Pujya Shri Indresh Ji ne apni madhur aawaz aur adbhut bhavabhivyakti ke saath Geet Govind ke pramukh padon ko gaya hai. Unka gaya hua har shabd man ko bhakti mein dooba deta hai.
Unki gayaaki mein:
- Madhurata
- Shuddh ucharan
- Gehrayee bhara bhav
ye sab kuch milkar ek adbhut anubhav dete hain. Jab aap is rendition ko sunte hain, to aisa lagta hai jaise aap Vrindavan ke kunj-galiyon mein khud maujood hain.
Lyrics
श्रित-कमला-कुच-मण्डल धृत-कुण्डल ए।
कलित-ललित-वनमाल जय जय देव हरे॥
जय हो, भगवान हरि की जय हो, देवत्व के सर्वोच्च व्यवतित्व, जो रत्नों से सुसजित
झुमके और वन के फूलों की माला से विभूषित हैं और जिनके चरणों में कमल अंकित है !
दिन-मणि-मण्डल-मण्डन भवखण्डन ए।
मुनिजन-मानस-हंस जय जय देव हरे ॥
प्रभु का मुख सूर्य के चक्र के समान चमकता है। वह अपने भक्तों के दुखों को दूर करते हैं
और हंस जैसे मुनियों के मन के विश्राम स्थल हैं। महिमा ! भगवान श्रीहरि की जय !
कालिय-विषधर-गंजन जनरंजन ए।
यदुकुल-नलिन-दिनेश जय जय देव हरे ॥
हे देवत्व के सर्वोच्च व्यवतित्व जिन्होंने राक्षसी कालिया नाग को नष्ट कर दिया! हे भगवान, आप
सभी जीवों के परिय हैं और यदु वंश की आकाशगंगा में सूर्य हैं। महिमा ! भगवान श्रीहरि की जय ।
राधे कृष्णा हरे गोविंद गोपाला
नन्द जू को लाला यशोदा दुलाला
जय जय देव हरे ॥
अमल-कमल-दल-लोचन भव-मोचन ए।
त्रिभुवन-भवन-निधान जय जय देव हरे।।
हे भगवान आपकी आंखें कमल की पंखुडायों की तरह हैं, और आप भौतिक दुनिया के बंधन
को नष्ट करते हैं। आप तीनों लोकों के पालनहार हैं। भगवान हरि की जय !
जनक-सुता-कृत-भूषण जित-दूषण ए।
समर-शमित-दश-कण्ठ जय जय देव हरे।।
भगवान, जनक के पुत्रों के रत्न के रूप में, आप सभी असुरों पर विजयी थे, और आपने सबसे
बडे असुर, दस सिर वाले रावण को मार डाला। भगवान हरि की जय !
अभिनव-जल-धर-सुन्दर धृत-मन्दर ए।
श्रीमुख-चन्द्र-चकोर जय जय देव हरे।।
गोवर्धन पर्वत धारण करने वाले देवत्व के सर्वोच्च व्यवतित्व ! आपका रंग एक ताजा मानसून
बादल की तरह है, और श्री राधारानी एक चकोरा पक्षी की तरह है जो आपके चंद्रमा
के चेहरे की रोशनी पीकर पोषित होती है। महिमा ! श्री हरि की जय।
तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए।
कुरु कुश-लंव प्रण-तेषु जय जय देव हरे।।
हे प्रभु, मैं आपके चरण कमलों में विनम्र प्रणाम
करता हूं। कृपया मुझे अपनी असीम दया से आशीर्वाद दें! महिमा भगवान श्रीहरि की जय !
श्रीजय-देव-कवेरु-दित-मिदं कुरुते मृदम ।
मंगल-मंजुल-गीतं जय जय देव हरे ।।
कवि श्री जयदेव आपको भवति और चमकदार
सौभाग्य का यह गीत प्रदान करते हैं। सभी महिमा ! भगवान श्री हरि की जय !
राधे कृष्णा हरे गोविंद गोपाला
नन्द जू को लाला यशोदा दुलाला
जय जय देव हरे ॥
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FAQs
Geet Govind kisne likha tha?
Geet Govind ko Sanskrit ke mahan kavi Shri Jaydev ji ne likha tha, jo 12vi shatabdi ke prasiddh kavi aur bhakt the.
Geet Govind ka mukhya vishay kya hai?
Iska mukhya vishay Shri Krishna aur Radha Rani ke madhur prem ras aur unke antaraanga bhaavon ka varnan hai, jo bhakti aur samarpan ko prastut karta hai.
Pujya Shri Indresh Upadhyay Ji ka Geet Govind version alag kyun hai?
Unki awaaz mein shuddhata, bhav, aur madhurata ka adbhut sanyog hai. Is wajah se unki prastuti sunte waqt man aur aatma dono hi bhakti mein doob jaate hain.
Geet Govind ko kaise sahi tarike se sunna chahiye?
Shaant man se suniye.
Bhakti bhaav ke saath suniye.
Jab sunte hain, to lyrics ke arth aur bhavnao ko samajhne ki koshish kijiye.
Aap chahein to eyes closed kar ke meditation ke jaise feel bhi le sakte hain.