हिन्दू धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा और जगत की आत्मा माना गया है। सूर्य का प्रत्येक राशि में गोचर एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना होती है, जिसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जब सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti) कहा जाता है। Mithun Sankranti 2025 का पर्व ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करने और सूर्य चालीसा का पाठ करने से जीवन में चमत्कारी बदलाव देखे जा सकते हैं।
मिथुन संक्रांति 2025 कब है? (Mithun Sankranti 2025 Date and Time)
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में सूर्य देव का मिथुन राशि में गोचर शनिवार, 15 जून 2025 को होगा। इसी दिन मिथुन संक्रांति का पुण्य पर्व मनाया जाएगा। इस दिन से सूर्य मिथुन राशि में लगभग एक महीने तक विराजमान रहेंगे। यह समय प्रकृति में भी बड़े बदलाव लेकर आता है, क्योंकि इसी दौरान वर्षा ऋतु का आगमन होता है, जो धरती को नई ऊर्जा और जीवन प्रदान करती है।
मिथुन संक्रांति का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
मिथुन संक्रांति का महत्व केवल एक राशि परिवर्तन तक सीमित नहीं है। इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है:
- दान-पुण्य का पर्व: संक्रांति के दिन स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और गरीबों व जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न और गुड़ का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- पितरों की शांति: इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करने से उन्हें शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- रज पर्व (Raja Parba): भारत के पूर्वी राज्य, विशेषकर ओडिशा में, मिथुन संक्रांति को ‘रज पर्व’ के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व धरती माता और नारीत्व को समर्पित है और तीन दिनों तक चलता है।
- ज्योतिषीय प्रभाव: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, मान-सम्मान, स्वास्थ्य और सरकारी पद का कारक माना गया है। मिथुन राशि, जो बुध ग्रह द्वारा शासित है, बुद्धि, संचार और विवेक का प्रतीक है। जब सूर्य मिथुन राशि में आते हैं, तो यह व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति और संचार कौशल को प्रभावित करता है।
मिथुन संक्रांति पर सूर्य चालीसा का पाठ क्यों है विशेष?
Mithun Sankranti 2025 का दिन सूर्य देव की ऊर्जा से पूरी तरह सराबोर होता है। इस दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं, लेकिन सूर्य चालीसा का पाठ सबसे सरल, सुगम और शक्तिशाली उपायों में से एक है।
सूर्य चालीसा, भगवान सूर्य को समर्पित 40 चौपाइयों का एक भक्तिमय स्तोत्र है। यह स्तुति सूर्य देव के तेज, गुण, शक्ति और महिमा का वर्णन करती है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन के अनेक कष्ट दूर होते हैं और उसे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। मिथुन संक्रांति के दिन इसका पाठ करने का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
सूर्य चालीसा पाठ से मिलने वाले चमत्कारी लाभ (Benefits of Surya Chalisa)
मिथुन संक्रांति के शुभ अवसर पर सूर्य चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से निम्नलिखित अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं:
1. स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि
सूर्य देव उत्तम स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के प्रतीक हैं। सूर्य चालीसा का पाठ करने से नेत्र रोग, हृदय रोग, हड्डियों की कमजोरी और त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है। यह शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार करता है।
2. मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर हो या जिन्हें समाज में सम्मान की कमी महसूस होती है, उनके लिए यह पाठ किसी वरदान से कम नहीं है। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और उसे कार्यक्षेत्र में सफलता व पदोन्नति मिलती है।
3. नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से रक्षा
सूर्य का प्रकाश अंधकार को समाप्त कर देता है। ठीक उसी प्रकार, सूर्य चालीसा का पाठ व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है, जो उसे नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और शत्रुओं के षड्यंत्र से बचाता है।
4. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि
सूर्य ज्ञान के प्रकाशक हैं और मिथुन राशि बुद्धि की। इस संक्रांति पर सूर्य चालीसा का पाठ करने से छात्रों को विद्या प्राप्ति में सहायता मिलती है और व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता प्रखर होती है।
