राप्त होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
गंगा दशहरा 2025 न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की पवित्रता बनाए रखने का संदेश भी देता है। माँ गंगा हमारे जीवन का आधार हैं और उनकी कृपा से ही हमें समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर हमें माँ गंगा के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए और उनके द्वारा प्रदान किए गए जीवनदायी जल का सम्मान करना चाहिए। श्रद्धापूर्वक गंगा स्नान, पूजन और दान करके हम अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं और अपने दस प्रकार के पापों से मुक्ति पाकर पुण्य के भागी बन सकते हैं।
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FAQs-
Ganga Dussehra 2025 kab hai?
Ganga Dussehra 2025 Friday, 6th June ko celebrate kiya jayega.
Ganga Dussehra kyon manaya jata hai?
isi din Maa Ganga heaven se Earth par aayi thi. Isliye yeh festival Maa Ganga ke Earth par arrival ke occasion par manaya jata hai.
Ganga Dussehra ka main importance kya hai?
Is din Ganga mein nahane (snan karne) se insaan ke 10 tarah ke paap (sins) – 3 sharir ke, 4 baaton ke, aur 3 man ke – destroy ho jate hain aur use punya milta hai.
“Dussehra” word ka Ganga Dussehra mein kya matlab hai?
“Dussehra” ka matlab hai ‘dus paapon ko harne wala’. ‘Dash’ matlab ten (dus) aur ‘hara’ matlab door karne wala ya harne wala.
Maa Ganga ko Earth par kaun laya tha?
Suryavanshi Raja Bhagirath apni kadi tapasya (penance) aur Lord Shiva ki help se Maa Ganga ko Earth par laye the, taaki unke ancestors ko moksha mil sake.
Agar Ganga river paas na ho toh Ganga Dussehra par kaise nahayein?
Agar aap Ganga river ke paas nahi ja sakte, toh ghar par hi nahane ke paani mein thoda sa Ganga jal milakar “ॐ नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नमः” mantra bolte hue naha sakte hain.
Ganga Dussehra ki puja mein kin cheezon ki special importance hoti hai?
Puja mein 10 tarah ke phool (flowers), 10 tarah ke phal (fruits), 10 deepak (lamps), 10 tarah ke prasad (naivedya), 10 supari, aur 10 paan ka use karna shubh mana jata hai.
Ganga Dussehra par daan (charity) ka kya importance hai?
Is din daan karne ka bahut zyada importance hai. Paani se bhara ghada (pot), sattu, kapde, anaaj (grains), fruits, umbrella, chappal/joote (footwear) etc. donate karna पुण्यदायी (punya-dayi) hota hai. Dus cheezon ka daan karna bahut accha mana jata hai.
Kya Ganga Dussehra par fast (vrat) rakhna zaroori hai?
Fast rakhna compulsory nahi hai, lekin log apni faith aur health ke according is din fast rakh sakte hain. Isse mann ki shuddhi aur punya milta hai.
Ganga Dussehra ke din kaun sa mantra japna chahiye?
“ॐ नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नमः” ya “गंगा गंगेति यो ब्रूयात् योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति॥” jaise mantras ka jaap karna faydemand hota hai.
Woh 10 paap (sins) kaun se hain jo Ganga Dussehra par destroy ho jate hain?
Yeh 10 paap hain – (Sharir ke/Physical) galat tarike se hinsa karna, chori karna, galat sexual relations; (Baaton ke/Verbal) kadvi baatein bolna, jhoot bolna, chugli karna, bekar ki baatein karna; (Mann ke/Mental) doosron ke paise par buri nazar rakhna, doosron ka bura sochna, na-astik hona ya faltu ka ghamand karna.
Ganga Dussehra par pitron (ancestors) ke liye kya kar sakte hain?
Is din pitron ke liye Gangajal se tarpan aur shraddh karne se unhe shanti milti hai aur unka aashirwad milta hai.
Ganga Dussehra aur Ganga Saptami mein kya difference hai?
Ganga Dussehra Maa Ganga ke Earth par aane ka din hai (Jyeshtha Shukla Dashami). Jabki Ganga Saptami (Vaishakh Shukla Saptami) ko Maa Ganga ka punarjanam (rebirth) day mana jata hai, jab woh Jahnu Rishi ki beti bani aur Jahnavi kehlayi.
Ganga Dussehra ke din kin cheezon se bachna chahiye?
Ganga river ya kisi bhi water source ko pollute nahi karna chahiye, jhoot ya kadvi baatein nahi bolni chahiye, aur non-veg, alcohol jaise tamasic cheezon ka sevan nahi karna chahiye.
Ganga Dussehra 2025 ka shubh muhurat kya hai?
Dashami tithi 5th June 2025, Thursday raat (approx) 10:03 PM se shuru hogi aur 6th June 2025, Friday raat (approx) 08:23 PM tak rahegi. Accurate muhurat ke liye local pandit ji se consult karein. Nahane ka best time subah-subah hota hai