Shitala Ashtami, जिसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्यतः उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार देवी शीतला को समर्पित है, जिन्हें संक्रामक रोगों, विशेष रूप से चेचक, से बचाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। 2025 में, शीतला अष्टमी का पर्व 22 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा |
शीतला अष्टमी का महत्व
शीतला अष्टमी का मुख्य उद्देश्य देवी शीतला की पूजा के माध्यम से परिवार और समुदाय को संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखना है। यह त्योहार स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामुदायिक एकता पर जोर देता है। देवी शीतला को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष अनुष्ठानों का पालन किया जाता है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक माने जाते हैं।
शीतला अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि प्रारंभ: 22 मार्च 2025 को सुबह 4:23 बजे
- तिथि समाप्ति: 23 मार्च 2025 को सुबह 5:23 बजे
- पूजा मुहूर्त: 22 मार्च को सुबह 5:43 बजे से शाम 5:53 बजे तक (12 घंटे 10 मिनट)
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
- व्रत और संकल्प: इस दिन व्रत रखने का विधान है। व्रती प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं।
- बासी भोजन का भोग: शीतला अष्टमी के एक दिन पहले (शीतला सप्तमी) को भोजन पकाया जाता है, जिसे अगले दिन देवी को भोग लगाया जाता है। इस प्रथा के पीछे मान्यता है कि बासी भोजन देवी शीतला को प्रिय है, और यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में बासी भोजन, जल, रोली, अक्षत, हल्दी, बड़कुले की माला, वस्त्र, दीपक और मिठाई शामिल हैं।
- पूजा प्रक्रिया: देवी शीतला की प्रतिमा या चित्र के सामने उपरोक्त सामग्री अर्पित की जाती है। इसके बाद शीतला अष्टमी की कथा का पाठ किया जाता है और अंत में आरती की जाती है।
- स्वच्छता का पालन: इस दिन घर और आस-पास की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि देवी शीतला को स्वच्छता प्रिय है।
शीतला अष्टमी से जुड़े परंपरागत व्यंजन
शीतला अष्टमी पर विशेष प्रकार के बासी भोजन तैयार किए जाते हैं, जो इस त्योहार की विशेषता हैं। कुछ प्रमुख व्यंजन इस प्रकार हैं:
- चावल की खीर: दूध, चावल और चीनी से बनी यह मिठाई एक दिन पहले पकाई जाती है और ठंडी करके खाई जाती है।
- दही बड़े: उड़द दाल के वड़े, जिन्हें दही में भिगोकर मसालों के साथ परोसा जाता है।
- पूरी: गेहूं के आटे से बनी तली हुई रोटी, जो अन्य बासी व्यंजनों के साथ खाई जाती है।
- हलवा: सूजी या आटे से बना मीठा व्यंजन, जिसे घी और चीनी के साथ पकाया जाता है।
इन व्यंजनों को एक दिन पहले तैयार किया जाता है और शीतला अष्टमी के दिन देवी को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
विभिन्न क्षेत्रों में शीतला अष्टमी का उत्सव
शीतला अष्टमी मुख्यतः उत्तर भारत के राज्यों में मनाई जाती है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में इसके उत्सव की विधियाँ भिन्न हो सकती हैं।
- उत्तर प्रदेश और राजस्थान: इन राज्यों में महिलाएँ समूह बनाकर देवी शीतला की पूजा करती हैं और बासी भोजन का प्रसाद बांटती हैं।
- गुजरात: यहाँ भक्त देवी शीतला के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष प्रसाद चढ़ाते हैं।
- पश्चिम बंगाल: यहाँ इस त्योहार को ‘बसंती पूजा’ के रूप में मनाया जाता है, जहाँ देवी शीतला की विशेष पूजा होती है।
शीतला अष्टमी का आधुनिक संदर्भ
वर्तमान समय में भी शीतला अष्टमी का महत्व बना हुआ है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। देवी शीतला की पूजा करने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, और यह पर्व स्वच्छता और सफाई की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
आज के समय में, लोग इस त्योहार को मनाने के साथ-साथ सफाई अभियानों का आयोजन करते हैं, जिससे समाज को स्वच्छ और रोग मुक्त बनाया जा सके।
निष्कर्ष
शीतला अष्टमी भक्ति, स्वास्थ्य और स्वच्छता का संदेश देने वाला एक पावन पर्व है। देवी शीतला की पूजा से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह हमें प्राचीन भारतीय परंपराओं और स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने की भी प्रेरणा देता है।
आप भी 22 मार्च 2025 को शीतला अष्टमी का व्रत करें और देवी शीतला की कृपा प्राप्त करें!
Read our another post – Eknath Shashthi 2025: Mahatva, Itihas aur Utsav ki Jankari
FAQs
Shitala Ashtami kab hai?
Shitala Ashtami Chaitra Maas ke Krishna Paksha ki Ashtami tithi ko manayi jati hai, jo Holi ke 8 din baad aati hai. 2025 me yeh 22 March ko padegi.
Shitala Ashtami ka mahatva kya hai?
Yeh tyohaar Devi Shitala ki pooja ke liye manaya jata hai jo sankramak bimariyon se suraksha deti hain. Is din pooja karne se swasthya aur samriddhi ki prapti hoti hai.
Is din basi bhojan kyon khaya jata hai?
Devi Shitala ko basi bhojan pasand hai. Is din naye khaane ko varjit mana jata hai. Yeh parampara pachan tantra aur swasthya ke liye bhi laabhdayak mani jati hai.
Shitala Ashtami par kaunse vyanjan banaye jate hain?
Chawal ki Kheer
Puri
Dahi Bade
Halwa
Basi Chawal aur Kadhi
Shitala Ashtami vrat kaun rakh sakta hai?
Yeh vrat mukhya roop se mahilayein rakhti hain, jo apne bachchon ke swasthya ki raksha ke liye Devi Shitala ki pooja karti hain. Lekin koi bhi vyakti shraddha purvak vrat rakh sakta hai.
Kya Shitala Ashtami ka vrat karna anivarya hai?
Nahi, yeh vrat shraddha aur aastha par nirbhar karta hai. Is vrat se Devi Shitala ki kripa prapt hoti hai, lekin yeh anivarya nahi hai.
Shitala Ashtami par kin baaton ka dhyan rakhna chahiye?
Taza bhojan nahi pakana chahiye, sirf basi bhojan ka sevan karein.
Pooja ke baad hi bhojan karein.
Ghar aur aas-paas ki safai par vishesh dhyan dein.
Devi Shitala ko haldi, akshat aur pani ka arpan karein.
Kya Shitala Ashtami sirf Uttar Bharat me manayi jati hai?
Nahi, yeh tyohaar Rajasthan, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Gujarat, Paschim Bengal aur Bihar me bhi dhyan aur shraddha ke sath manaya jata hai.