30 मार्च 2025 को हम हिंदू नव वर्ष का स्वागत करते हैं, जो नए उत्साह और उमंग के साथ जीवन में नई ऊर्जा भरता है।
By Deepika Patidar
कब है हिंदू नव वर्ष 2025?
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है, जो सृष्टि की रचना का प्रतीक है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा: नव वर्ष का प्रथम दिवस
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इस वर्ष हम विक्रम संवत 2082 'कालयुक्त' में प्रवेश करेंगे, जो नए संकल्पों और आशाओं का प्रतीक है।
विक्रम संवत 2082
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गुड़ी पड़वा: महाराष्ट्र का विशेष पर्व
महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में नव वर्ष के पहले दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
युगादी: दक्षिण भारत की परंपरा
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में इस दिन को युगादी या उगादी के रूप में मनाया जाता है, जो नई शुरुआत का संकेत देता है।
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चैत्र नवरात्रि: नौ देवियों की आराधना
हिंदू नव वर्ष के साथ ही चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू होता है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
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नवरेह: कश्मीर की नव वर्ष परंपरा
कश्मीर में इस दिन को नवरेह के रूप में मनाया जाता है, जो नए साल और नई फसलों का स्वागत करता है।
पंचांग का महत्व
पंचांग का महत्व
हिंदू नव वर्ष के अवसर पर नए पंचांग का अध्ययन किया जाता है, जो आगामी वर्ष के त्योहारों, व्रतों और शुभ मुहूर्तों की जानकारी देता है।
हिंदू नव वर्ष के अवसर पर नए पंचांग का अध्ययन
किया जाता है, जो आगामी वर्ष के त्योहारों, व्रतों और शुभ मुहूर्तों की जानकारी देता है।
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हिंदू नव वर्ष 2025