Prathna (प्रार्थना)

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Prathna – हे नाथ! आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप मुझे प्यारे लगें। केवल यही मेरी माँग है और कोई माँग नहीं।

हे नाथ! अगर मैं स्वर्ग चाहूँ तो मुझे नरकमें डाल दें, सुख चाहूँ तो अनन्त दुःखोंमें डाल दें, पर आप मुझे प्यारे लगें।

हे नाथ! आपके बिना मैं रह न सकूँ, ऐसी व्याकुलता आप दे दें।

हे नाथ! आप मेरे हृदयमें ऐसी आग लगा दें कि आपकी प्रीतिके बिना मैं जी न सकूँ।

हे नाथ! आपके बिना मेरा कौन है? मैं किससे कहूँ और कौन सुने ?

हे मेरे शरण्य ! मैं कहाँ जाऊँ? क्या करूँ ? कोई मेरा नहीं।

मैं भूला हुआ कइयोंको अपना मानता रहा। उनसे धोखा खाया, फिर भी धोखा खा सकता हूँ, आप बचायें !

हे मेरे प्यारे ! हे अनाथनाथ ! हे अशरणशरण ! हे पतितपावन ! हे दीनबन्धो ! हे अरक्षितरक्षक ! हे आर्तत्राणपरायण ! हे निराधारके आधार ! हे अकारणकरुणावरुणालय ! हे साधनहीनके एकमात्र साधन ! हे असहायके सहायक! क्या आप मेरेको जानते नहीं, मैं कैसा भग्नप्रतिज्ञ, कैसा कृतघ्न, कैसा अपराधी, कैसा विपरीतगामी, कैसा अकरण-करणपरायण हूँ। अनन्त दुःखोंके कारणस्वरूप भोगोंको भोगकर जानकर भी आसक्त रहनेवाला, अहितको हितकर माननेवाला, बार-बार ठोकरें खाकर भी नहीं चेतनेवाला, आपसे विमुख होकर बार-बार दुःख पानेवाला, चेतकर भी न चेतनेवाला, जानकर भी न जाननेवाला मेरे सिवाय आपको ऐसा कौन मिलेगा ?

प्रभो ! त्राहि माम् ! त्राहि माम् !! पाहि माम् ! पाहि माम् !! हे प्रभो ! हे विभो ! मैं आँख पसारकर देखता हूँ तो मन-बुद्धि-प्राण- इन्द्रियाँ और शरीर भी मेरे नहीं हैं, फिर वस्तु-व्यक्ति आदि मेरे कैसे हो सकते हैं! ऐसा मैं जानता हूँ, कहता हूँ, पर वास्तविकतासे नहीं मानता। मेरी यह दशा क्या आपसे किञ्चिन्मात्र भी कभी छिपी है? फिर हे प्यारे ! क्या कहूँ! हे नाथ! हे नाथ!! हे मेरे नाथ!!! हे दीनबन्धो ! हे प्रभो! आप अपनी तरफसे शरणमें ले लें। बस, केवल आप प्यारे लगें।

॥ श्रीपरमात्मने नमः ॥

एक बार सरल हृदयसे दृढ़तापूर्वक स्वीकार कर लें कि –

सर्वकालमें मैं स्वयं केवल भगवान्‌का ही अंश हूँ | सर्वकालमें केवल भगवान् ही मेरे अपने हैं | कारण यह है कि

शरीर-संसार कभी किसीके साथ रहते ही नहीं क्योंकि इनकी सत्ता विद्यमान नहीं है- ‘नासतो विद्यते भाव’।

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परमात्मा कभी किसीका साथ छोड़ते ही नहीं; क्योंकि उनकी सत्ता नित्य विद्यमान है- ‘ना भावो विद्यते सतः।’

Read our another post- नित्य स्तुति:- दैनिक प्रार्थना और भगवान की स्तुति के पवित्र श्लोक

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MEGHA PATIDAR
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Megha patidar is a passionate website designer and blogger who is dedicated to Hindu mythology, drawing insights from sacred texts like the Vedas and Puranas, and making ancient wisdom accessible and engaging for all.

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