5. पितृ दोष से मुक्ति
सूर्य को पिता का कारक ग्रह माना गया है। मिथुन संक्रांति पर सूर्य पूजा और सूर्य चालीसा का पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
मिथुन संक्रांति 2025 पर सूर्य चालीसा पाठ की सही विधि
अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, सूर्य चालीसा का पाठ सही विधि से करना चाहिए:
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र: मिथुन संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और लाल या नारंगी रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य को अर्घ्य दें: एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल, रोली, अक्षत, लाल पुष्प और थोड़ा गुड़ डालकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजा का स्थान: अपने पूजा घर में या किसी शांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक लाल आसन पर बैठें।
- दीपक प्रज्वलित करें: भगवान सूर्य की तस्वीर या प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।
- चालीसा का पाठ: अब पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ श्री सूर्य चालीसा का पाठ करें। पाठ के बाद सूर्य देव की आरती करें।
- प्रार्थना: अंत में सूर्य देव से अपने उत्तम स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
श्री सूर्य चालीसा (Shri Surya Chalisa)
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर। सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरतण्ड अनल। भास्कर दिवाकर दिनकर॥
पुरन्दर रवि कहं प्रभु तुमसो। इन्द्र आदि सब देव तुमसो॥
जयति जयति भूतेश महेश्वर। जयति भानु भास्कर प्रलयंकर॥
जयति सहस्रकिरण मुनिनायक। जयति लोक सुखदायक॥
जयति जयति ग्रहपति दिननायक। जयति विमल विमला गुनगायक॥
जयति भानु भगवान अंशुमाली। जयति दिवाकर दिनमणी॥
जयति आदित्य हुताशन। जयति भानु जगके भूषण॥
नमो नमो जय दिनके स्वामी। नमो नमो खल दल के स्वामी॥
नमो नमो सुर नायक देवा। नमो नमो त्रिभुवन के देवा॥
नमो नमो जय जयति भानु। नमो नमो जयति दिवाकर॥
तुमहिं ब्रह्मा तुमहिं विष्णु। तुमहिं रुद्र त्रिभुवन के भानु॥
तुमहिं वायु तुमहिं अनल। तुमहिं भूमि तुमहिं नभ॥
तुमहिं देव तुमहिं पितर। तुमहिं धर्म तुमहिं कर्म॥
तुमहिं वेद तुमहिं यज्ञ। तुमहिं मुक्ति के कारण॥
तुमहिं सर्व देवाधिदेव। तुमहिं सर्व जग के देव॥
द्वादश नाम जप जो कोई। ताको दुःख दारिद्र न होई॥
रोग शोक अरु व्याधि नशावे। सुख सम्पत्ति घर आवे॥
यह जो पढे़ नित्य मन लाई। तापर कृपा करें दिनराई॥
नित प्रति जो यह पाठ करावे। सो नर भवसागर तर जावे॥
अष्टोत्तर शत नाम जो गावे। ताको रवि कबहुँ न सतावे॥
जो नर श्रद्धा युक्त पढे़ नित। ताकी बाधा हरे आदित्य॥
यह चालीसा भक्ति युत, पाठ करे जो कोय।
रोग शोक दुःख दारिद्र, कबहुँ न ताकहं होय॥
॥ दोहा ॥
अर्घ्य देइ कर जोरि कर, कहै भानु सों टेर।
मन वांछित फल पावई, मिटै कष्ट सब बेर॥
निष्कर्ष
Mithun Sankranti 2025 का पर्व सूर्य देव की असीम कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया सूर्य चालीसा का पाठ न केवल आपके भौतिक जीवन में सफलता, स्वास्थ्य और सम्मान लाता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। तो इस पावन अवसर का लाभ उठाएं और सूर्य देव की स्तुति कर अपने जीवन को प्रकाशमय बनाएं।
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FAQs-
Mithun Sankranti 2025 kab hai?
15 June 2025 ko, Ravivaar ke din hai.
Surya Chalisa ka paath kis samay karein?
Subah snan karke, Punya Kaal (11:38 AM – 1:45 PM) mein karein.
Surya Chalisa padhne se kya hota hai?
Rog-mukti, manobal mein vriddhi aur sarkari karya mein safalta milti hai.
Kya mahilayein bhi Surya Chalisa ka paath kar sakti hain?
Haan, puri shraddha ke saath koi bhi paath kar sakta hai.
Surya ko arghya kaise dena chahiye?
Tambe ke lota mein jal, roli, chawal aur laal pushp daal kar arghya dein.
Kya is din vrat rakhna chahiye?
Haan, upvaas ya falahar karke pooja karna zyada shubh hota hai.
Kaun kaun si cheezein daan karni chahiye?
Gur, laal vastra, pankha, surahi, chappal, ghee etc.
Kya grah dosh is din kam kiye ja sakte hain?
Haan, Surya Chalisa aur Surya pooja se Surya grah ki shanti hoti hai.
Surya Chalisa ka paath kitni baar karna chahiye?
Kam se kam 1 baar shraddha se paath karna chahiye, roz karein to aur accha hai.
Kya ye din nayi shuruaat ke liye shubh hai?
Haan, yah din aatmavishwas aur unnati ke liye bahut shubh mana jaata hai.