अनंत चतुर्दशी 2024 में 17 सितंबर को मनाई जाएगी। जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व।
BY- DEEPIKA PATIDAR
अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसमें भगवान विष्णु के "अनंत" स्वरूप की पूजा की जाती है। यह दिन जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
बहुत समय पहले राजा सुषेण नामक एक धर्मप्रिय राजा थे। अपने राज्य को खोने के बाद, उन्होंने भगवान विष्णु का अनंत व्रत किया और उनकी कृपा से उन्हें सब कुछ वापस मिला।
ऋषि वशिष्ठ ने राजा सुषेण को अनंत सूत्र पहनने की सलाह दी, जो 14 गांठों वाले धागे से बना होता है। यह भगवान विष्णु का आशीर्वाद माना जाता है और इसे धारण करने से सुख-शांति मिलती है।
महाभारत की रचना के समय गणेशजी ने इसे दस दिनों तक लगातार लिखा। यह कहानी गणेशजी की बुद्धि और धैर्य का प्रतीक है।
महाभारत लेखन के दौरान, गणेशजी की लेखनी टूट गई। उन्होंने तुरंत अपना एक दांत तोड़कर लेखनी बनाई और लेखन जारी रखा। इसलिए उन्हें "एकदंत" कहा जाता है।
महाभारत लेखन के दौरान, गणेशजी का शरीर अत्यधिक गर्म हो गया। उन्हें ठंडा करने के लिए महर्षि वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी लगाई।
गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। इस दिन गणेशजी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है, जो शुभारंभ के अंत का प्रतीक है।