Vat Savitri Vrat 2025, हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। 2025 में वट सावित्री व्रत 26 मई, सोमवार को मनाया जाएगा। इस व्रत में वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा की जाती है, जिसे अक्षय और दीर्घजीवी माना जाता है।
वट सावित्री व्रत क्यों मनाया जाता है?
इस व्रत की शुरुआत सावित्री और सत्यवान की प्रसिद्ध पौराणिक कथा से जुड़ी है। सावित्री ने अपनी भक्ति और दृढ़ संकल्प से यमराज को अपने पति सत्यवान का जीवन वापस देने के लिए मजबूर कर दिया था। तभी से यह व्रत पतिव्रता स्त्रियों द्वारा मनाया जाने लगा।
वट सावित्री व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त
- व्रत तिथि: 26 मई 2025 (सोमवार)
- पूजा का समय: प्रातः 6:00 बजे से 10:00 बजे तक (स्थानीय समयानुसार)
- वट वृक्ष पूजन मुहूर्त: सुबह 7:12 AM से 9:24 AM तक
- वट सावित्री व्रत क्यों मनाया जाता है?
- वट सावित्री व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त
- वट सावित्री व्रत का महत्व
- वट सावित्री व्रत की पूजन विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान व संकल्प
- व्रत की सामग्री तैयार करें
- वट वृक्ष का पूजन
- व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha) का श्रवण
- वट सावित्री व्रत की कथा
- वट वृक्ष का महत्व
- निष्कर्ष
- FAQs-
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत की महत्ता का संबंध पौराणिक कथा से है, जिसमें सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आती हैं। यह व्रत नारी शक्ति, भक्ति और पति के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है।
- यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है
- सावित्री जैसी दृढ़ संकल्प की प्रतीक
- धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से वट वृक्ष का पूजन
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
प्रातः स्नान व संकल्प
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें – “मैं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु हेतु व्रत रखती हूं।”
व्रत की सामग्री तैयार करें
- लाल वस्त्र
- फल-फूल
- पंचामृत
- अक्षत, रोली, मौली, दीपक
- वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण हेतु पात्र
- पूजा थाली
वट वृक्ष का पूजन
- वट वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें
- मौली से पेड़ को लपेटें
- जल, अक्षत, फूल, फल अर्पित करें
- सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें
व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha) का श्रवण
कथा पढ़ना इस व्रत का अभिन्न अंग है। यह यमराज, सावित्री और सत्यवान के संवाद पर आधारित है, जिसमें नारी की शक्ति और श्रद्धा की विजय दिखाई देती है।
वट सावित्री व्रत की कथा
यह कथा महाभारत के वन पर्व से ली गई है। सावित्री एक राजकुमारी थी, जिसने सत्यवान से विवाह किया। एक ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि सत्यवान की मृत्यु एक वर्ष के भीतर हो जाएगी। लेकिन सावित्री ने अपने पत्नी धर्म से यमराज को भी परास्त कर दिया और अपने पति को जीवनदान दिलवाया।उन्होंने तर्क, भक्ति और बुद्धिमत्ता से यमराज को प्रसन्न किया और अपने पति के प्राण लौटा लिए। इसी कारण इस व्रत को पति की लंबी आयु का व्रत माना जाता है।
यह कथा बताती है कि स्त्री की श्रद्धा और संकल्प असंभव को भी संभव बना सकता है।
वट वृक्ष का महत्व
वट वृक्ष, जिसे “ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्वरूप” माना जाता है, आयुर्वेद और पर्यावरण दोनों में उपयोगी है। इसकी छांव शीतलता देती है और यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
निष्कर्ष
वट सावित्री व्रत 2025, सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारतीय स्त्री की शक्ति, भक्ति और श्रद्धा का उत्सव है। 26 मई को मनाया जाने वाला यह व्रत लाखों महिलाओं के लिए आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। व्रत के माध्यम से न केवल परिवार के स्वास्थ्य की कामना की जाती है, बल्कि पारंपरिक मूल्यों का भी संवर्धन होता है।
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FAQs-
Vat Savitri Vrat 2025 kab hai?
Vat Savitri Vrat 2025 26 May (Monday) ko manaya jayega. Yeh vrat Jyesth Amavasya ke din hota hai.
Vat Savitri Vrat ka kya mahatva hai?
Is vrat ka mahatva suhaagin mahilaon ke liye bahut bada hai. Is din wo apne pati ki long life, health aur sukh-shanti ke liye vrat rakhti hain.
Vat Savitri Vrat kahan-kahan manaaya jaata hai?
Ye vrat mainly North India (Uttar Pradesh, Bihar, Madhya Pradesh) aur Maharashtra mein bahut shraddha se manaaya jaata hai.
Is vrat mein kya-kya saman chahiye hota hai?
Pooja mein chahiye – sindoor, kalawa, roli, chawal, 5 suhaag ki cheezein, vrat katha, phal, dhoop, deepak aur vat vriksha ke liye jal.
Vat Savitri Vrat ki pooja kaise karein?
Subah snan kar ke vrat ka sankalp lein, fir vat vriksha ki pooja karein, parikrama karein aur vrat katha ka path ya shravan karein.
Kya is din fast rakha jaata hai?
Haan, jyadatar mahilaen nirjala vrat rakhti hain, lekin kuch log phal-aahar bhi karte hain.
Vat Savitri Vrat ki kahani kya hai?
Ye katha Savitri aur Satyavan ki hai, jisme Savitri ne apne patni-vrata bal se Yamaraj se apne pati ke praan wapas le liye the.
Kya unmarried ladkiyan bhi ye vrat rakh sakti hain?
Haan, kuch sthanon par unmarried ladkiyan bhi achhe jeevan saathi ki prapti ke liye ye vrat rakhti hain.
Vat vriksha ka kya mahatva hai is vrat mein?
Vat vriksha (bargad ka ped) ko Brahma, Vishnu, Mahesh ka swaroop mana jaata hai. Iski pooja se sukh aur samriddhi milti hai.
Pooja mein kitni baar vat vriksha ki parikrama karte hain?
7 baar vat vriksha ki parikrama ki jaati hai, aur har baar kalawa lapeta jaata hai.
Kya Vat Savitri aur Vat Purnima alag hain?
Haan. Vat Savitri Amavasya ko manaya jaata hai (North India), jabki Vat Purnima Purnima ke din (Maharashtra mein) manai jaati hai.
Is vrat mein vrat katha kab padhein?
Vat vriksha ki pooja ke baad vrat katha ka shravan ya path karna chahiye.
Kya vrat ke din kala kapda pehn sakte hain?
Nahi, vrat ke din laal ya peela rang pehna shubh mana jaata hai. Kala rang se bachna chahiye.
Vrat todne ka sahi samay kya hai?
Sham ko pooja ke baad vrat tod sakte hain. Nirjala vrat walon ke liye yeh samay aur bhi mahatvapurna hota hai.
Vrat mein vat vraksha ki kitni baar parikrama karein?
7 ya 108 baar Vat vriksh ki parikrama karein.