हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी कहा जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व महाशिवरात्रि और होली के बीच आता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ-साथ रंगों के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
रंगभरी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 मार्च 2025 को सुबह 7:45 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च 2025 को सुबह 7:44 बजे
- व्रत पारण (व्रत तोड़ने का समय): 11 मार्च 2025 को सुबह 6:35 बजे से 8:13 बजे तक
रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी (वाराणसी) आए थे। उनके आगमन पर देवताओं और भक्तों ने फूल, गुलाल और अबीर उड़ाकर उनका स्वागत किया था, जिससे इस दिन को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। यह दिन काशी में होली उत्सव की शुरुआत का संकेत देता है, जहां भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के साथ रंगों की होली खेलते हैं।
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर सज्जा: घर के मंदिर को फूलों और रंगोली से सजाएं।
- दीप प्रज्वलन: भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष दीप जलाएं।
- अभिषेक: गंगा जल या शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- पुष्प अर्पण: भगवान शिव को बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प अर्पित करें।
- विशेष भोग: भगवान को पंचामृत, फल, मिष्ठान्न और विशेष रूप से आंवले से बने व्यंजन अर्पित करें।
- आरती और भजन: शिव-पार्वती की आरती करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
- रंग खेलना: भगवान शिव और माता पार्वती को गुलाल और फूल अर्पित करें, फिर भक्तों के साथ मिलकर रंगों की होली खेलें।
व्रत पालन और पारण
रंगभरी एकादशी के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। व्रतधारी को दशमी (एकादशी से एक दिन पूर्व) की रात से ही सात्त्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन निराहार रहकर भगवान का ध्यान और पूजा करनी चाहिए। व्रत का पारण द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए, जो इस वर्ष 11 मार्च 2025 को सुबह 6:35 बजे से 8:13 बजे तक है।
वाराणसी में रंगभरी एकादशी उत्सव
वाराणसी में रंगभरी एकादशी का उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में इस दिन विशेष श्रृंगार और पूजा-अर्चना होती है। भक्तगण भगवान शिव और माता पार्वती के साथ रंगों की होली खेलते हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय और रंगीन हो जाता है। यह उत्सव काशी में होली की शुरुआत का प्रतीक है, जो अगले छह दिनों तक जारी रहता है।
निष्कर्ष
रंगभरी एकादशी का पर्व भक्तों के लिए भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का विशेष अवसर है। इस दिन व्रत, पूजा और रंगों के माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। यह पर्व हमें आध्यात्मिकता और सामाजिकता के रंगों में रंगने का अवसर प्रदान करता है।
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FAQs-
Rangbhari Ekadashi 2025 mein kab hai?
Rangbhari Ekadashi 2025 mein 10 March ko manayi jayegi.
Rangbhari Ekadashi ka mahatva kya hai?
Yeh din Bhagwan Shiv aur Mata Parvati ke Kashi aagman aur Holi utsav ki shuruaat ka pratik mana jata hai.
Rangbhari Ekadashi ka doosra naam kya hai?
Isse Amalaki Ekadashi bhi kaha jata hai.
Is din kaun-kaun se devtaon ki pooja ki jati hai?
Bhagwan Shiv, Mata Parvati aur Bhagwan Vishnu ki pooja ki jati hai.
Rangbhari Ekadashi par kaunsa vrat rakha jata hai?
Is din Ekadashi vrat rakha jata hai, jisme nirjala ya falahar vrat ka palan kiya jata hai.
Varanasi mein Rangbhari Ekadashi itni prasiddh kyu hai?
Kashi mein ise Bhagwan Shiv aur Mata Parvati ke vivah ke baad pehli baar aagman ka parv mana jata hai, jisme bhakt rangon se Holi khelte hain.
Rangbhari Ekadashi par kya vishesh pooja hoti hai?
Bhagwan Shiv ka Gangajal, doodh, dahi, shahad aur belpatra se abhishek kiya jata hai.
Rangbhari Ekadashi ka vrat paran kab karna chahiye?
Dwadashi tithi (11 March 2025) ko subah 6:35 baje se 8:13 baje tak vrat paran karna shubh hota hai.
Rangbhari Ekadashi ko kaun-kaun se bhog chadhaye jate hain?
Bhagwan Shiv ko bhang, dhatura, belpatra, ganne ka ras, fal aur amla se bane vyanjan arpit kiye jate hain.
Kya Rangbhari Ekadashi par Holi khelni chahiye?
Haan, is din Bhagwan Shiv aur Mata Parvati ko gulal arpit kar bhakt Holi ka utsav shuru karte hain.
Kya is din koi shubh karya kiya ja sakta hai?
Haan, yeh din shubh karyon, vivaah, griha pravesh, naamkaran aadi ke liye atyant shubh mana jata hai.
Rangbhari Ekadashi ki katha kya hai?
Pauranik kathayon ke anusar, is din Bhagwan Shiv Mata Parvati ko pehli baar Kashi lekar aaye the, jahan devtaon aur bhakton ne unka rangon se swagat kiya tha.
Rangbhari Ekadashi vrat karne se kya laabh hota hai?
Is vrat ko karne se punya ki prapti hoti hai, manovanchit fal milta hai aur jeevan mein sukh-samriddhi aati hai.
Rangbhari Ekadashi par kaun-kaun se rang shubh mane jate hain?
Laal, peela aur hara rang shubh mane jate hain aur inhi rangon se Holi kheli jati hai.
Kya is din Bhagwan Vishnu ki bhi pooja ki jati hai?
Haan, Amalaki Ekadashi ke roop mein Bhagwan Vishnu ki bhi vishesh pooja ki jati hai